अपनी शादी का कार्ड खुद बांट रहे अनंत अंबानी, जब नहीं था कागज तो कैसे छपते थे वेडिंग कार्ड, भारत में कब छपा था पहला कार्ड, दिलचस्प है वेडिंग इन्विटेशन का सफर

History of Wedding Invitations
इस वक्त देश में किसी की शादी की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है तो वो हैं मुकेश और नीता अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की। अनंत अंबानी जल्द ही राधिका मर्चेंट के साथ शादी के बंधन में बंधने वाले हैं। दोनों की शादी 12 जुलाई को होने वाली है। जिसे लेकर 6 महीने पहले से तैयारियां चल रही है। अनंत और राधिका की दो बार प्री वेडिंग सेरेमनी भी सेलिब्रेट की जा चुकी है। अब जब शादी नजदीक है ऐसे में घर वाले शादी के कार्ड्स बांटने में जुट गए हैं। दुल्हे राजा अनंत अंबानी खुद भी शादी का कार्ड बांट रहे हैं। इस वक्त अनंत अंबानी अपने खास दोस्तों और मेहमानों को कार्ड बांटने में जुटे हुए हैं। हाल ही में अनंत अंबानी अपनी शादी का कार्ड देने के लिए बॉलीवुड एक्टर अजय देवगन के घर गए थे। जब इनकी शादी की चर्चा हर तरफ हो रही है तो सोचिए शादी का कार्ड कैसा होगा। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि जब कागज, प्रिंटिंग मशीन नहीं थे तो शादी का न्योता कैसे दिया जाता था। किसने सबसे पहले शादी का कार्ड प्रिंट करवाया था और दुनिया का सबसे महंगा शादी का कार्ड किसका है। आज इस आर्टिकल में हम आपको इन सारे सवालों के जवाब देने जा रहे हैं। तो चलिए जानते है शादी के कार्ड का दिलचस्प इतिहास।
शादी के निमंत्रण का इतिहास
शादी का निमंत्रण भेजने की परंपरा प्राचीन रोमन काल से चली आ रही है, जब परिवार औपचारिक लिखित घोषणाओं के माध्यम से अपने बच्चों की शादी की घोषणा करते थे। हालांकि, शादी के निमंत्रण भेजने का आधुनिकरण 19वीं शताब्दी में विक्टोरियन युग के दौरान हुआ था। शादी के कार्ड छपवाने का चलन सिर्फ भारत ही नहीं कई देशों में है। शादी के कार्डो का इतिहास छपाई मशीन से भी पुराना बताया जाता है। भारत में पहले के जमाने में हाथ से लिखवाकर शादी का न्योता भेजा जाता था। इसे सुंदर तरीके से लिखने वाले शख्स से लिखवाया जाता था। निमंत्रण में शादी करने वाले जोड़े के नाम, शादी की तारीख, समय और स्थान, साथ ही ड्रेस कोड या रिसेप्शन विवरण जैसी अन्य प्रासंगिक जानकारी शामिल होती थी।
वहीं जब पोस्टल डिपार्टमेंट का चलन नहीं था,तब लिखित आमंत्रण पत्र हरकारों के हाथों में देकर दूसरे शहरों में भेजा जाता था और सूचना दी जाती थी। एक दौर ऐसा भी था जब लोग घर घर जाकर मौखिक निमंत्रण देकर आते थे।
आती थी इस तरह की दिक्कतें
जब प्रिंटिंग प्रेस नहीं हुआ करते थे तब हस्तलिखित विवाह निमंत्रण भेजे जाते थे। जिसे बनाने में कई तरह की समस्याएं आती थी। सबसे बड़ी समस्या यह होती थी कि उन्हें बनाने में काफी समय लगता था और मेहनत भी ज्यादा लगती थी। निमंत्रणों को हाथ से लिखना एक कठिन काम था जिसके लिए बहुत समय और प्रयास की आवश्यकता होती थी।
इसके अलावा, क्योंकि निमंत्रण हाथ से लिखे जाते थे, इसलिए इनमें गलतियों और त्रुटियों की संभावना भी ज्यादा होती थी, जिससे भ्रम या गलतफहमी पैदा होने की संभावना भी बढ़ जाती थी।
पारंपरिक विवाह निमंत्रणों के साथ एक और समस्या यह थी कि वे कस्टमाइज्ड और पर्सनलाइज्ड नहीं हुआ करते थे। चूंकि सभी निमंत्रण हाथ से लिखे जाते थे, इसलिए हर गेस्ट के लिए अलग कार्ड डिजाइन कर पाना काफी मुश्किल होता था।
