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Mirchi Mooshak Season 3: मिर्ची ने ‘बप्पा है तो मुमकिन है’ को किया साकार, मदद के लिए आगे आए लोग

Mirchi Mooshak Season 3: मुंबई में गणेश चतुर्थी बस एक त्योहार नहीं बल्कि इस शहर का दिल है। ढोल-ताशों की थाप में मस्ती, मोदक की मिठास में प्यार और एक-दूसरे के लिए साथ खड़े होने की भावना है। इस बार मिर्ची मुंबई अपने खास अभियान ‘मिर्ची मूषक सीजन 3: बप्पा है तो मुमकिन है’ ने इसे और भी खास बना दिया।

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Mirchi Mooshak Season 3: मुंबई में गणेश चतुर्थी केवल एक पर्व नहीं ये इस शहर की धड़कन है। यह ढोल-ताशे की थापों में छिपा उल्लास है, मोदक की मिठास में घुली मासूमियत है और सबसे बढ़कर एक-दूसरे के लिए खड़े रहने की परंपरा है। इस बार मिर्ची मुंबई ने अपने खास अभियान ‘मिर्ची मूषक सीजन 3: बप्पा है तो मुमकिन है’ से इसे और खूबसूरत बना दिया।

Image Source: Radio Mirchi

पूरे दस दिनों तक चिंचपोकळीचा चिंतामणि पंडाल केवल पूजा-अर्चना का स्थल नहीं रहा, बल्कि उम्मीदों और करुणा का केंद्र बन गया। सुबह 8 बजे से लेकर सप्ताहांत की मध्यरात्रि तक मिर्ची के लोकप्रिय आरजे ज्ञानेश्वरी, यशी, अनमोल, प्रेरणा और शारदा लगातार लोगों से मिलते रहे और उनकी व्यथाएं सुनते रहे। लोगों की कहानियों को उन्होंने पूरे शहर में फैलाया। वहां हर कहानी बप्पा के नाम पर गाई जाने वाली आरती की तरह थी। मन को छूने वाली, आंखें नम कर देने वाली।

इसाबेला, जो चार बच्चों की मां है, ने कांपते हाथों से बताया कि उनके घर में अगले दिन खाना नहीं बनेगा। सुनने वालों का दिल पिघल गया। फिर श्रोता हेमल भट्ट ने चुपके से पूरे महीने का राशन भिजवा दिया। ये सिर्फ खाना नहीं, बल्कि जिंदगी और इज्जत वापस लाने वाला कदम था। मालाड की गीता सिंह ने इमोशनल होते हुए कहा कि उनकी एक बेटी की फीस बाकी है और दूसरी के पास स्कूल बैग तक नहीं। तभी मुलुंड की रंजनी ने ठान लिया, 'हर बच्चे को पढ़ना चाहिए।' उन्होंने फीस, किताबें और बैग सब दे दिया। गीता की आँखों में जो शुक्रिया था, वही मुंबई की असली शान है।

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