Digital Education in India: इंटरनेट ने पढ़ने-लिखने के तरीके को काफी बदलकर रख दिया है। डिजिटल क्रांति ने शिक्षा में काफी हद तक बदलाव किये हैं। अब शिक्षा सिर्फ पढ़ने-लिखने नहीं बल्कि सीखने के नए-नए तरीकों के बारे में है। हालांकि भारत में अब भी टेक्नोलॉजी की पहुंच एक चुनौती बना हुआ है। जहां एक तरफ टेक्नोलॉजी और डिजिटल एजुकेशन की बात हो रही है, वहीं देश में दूसरी तरफ बच्चों को ये सब सिखाने के लिये स्कूलों में शिक्षक ही मौजूद नहीं हैं।
World Literacy Day 2025: एक वक्त था जब लकड़ी की चिकनी स्लेटों पर पढ़ाई की जाती थी। मगर आज पढ़ने-लिखने का तरीका पूरी तरह से बदल चुका है। डिजिटल क्रांति ने जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा बदलाव किये हैं वो है शिक्षा का क्षेत्र। कुछ दशक पहले शिक्षा का मतलब सिर्फ स्कूल जाना, ब्लैकबोर्ड, नोटबुक और क्लासरूम तक ही सीमित था। मगर आज अगर ये कहा जाए कि लर्निंग हमारी जेब में है, तो कुछ गलत नहीं होगा। लेकिन जिस युग में टेक्नोलॉजी और डिजिटल एजुकेशन की बात हो रही है, उसी युग में देश के कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जहां टेक्नोलॉजी तो दूर छात्रों को बेसिक एजुकेशन देने के लिये शिक्षक ही उपलब्ध नहीं हैं। यही वजह है कि साल 2025 का विश्व साक्षरता दिवस भी कुछ अलग है। इस बार जहां विश्वभर में डिजिटल युग में शिक्षा और सीखने के नए तरीकों पर चर्चा बरकरार है, वहीं भारत में ये सब अब भी एक सपने जैसा ही है।
Digital Revolution
शिक्षा की जबरदस्त टेक्नोलॉजी क्रांति
टेक्नोलॉजी में क्रांति हुई तो शिक्षा पर इसका काफी हद तक असर देखने को मिला। अब पढ़ाई करना पहले की तुलना में काफी आसान हो गया है। वो भी एक वक्त था जब तख्ती-चॉक लेकर बच्चे गुरुकुल जाया करते थे। और आज यानी 2025 में टैबलेट, स्मार्टफोन या फिर AI ट्यूटर से जब चाहें जहां चाहें पढ़ाई हो रही है। पढ़ाई में एआई के इस्तेमाल ने छात्रों के लिये शिक्षा को और भी आसान बना दिया है। अब वे जब चाहें एआई से अपनी कन्फ्यूजन को दूर कर सकते हैं। साथ ही अपने तरीके से पढ़ सकते हैं।
पढ़ाई में डिजिटल क्रांति ने वाकई शानदार बदलाव किए हैं। मोबाइल, इंटरनेट और ऑनलाइन क्लासेज की मदद से सीखना अब पहले के मुकाबले काफी आसान हो गया है। मगर फिर भी भारत जैसे देशों में ये बदलाव हर किसी तक पहुंच पाना अब भी चुनौती बना हुआ है। देश के दूरदराज के गांवों और इलाकों में अब भी ना तो सही तरीके से इंटरनेट पहुंच सका है और ना ही वहां बिजली की कोई व्यवस्था है। बहुत से परिवार ऐसे हैं जो गरीब हैं और उनके पास मोबाइल फोन तो दूर बिजली की भी कोई व्यवस्था नहीं होती। ऐसे में बेशक हम कितने ही क्रांतिकारी बदलावों की बात करें, मगर ऐसे घरों के लिये शिक्षा अब भी महज एक सपना ही है।
World Literacy Day
पिछले 10 सालों में क्या-क्या बदला?