मुनादी से कराई जाती थी शादी की घोषणा
प्रिंटिंग मशीन के आविष्कार से पहले 1447 में इंग्लैंड में एक व्यक्ति पूरे नगर में घूम कर जोर-जोर से आवाज देकर शादी का निमंत्रण दिया करता था। इस तरह न्योता देने को टाउन क्रायर के नाम से जाना जाता था। तब के समय में ये एक पेशा हुआ करता था।
ऐसे दी जाती थी राजा के शादी का न्योता
राजाओं द्वारा नगाड़ा या मुनादी पिटवा कर शादी का न्योता दिया जाता था और गांव वालों को आने के लिए आमंत्रित किया जाता था। इसके साथ ही शाही पत्रों और मुहरों के माध्यम से हाथ से लिखवाकर भी पड़ोसी और मित्र राजाओं को न्योता भेजा जाता था।
शादी के कार्ड का चलन
शादी के कार्ड का चलन मध्यकाल में यूरोप में शुरू हुआ था। जबकि सामंती वर्ग ने हाथ से लिखे सुंदर शादी के कार्ड का चलन शुरू किया जिसे बेहद खूबसूरती के साथ तैयार किया जाता था। इनमें बहुमूल्य चीजें भी जड़ी होती थीं।
प्रिंटिंग मशीन ने काम किया आसान
प्रिंटिंग मशीन आने के बाद शादी के कार्ड की छपाई बेहद आसान हो गई। छपाई मशीन आने के बाद कार्डों की कीमत में काफी गिरावट आई। आज, अधिकांश शादी निमंत्रण प्रिंटेड होते हैं और कार्ड्स भी कई डिजाइन्स में उपलब्ध हैं। अलग अलग भाषाओं में कार्ड प्रिंट किए जाते हैं। इसके अलावा, डिजिटल और ऑनलाइन शादी के निमंत्रण का चलन भी काफी बढ़ा है,जिसे दूर बैठे मेहमानों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा जाता है। डिजिटलाइजेशन होने के साथ ही प्रिंटेड कार्ड्स की कीमतों में भी काफी गिरावट आई।
भारत में कब छपा पहला कार्ड
भारत में शादी के कार्डों का चलन 19वीं सदी के पास का है। 19वीं सदी में प्रिंट होने वाले कार्ड बेरंग, सादे और आकार में छोटे हुआ करते थे। इन कार्ड्स का मुख्य उद्देश्य शादी से जुड़ी जानकारियां देना था। जिसमें जोड़े का नाम, शादी का समय तथा स्थान लिखा होता है।
दुनिया का सबसे महंगा कार्ड
वैसे तो दुनिया में कई महंगी शादियां हुई है। लेकिन मुकेश और नीता अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी की भी खूब चर्चा हुई थी। उनकी शादी पर कुल 770 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। वहीं ईशा की शादी का कार्ड 3 लाख रुपये का था।
कब रंगीन हुए कार्ड
कार्ड का रंग 1960 के आसपास बदला। 1960 में चटकीले रंगों का इस्तेमाल कर कार्ड्स प्रिंट किए जाने लगे जिससे ये खूबसूरत और आकर्षक लगने लगे। वहीं 1980 के दशक के आसपास कार्ड पर भगवान गणेश का चित्र या श्री राधा-कृष्ण का चित्र इस्तेमाल किया जाने लगा। वहीं कार्ड्स की डिजाइनिंग और पैकेजिंग भी काफी बदल गई है। अब शादी के कार्ड काफी डिजाइनर हो गए हैं।
कैसे होते थे पुराने जमाने में शादी के आमंत्रण
मिस्र- पुराने जमाने में मिस्र में शादी की घोषणा पपीरस स्क्रॉल के जरिए की जाती थी।
यूनान- यूनान में मौखिक घोषणाओं के साथ शादी का निमंत्रण दिया जाता था।
रोम- वहीं रोम में धातु या पत्थर पर उकेरकर शादी का न्योता दिया जाता था।
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ऋतु राज टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में लाइफस्टाइल डेस्क में बतौर चीफ कॉफी एडिटर कार्यरत हैं। उनकी हेल्थ और लाइफस्टाइल की खबरों पर अच्छी पकड़ है। यहां...और देखें

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