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बिजली नहीं, कोचिंग नहीं — फिर भी चंचल बनीं टॉपर, 99.83% के साथ चमकीं भरतपुर की बेटी

नई दिल्ली, 9 जून: राजस्थान के भरतपुर ज़िले के एक छोटे से गाँव पंडेका से आने वाली 15 वर्षीय चंचल मेहरा ने RBSE कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में 500 में से 499 अंक हासिल किए हैं। 99.83% के साथ वह राज्य की टॉप करने वाली छात्राओं में शामिल हैं, यह साबित करते हुए कि संसाधनों की कमी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती, अगर इरादे मजबूत हों।

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साधन-संसाधनों की सीमित पहुंच के बावजूद चंचल ने यह सफर तय किया है। वह संयुक्त परिवार में रहती हैं —दादा-दादी, चाचा-चाची, भाई-बहन, सभी एक ही छत के नीचे। उनके पिता धर्मपाल लगभग 600 किलोमीटर दूर एक शहर में काम करते हैं, ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके। इसका मतलब ये भी था कि इस बेहद अहम शैक्षणिक वर्ष में वे चंचल के साथ कम ही समय बिता पाए। चंचल की पढ़ाई और दिनचर्या की जिम्मेदारी मुख्यतः उनकी मां और छोटे भाई पर रही, जबकि पिता फोन पर सीमित बातचीत के ज़रिए उनका हौसला बढ़ाते रहे।

चंचल बनीं टॉपर

“ऐसे दिन भी आए जब शाम को बिजली नहीं होती थी। इनवर्टर न होने की वजह से मैं मम्मी का फोन भी चार्ज नहीं कर पाती थी जिससे ऑनलाइन क्लास देख सकूं,” चंचल याद करती हैं। “उस समय तो लगा था कि शायद मैं परीक्षा भी पास न कर पाऊं।”

बिजली की अनियमित आपूर्ति, कोचिंग की गैर-मौजूदगी और पढ़ाई के सीमित साधनों के बीच चंचल की तैयारी बहुत योजनाबद्ध नहीं थी। उन्होंने कोई सख़्त टाइमटेबल नहीं बनाया — बल्कि छोटे-छोटे समय निकालकर पढ़ाई की, घर के कामों और भाई के साथ खेलने के बीच।

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