बात करें शिक्षा में पिछले 10 सालों में हुए बदलाव की तो पहले शिक्षा का मतलब सिर्फ स्कूल जाना, किताबों में लिखे शब्दों को रटना और शिक्षक की बातों को सुनना ही था। मगर अब डिजिटल क्रांति ने इसे कहीं ज्यादा आसान और रोचक बना दिया है। ऑनलाइन क्लासेज, वीडियो ट्यूटोरियल, इंटरैक्टिव ऐप्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड टूल्स ने पढ़ाई को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। इंटरनेट आने के बाद छात्रों के पास पढ़ाई के असीमित साधन हैं। कुल मिलाकर कहें तो पिछले दस सालों में पढ़ने लिखने का तरीका पारंपरिक ना होकर एक स्मार्ट, डिजिटल और हर शख्स तक पहुंचने वाली एक बड़ी क्रांति बन चुका है। आज की पीढ़ी के पास ज्ञान का समंदर है, जिससे वे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना सीख रहे हैं।
डिजिटल शिक्षा के लिये कितना तैयार है भारत?
बात करें सरकारी स्कूलों की तो कई स्कूलों में जरूरी संसाधनों की भारी कमी है। ऐसे में इस डिजिटल क्रांति का खास फायदा सभी तक नहीं पहुंच रहा है। इसके अलावा बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें टेक्नोलॉजी का सही तरीके से इस्तेमाल करना नहीं आता। ऐसे में डिजिटल साक्षरता अपने आप में एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इसलिये ये कहना गलत नहीं होगा कि बदलाव तो हुए हैं मगर जब तक देश के कोने-कोने में ये बदलाव नहीं पहुंचेगा, तब तक शिक्षा में समानता ला पाना बेहद मुश्किल होगा।
एक तरफ तो डिजिटल शिक्षा की बात हो रही है मगर दूसरी तरफ देश के कई बड़े राज्य ऐसे हैं, जहां छात्रों को ये डिजिटल शिक्षा देने के लिए टीचर्स ही मौजूद नहीं हैं और सैकड़ों स्कूल शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। साल 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरुग्राम के सरकारी स्कूलों में तकरीबन 474 शिक्षकों की कमी है। इससे बच्चों की पढ़ाई पर बहुत ही बुरा असर पड़ रहा है। कई स्कूलों में तो सिर्फ दो ही टीचर्स हैं, जो कि बच्चों को सारे सब्जेक्ट्स पढ़ाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के 2460 सरकारी स्कूलों में 11 हजार से भी ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने जानकारी दी कि मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70,000 शिक्षकों की कमी है। वहीं 1275 स्कूल ऐसे हैं, जहां कोई भी टीचर नहीं है।
World Literacy Day 2025
इंटरनेट की असमान पहुंच
शहरी इलाकों की बात करें तो यहां इंटरनेट का एक्सेस काफी अच्छा है। मगर ग्रामीण इलाकों में अब भी कनेक्टिविटी की काफी कमी है।
कई गांवों में नेटवर्क तो है मगर स्पीड इतनी कम है कि ऑनलाइन क्लासेज ले पाना उनके लिये किसी चुनौती से कम नहीं है।
डिजिटल डिवाइस बनी मुश्किल
देश में अब भी लाखों बच्चे ऐसे हैं, जिनके पास स्मार्टफोन, लैपटॉप नहीं हैं।
कई बार ऐसा होता है कि कई सारे बच्चे एक ही मोबाइल से पढ़ाई करते हैं। ऐसे में बच्चों का समय और क्वालिटी दोनों ही खराब होता है।
टेक्निकल सपोर्ट की कमी
कई इलाकों में बिजली की स्थिति अब भी बदहाल है।
बिना बिजली के डिजिटली लंबे समय तक काम कर पाना असंभव सा है।
स्कूलों में बदतर व्यवस्था
देश के सरकारी स्कूलों में संसाधनों का भारी अभाव है।