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Dividend से हुई है कमाई, ITR filing में इस तरह जरूर दें जानकारी, वरना मिल जाएगा नोटिस

आपका बैंक अकाउंट नेट डिविडेंड दिखाता है यानी TDS कटने के बाद की राशि। वहीं, AIS और Form 26AS में ग्रॉस डिविडेंड दर्ज होता है यानी TDS कटने से पहले की पूरी रकम और काटा गया TDS अलग से दिखाया जाता है। कई बार डिविडेंड छुट्टी के दिन खाते में जमा होने या किसी कम इस्तेमाल वाले अकाउंट में आने से भी यह अंतर हो सकता है।

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इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय टैक्सपेयर्स के सामने अक्सर डिविडेंड इनकम को लेकर उलझन आ जाती है। कई बार बैंक अकाउंट में दिखाई देने वाली रकम और आयकर विभाग की एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) या Form 26AS में दर्ज राशि मेल नहीं खाती। ऐसे में सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि आखिर ITR में किसे सही माना जाए। अगर सावधानी नहीं बरती गई तो गलत जानकारी भरने पर आयकर विभाग से नोटिस भी मिल सकता है।

ITR Filing Mistakes to Avoid

डिविडेंड इनकम में फर्क क्यों आता है?

असल में, आपका बैंक अकाउंट नेट डिविडेंड दिखाता है यानी TDS कटने के बाद की राशि। वहीं, AIS और Form 26AS में ग्रॉस डिविडेंड दर्ज होता है यानी TDS कटने से पहले की पूरी रकम और काटा गया TDS अलग से दिखाया जाता है। कई बार डिविडेंड छुट्टी के दिन खाते में जमा होने या किसी कम इस्तेमाल वाले अकाउंट में आने से भी यह अंतर हो सकता है।

ITR में किसे दिखाना है सही?

ITR फाइल करते समय हमेशा ग्रॉस डिविडेंड इनकम को शामिल करना चाहिए। यानी कंपनी या म्यूचुअल फंड द्वारा घोषित पूरी राशि। इसे आपको "इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज" (Schedule OS) में दर्ज करना होगा। वहीं, Form 26AS या AIS में दिखाए गए TDS को आप TDS शेड्यूल में दर्ज करें और क्रेडिट क्लेम करें।

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