अध्यात्म

काल्पी का अद्भुत गणेश धाम, जहां विराजते हैं आदि संग सिद्ध गणपति, दर्शन भर से मानो पूरी होगी हर मनोकामना

Kalpi Ganesh Mandir: काल्पी का गणेश मंदिर इतिहास और आस्था का अद्भुत संगम है। छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास द्वारा स्थापित इस मंदिर में आदि गणेश और सिद्धि गणपति एक साथ विराजमान हैं। पेशवा बाजीराव और रानी लक्ष्मीबाई जैसे महान योद्धाओं की आस्था इस मंदिर से जुड़ी रही। आज भी भक्त मानते हैं कि यहां दर्शन करने से सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और विजय की प्राप्ति होती है।

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Kalpi Ganesh Mandir: काल्पी का नाम 1857 की आजादी की लड़ाई से गहराई से जुड़ा है, लेकिन इसकी पहचान इससे भी पुरानी है। यहां बना ऐतिहासिक गणेश मंदिर आज भी भक्तों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास ने 1569 में अपने देशव्यापी भ्रमण के दौरान करवाया था। लाल बलुआ पत्थर और चूने से बने इस मंदिर का गर्भगृह, विशाल आंगन और चारों ओर बना परिक्रमा मार्ग इसकी विशेषता है।

Kalpi Ganesh Mandir

मंदिर में दो गणपति एक साथ

इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां एक ही गर्भगृह में दो गणपति विराजमान हैं। सफेद संगमरमर से बनी पहली मूर्ति "आदि गणेश" की है, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 1749 में पेशवा बाजीराव प्रथम ने करवाई थी। दूसरी मूर्ति "सिद्धि गणपति" के रूप में जानी जाती है, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा रानी लक्ष्मीबाई ने करवाई थी। मंदिर में आकर भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण मानते हैं।

बाजीराव और छत्रसाल की विजय से जुड़ा प्रसंग

इतिहास में यह मंदिर उस समय खास चर्चा में आया जब बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल ने औरंगजेब के सेनापति वंगश खा से युद्ध के लिए बाजीराव प्रथम को सहायता के लिए बुलाया। युद्ध से पहले बाजीराव ने इस मंदिर में पूजा-अर्चना की और "आदि गणेश" का आशीर्वाद लिया। कहते हैं इसी आशीर्वाद की शक्ति से बाजीराव ने दुश्मनों की चार गुनी सेना को हराकर विजय प्राप्त की।

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