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बिहार SIR: चुनाव आयोग ने कहा- 99.5 वोटर्स ने दाखिल किए पात्रता दस्तावेज, SC ने दिया पैरा लीगल वॉलिंटियर्स तैनाती का निर्देश

चुनाव आयोग ने यह बताया कि 1 से 25 सितंबर के बीच दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का समय तय है, लेकिन इसके बाद भी आपत्ति दर्ज कराने पर रोक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या क्या हुआ जानिए।

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Bihar SIR Row: चुनाव आयोग ने आज सुप्रीम कोर्ट में बताया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रकिया से आम लोगों को आपत्ति नहीं है। आपत्ति सिर्फ उन लोगों को है जो वोटर नहीं हैं। दावे और आपत्ति दाखिल करने की आखिरी तारीख बढ़ाने की मांग का विरोध करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि इससे पूरी प्रक्रिया प्रभावित हो जाएगी। अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करने का भी समय बढ़ जाएगा। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को लेकर उठ रहे सवालों पर जवाब देते हुए कहा है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए गए हैं। बीएलए को लिस्ट सौंपी गई है, वेबसाइट पर सूचनाएं जारी हुई हैं और अखबारों के माध्यम से जनता को जानकारी दी गई है।

बिहार SIR विवाद पर चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में जवाब (PTI)

1 से 25 सितंबर के बीच दावे और आपत्तियां होंगी दर्ज

आयोग ने यह भी बताया कि 1 से 25 सितंबर के बीच दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का समय तय है, लेकिन इसके बाद भी आपत्ति दर्ज कराने पर रोक नहीं है। यानी मतदाताओं को अपने नाम जुड़वाने या गलतियों को दुरुस्त कराने का पूरा अवसर दिया जा रहा है। चुनाव आयोग ने कहा कि 99.5 वोटर्स ने अपना रिन्यूमेरेशन फॉर्म फाइल कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में छूट गए लोग आधार के साथ दावा पेश कर सकते है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक और क़ानून के तहत आधार की जो अहमियत है, उसे आयोग को स्वीकार करना चाहिए। हालाकि कोर्ट अपनी ओर से आधार की अहमियत को नहीं बढ़ा सकता ( सिर्फ उतनी ही आधार की अहमियत होंगी, जितना मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक है)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दावे और आपत्तियां दाखिल करना एक सितंबर के बाद भी जारी रहेगा, लेकिन मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इन पर विचार किया जाएगा।

प्रशांत भूषण की दलील

चुनाव आयोग ने कहा कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन दाखिल कर सकते हैं। जो भी नाम शामिल होंगे, उन्हें मतदाता सूची में शामिल कर लिया जाएगा। अगर तारीख आगे बढ़ाई गई, तो यह एक अंतहीन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वहीं, प्रशांत भूषण ने कहा कि कोर्ट ने आधार को शामिल करने का आदेश 22 अगस्त को दिया था। बिहार में बाढ़ भी आई है। इससे भी गंभीर समस्या यह है कि आयोग पारदर्शिता संबंधी अपने ही निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। मुझे नहीं पता कि उन्होंने मेरा कौन सा फॉर्म अपलोड किया है।

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