गणेश चतुर्थी का चांद देखने से क्या होता है, गणेश चतुर्थी का चांद क्यों नहीं देखना चाहिए, Aaj Chand Kab Dikhega 27 August 2025 (Moonrise time Today), 27 अगस्त को चांद कब निकलेगा: 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी का त्योहार है। इस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का चांद दिखेगा। आज गणेश चतुर्थी का चांद दिखेगा। मान्यताओं के आधार पर गणेश चतुर्थी का चांद नहीं देखना चाहिए। जानें आज यानी 27 अगस्त बुधवार का चांद निकलने का समय।
गणेश चतुर्थी का चांद देखने से क्या होता है, गणेश चतुर्थी का चांद क्यों नहीं देखना चाहिए, Aaj Chand Kab Dikhega 27 August 2025 (Moonrise time Today), 27 अगस्त को चांद कब निकलेगा: 27 अगस्त को बुधवार है और इस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि चल रही है। हालांकि पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ आज दोपहर से हो चुका है। लेकिन चतुर्थी की उदया तारीख होने और आज ही गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाए जाने की वजह से आज यानी 27 अगस्त का चांद देखना शुभ नहीं है। यहां जानें आज चांद का निकलेगा (Aaj Chand kab dikhega), Moonrise time Today of 27 August, क्या आज गणेश चतुर्थी का चांद है, आज चांद देखना है या नहीं।
27 अगस्त को चांद कब निकलेगा , क्या आज गणेश चतुर्थी का चांद है (Pic: Canva)
Aaj Chand Kab Dikhega 27 August 2025 (Moonrise time Today)
आज यानी 27 अगस्त 2025 को देश में चंद्र उदय का औसत समय लगभग सुबह 9:28 बजे होगा। वहीं नई दिल्ली में सुबह 08:58 AM पर चांद निकल आएगा। रात को चांद का समय लगभग 8:57 PM तक रहेगा। हालांकि स्थानानुसार यह समय थोड़ा बदल सकता है, लेकिन लगभग यही समय भारत के अधिकांश हिस्सों में सही माना जा सकता है।
27 अगस्त को बुधवार है और आज गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस वजह से आज का चांद देखना शुभ नहीं माना जा रहा है। हालांकि आज दोपहर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ आज दोपहर से हो चुका है। इस तरह आसमान में आज पंचमी का चांद दिखेगा लेकिन त्योहार की उदया तारीख होने की वजह से आज यानी 27 अगस्त का चांद देखना शुभ नहीं है।
आज यानी 27 अगस्त को चांद देखने का वर्जित समय 9:28 AM से 8:57 PM के बीच का रहेगा।
गणेश चतुर्थी का चांद क्यों नहीं देखा जाता है
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश जी ने बहुत अधिक लड्डू खा लिए और अपने वाहन मूषक (चूहे) पर बैठकर कहीं जा रहे थे। मार्ग में अचानक मूषक एक सांप को देखकर डर गया और गिर पड़ा। इससे गणेश जी भी नीचे गिर गए और उनका पेट फट गया।
गणेश जी ने तुरंत उस सांप को पकड़कर अपने पेट पर बांध लिया। यह दृश्य चंद्र देव ने देखा तो वह जोर से हंस पड़े। इस पर गणेश जी ने क्रोधित होकर उनको श्राप दिया कि - आज से जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन तुम्हारा दर्शन करेगा, उसे मिथ्या कलंक (झूठा आरोप) लगेगा और उसकी बदनामी होगी।
चंद्रमा के क्षमा याचना करने पर गणेश जी ने कहा कि इस चांद को देखने का दोष श्री कृष्ण का की स्यमंतक मणि की चोरी की कथा को सुनने से दूर हो सकता है।
गणेश चतुर्थी का चंद्र दोष की स्यमंतक मणि की कथा भगवान श्रीकृष्ण वाली
स्यमंतक मणि को सत्ययुग में सूर्यदेव का एक अद्भुत रत्न माना जाता है। इस मणि को समृद्धि और अनाज की भरमार का प्रतीक माना जाता था। एक दिन सूर्यदेव ने यह मणि अपने भक्त सत्राजित को दी। और वह इसे पहनकर द्वारका चला गया। उस मणि की चमक इतनी तेज थी कि लोग सत्राजित को देखकर समझ बैठे कि सूर्यदेव स्वयं आ गए हैं।
इस मणि को देखकर श्रीकृष्ण ने कहा – यह तो सूर्यदेव की दी हुई मणि है, इसे द्वारका और यदुवंश की समृद्धि के लिए राजा उग्रसेन को अर्पित करना चाहिए। लेकिन सत्राजित ने वह रत्न देने से इंकार कर दिया।
कुछ समय बाद सत्राजित का भाई प्रसनेन वह मणि पहनकर शिकार पर गया। रास्ते में उसे एक शेर ने मार डाला और मणि छीन ली। बाद में शेर को भी एक भालू जांबवान ने मार डाला। वह उस मणि को अपनी गुफा में ले गया।
उधर जब प्रसनेन वापस नहीं आया तो नगर में अफवाह फैल गई कि श्रीकृष्ण ने प्रसनेन को मारकर मणि ले ली है। लोगों ने कृष्ण जी पर चोरी और हत्या का झूठा आरोप लगा दिया। सत्य की रक्षा हेतु श्रीकृष्ण प्रसनेन के पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए शेर और फिर जांबवान की गुफा तक पहुंचे।
दोनों के बीच 28 दिन तक भयंकर युद्ध हुआ। अंत में जांबवान ने पहचान लिया कि ये तो स्वयं विष्णु के अवतार हैं। उसने श्रीकृष्ण को प्रणाम किया और स्यमंतक मणि लौटा दी। साथ ही अपनी पुत्री जांबवती का विवाह भी कृष्ण जी से कर दिया। जब श्रीकृष्ण मणि लेकर द्वारका लौटे, तब सभी को सत्य का ज्ञान हुआ और उन पर लगा झूठा आरोप मिट गया।