भोपाल

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की सुरक्षा के लिए नई पहल; अब शृंगार में होगी भांग की सीमित मात्रा

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंदिर समिति ने भांग के उपयोग पर नई सीमा तय की है। अब भगवान महाकाल के शृंगार में अधिकतम तीन किलो भांग ही इस्तेमाल की जाएगी। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की याचिका और विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है।

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Mahakaleshwar Temple: विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मंदिर समिति ने एक अहम निर्णय लिया है। अब भगवान महाकाल के शृंगार में अधिकतम तीन किलो भांग ही इस्तेमाल की जाएगी, जबकि पहले यह मात्रा पांच से सात किलो तक होती थी। इस नई व्यवस्था के तहत मंदिर परिसर में एक डिजिटल तौल कांटा भी स्थापित किया जाएगा, ताकि भांग की मात्रा पर सख्त निगरानी रखी जा सके।

मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने जानकारी दी कि यह कदम ज्योतिर्लिंग के क्षरण को रोकने और परंपरागत पूजन विधि को संतुलित रखने के लिए उठाया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में इस विषय को लेकर सारिका गुरु नामक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई। समिति ने मंदिर में होने वाले भांग उपयोग को सीमित करने का सुझाव दिया था, जिसे अब अमल में लाया गया है।

भक्तों की आस्था से जुड़ाव

महाकाल मंदिर में प्रतिदिन पांच आरतियां होती हैं, जिनमें भांग का विशेष महत्व होता है। विशेष रूप से सुबह चार बजे की भस्म आरती और शाम सात बजे की संध्या आरती के दौरान भांग से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है, जो भक्तों की गहन आस्था से जुड़ा है। नई व्यवस्था के अंतर्गत अब हर दिन उपयोग होने वाली भांग का वजन पहले ही तय कर लिया जाएगा, ताकि पूजा-पाठ की परंपरा बनी रहे और साथ ही ज्योतिर्लिंग की प्राकृतिक स्थिति भी सुरक्षित रखी जा सके। यह कदम भक्तों की श्रद्धा और सांस्कृतिक विरासत के संतुलन की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है।

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