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पहाड़ों-सुरंगों और नदियों से पाया पार, इन राज्यों में बने नए रेलवे स्टेशन; नॉर्थ ईस्ट में बिछ रहा पटरियों का जाल

त्रिपुरा में रेलवे लाइन सीमाओं तक पहुंच गई है, मेघालय में पहला रेलवे स्टेशन बना है, जबकि अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और असम नई लाइनों, विद्युतीकरण और दोहरीकरण कार्यों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हर राज्य की यात्रा दर्शाती है कि रेलवे किस तरह पूर्वोत्तर को नया आकार दे रहा है।

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भारत के पूर्वोत्तर की धुंध से ढकी पहाड़ियों और गहरी घाटियों में, स्टील की पटरियों पर एक क्रांति उभर कर सामने आ रही है। एक वक्त में जिसे कभी सुदूर इलाका माना जाता था, अब महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाओं से जुड़ रहा है, जो न केवल संपर्क में बढ़ोत्तरी की तरफ इशारा कर रहा है, बल्कि भारत के पूर्वोत्तर सीमांत क्षेत्र के लिए वाणिज्य, गतिशीलता और एकीकरण के एक नए युग का भी संकेत दे रहा है। रेल मंत्रालय के अनुसार, पिछले एक दशक में पूर्वोत्तर ने अपने रेलवे मानचित्र को अभूतपूर्व रफ्तार से बदलते देखा है। लंबे समय से लंबित परियोजनाएं महज सर्वेक्षण दस्तावेजों से बाहर निकलकर हकीकत में तब्दील हो गई हैं, उन राज्यों में नए स्टेशन खुल रहे हैं, जहां एक सदी से भी ज्यादा समय से कोई स्टेशन नहीं था और राजधानियां आखिरकार राष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ रही हैं। इनमें मिजोरम की 51 किलोमीटर लंबी बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन भी शामिल है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

नॉर्थ ईस्ट रेल परियोजनाएं (फोटो-Istock)

मेघालय में पहला रेलवे स्टेशन बना

यह एक ऐसा अहम मुकाम है, जिसने आखिरकार आइजोल को भारत के रेलवे मानचित्र में शामिल कर दिया है। गुवाहाटी के चहल-पहल वाले इलाकों से लेकर मिजोरम और नागालैंड की शांत सीमाओं तक, पहाड़ों, सुरंगों और नदियों के पार नई लाइनें बिछाई जा रही हैं, जो न सिर्फ संपर्क, बल्कि जीवन की लय को भी बदलने का वादा करती हैं।

रेलवे का दायरा पूर्वोत्तर में विस्तृत हो रहा है। कभी महज कुछ चुनिंदा स्टेशनों पर निर्भर रहने वाला यह क्षेत्र, अब रेलवे के पुनर्जागरण के मुहाने पर खड़ा है। 2014 से इस क्षेत्र के लिए रेलवे आवंटन पांच गुना बढ़कर 62,477 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। इसमें से 10,440 करोड़ रुपए चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित किए गए हैं। 77,000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं के साथ यह क्षेत्र अपने इतिहास में रेल निवेश की सबसे बड़ी लहर देख रहा है। मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर और अन्य राज्यों में लंबे समय से लंबित परियोजनाएं आखिरकार राजधानियों को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ रही हैं।

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