गाजियाबाद

13 साल बाद वाहिद हत्याकांड का फैसला; कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा

बुलंदशहर के चर्चित वाहिद हत्याकांड में 13 साल बाद अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। जिला जज मंजीत सिंह श्योराण की कोर्ट ने 12 आरोपियों को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। घटना के बाद इलाके में दो जातियों के बीच तनाव फैल गया था।

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Wahid Murder Case: बुलंदशहर के बहुचर्चित 'वाहिद हत्याकांड' में 13 साल बाद जिला न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। जिला जज मंजीत सिंह श्योराण की अदालत ने इस मामले में सभी 12 नामजद आरोपियों को हत्या का दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह हत्या 24 अगस्त 2012 को हुई थी, जिसके बाद इलाके में दो जातियों के बीच तनाव और हिंसक घटनाएं बढ़ गई थीं।

वाहिद हत्याकांड का फैसला

मामूली विवाद में वाहिद की हत्या के बाद दोनों पक्षों में टकराव की स्थिति बन गई थी। मामले में कुल 15 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी, जिनमें से तीन आरोपियों की ट्रायल के दौरान मृत्यु हो चुकी है। शेष 12 आरोपियों को अदालत ने दोषी ठहराते हुए सजा दी है। इनमें से आठ आरोपियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जबकि जिन चार आरोपियों से हथियार बरामद हुए थे, उन पर 55,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

क्या है वाहिद हत्याकांड?

21 अगस्त 2012 को बुलंदशहर शहर के मोहल्ला रुकनसराय में यूसुफ के बेटे फरीद, आसिफ, शहजाद और कासिम ने मोहल्ले के रईस के रिश्तेदार और खुर्जा निवासी आज़ाद पर जानलेवा हमला किया था। इस घटना के संबंध में नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसी रंजिश के चलते 24 अगस्त 2012 को मोहल्ले में खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें तमंचे, रिवॉल्वर और पिस्टल से अंधाधुंध फायरिंग की गई। इस गोलीबारी में रईस के भतीजे वाहिद की मौके पर ही मौत हो गई थी। रईस की तहरीर पर नगर कोतवाली में 15 लोगों के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया।

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