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पत्नी मेलानिया के साथ ब्रिटेन के दौरे पर राष्ट्रपति ट्रंप, खास है चुनौतीपूर्ण समय में हो रही यह यात्रा

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ब्रिटेन यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका और उसके कई अहम व्यापारिक साझेदारों के बीच कठिन व्यापार वार्ताएं चल रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों देश प्रौद्योगिकी और नागरिक परमाणु ऊर्जा पर कई समझौतों की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं।

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Donald Trump Britain Visit: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देश की पहली महिला और पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ अपनी दूसरी ऐतिहासिक यात्रा पर मंगलवार को दूसरी बार ब्रिटेन पहुंचे। लंदन के स्टैनस्टेड एयरपोर्ट पहुंचने ट्रंप और मेलानिया का गर्मजोशी से स्वागत हुआ। ब्रिटेन के विदेस मंत्री वाई कूप, अमेरिकी राजदूत वारेन स्टीफंस और लॉर्ड इन वेटिंग विस्काउंट हूड ने एयरपोर्ट पर ट्रंप का स्वागत किया। विंडसोर रवाना होने से पहले ट्रंप और उनकी पत्नी लंदन स्थित अमेरिकी राजदूत के आवास पर रात्रि विश्राम किया।

ब्रिटेन के यात्रा पर आए हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। तस्वीर-AP

इसलिए अहम है ट्रंप का यह दौरा

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ब्रिटेन यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका और उसके कई अहम व्यापारिक साझेदारों के बीच कठिन व्यापार वार्ताएं चल रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों देश प्रौद्योगिकी और नागरिक परमाणु ऊर्जा पर कई समझौतों की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं, और ब्रिटिश नेता इस यात्रा के दौरान धातु शुल्क पर समझौता अंतिम रूप देने की उम्मीद कर रहे हैं। गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप की यात्रा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण समय पर हो रही है, जो अपनी ही पार्टी के सांसदों की बढ़ती नाराज़गी का सामना कर रहे हैं और ऐसे समय में पार्टी सम्मेलन में एक निर्णायक भाषण की तैयारियों में जुटे हैं, जिसे 'करो या मरो' माना जा रहा है।

संवेदनशील मुद्दों को ट्रंप से दूर रखने की कोशिश

ट्रंप ब्रिटेन उस समय पहुंचे हैं जब कुछ दिन पहले ही लॉर्ड पीटर मैनडेलसन को अमेरिका में ब्रिटेन के राजदूत पद से हटा दिया गया था, क्योंकि उनके बाल यौन अपराधी जेफ्री एपस्टीन से दोस्ती से जुड़े नए खुलासे सामने आए थे। ब्रिटिश सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति को शाही और सैन्य परेड के साथ प्रभावित करने की तैयारी में है, साथ ही उन्हें संवेदनशील इलाकों जैसे लंदन के केंद्रीय हिस्से और आप्रवासन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे संवेदनशील मुद्दों से दूर रखने की कोशिश कर रही है।

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