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खतरे में नैनीताल? माल रोड पर उभरी दरार हुई चौड़ी; जानें कब-कब हुए बड़े लैंडस्लाइड

नैनीताल की पहचान माल रोड पर दरार चौड़ी होने से शहर के लिए खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने लोअर माल रोड पर ट्रैफिक रोक दिया है, क्योंकि यह हिस्सा कभी भी झील में समा सकता है। नैनीताल भूस्खलनों के लंबे इतिहास वाला संवेदनशील क्षेत्र है। 1880 का ‘ग्रेट लैंडस्लाइड’ सबसे भयावह था, जिसमें 151 लोग मारे गए थे। अब नई दरार ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

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नैनीताल, ये नाम आते ही कितने खयाल मन में आने लगते हैं। कितनी ही हसरतें कुलाचें मारकर बाहर निकलने लगती हैं। कभी यहां की खूबसूरत झील में बोटिंग करने का खयाल आता है तो कभी यहां की पहाड़ी वादियों में खो जाने को मन करता है। बर्फ से लकदक सर्दियों में नैनीताल की सड़क, पेड़ और पहाड़ों की तस्वीर आंखों के सामने से अचानक गुजर जाती है। नैनीताल तक पहुंचाने वाली वो सर्पीली सी राहें भी याद आती हैं और भोटिया मार्केट, नैनीदेवी मंदिर, बैंड स्टैंड, बोट क्लब, ठंडी सड़क और मॉल रोड की यादें भी ताजा हो जाती हैं। ताल और नैनादेवी मंदिर के साथ मॉल रोड नैनीताल की पहचान है। लेकिन इसी मॉल रोड पर कल यानी रविवार शाम को एक बड़ी दरार देखी गई। जी हां, यहां पहले से मौजूद दरार रविवार 14 सितंबर को चौड़ी हो गई।

नैनीताल में चौड़ी हुई माल रोड की दरार

इस दरार की वजह से मॉल रोड को यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। यह दरार इतनी चौड़ी है कि स्थानीय लोगों के अनुसार मॉल रोड का यह हिस्सा कभी भी नैनीताल की झील में समा सकता है। 7 साल पहले 2018 में इसी लोअर मॉल रोड का एक बड़ा हिस्सा करीब 25 मीटर टूटकर ताल में समा चुका है। अब एक बार फिर मॉल रोड की दरार के चौड़ा होने से यहां के निवासियों और पर्यटकों के साथ ही प्रशासन भी चिंता में है। मल्लीताल में बोट क्लब के पास सात साल पहले जहां मॉलरोड गिरा था, उसी के पास यह दरार चौड़ी होने के कारण चिंता और बढ़ गई है। बता दें कि नैनीताल काफी संवेदनशील इलाके में बसा है। यहां भूस्खलन का इतिहास काफी पुराना और भयावह है। भूकंप के लिहाज से भी यह इलाका काफी संवेदनशील है।

हाल के दौर की बात करें तो नैनीताल में बलियानाला क्षेत्र में साल 2014 और 2022 में लैंडस्लाइड देखने को मिला था। नैनीताल में 1988-89 में नैनापीक (चाइना पीक) का हिस्सा खिसक गया था। इस लैंडस्लाइड से निचले इलाके में बसे घरों, सरकारी भवनों और होटलों को नुकसान पहुंचा था। कहा जाता है कि 1924 में भी नैनीताल और आसपास के इलाकों में कई लैंडस्लाइड हुए थे, उनका दस्तावेजीकरण नहीं हुआ है। लेकिन एक लैंडस्लाइड के बारे में सोचकर ही आज भी नैनीताल के लोग सिहर जाते हैं। यह नैनीताल के आधुनिक इतिहास का सबसे भयावह भूस्खलन था, जिसने नैनीताल को बदलकर रख दिया था।

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