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भारत का SCO समिट में मास्टरस्ट्रोक: पाकिस्तान हुआ किनारे, अमेरिका को सख्त संदेश और यूक्रेन पर तटस्थ रणनीति

चीन में हाल ही में आयोजित हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट से भारत को कई महत्वपूर्ण फायदे हुए हैं। इस समिट ने भारत को न केवल क्षेत्रीय मंच पर अपनी कूटनीतिक स्थिति मजबूत करने का अवसर दिया, बल्कि उसे वैश्विक राजनीति में भी अपनी भूमिका को और प्रभावशाली बनाने का मौका मिला। SCO में भारत की सक्रिय भागीदारी से यह साफ हुआ कि वह अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग को प्राथमिकता देता है और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर गंभीर है।

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चीन के तियानजिन में पिछले दो दिनों में भारत ने एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक खेला है जिससे उसने एक ही तीर से कई निशाने साध लिए हैं। यहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें भारत एक अहम सदस्य के रूप में शामिल था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस समिट में हिस्सा लेने तियानजिन पहुंचे, जहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत कई अन्य देशों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। ये मुलाकातें भले ही सामान्य लग रही हों, लेकिन इनकी कूटनीतिक अहमियत बहुत बड़ी थी। भारत ने यहां ऐसी कूटनीतिक चाल चली कि जहां पाकिस्तान पूरी तरह से किनारे हो गया, वहीं अमेरिका को भी एक साफ और सख्त संदेश भेजा गया, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा रखा है। इसके अलावा, यूक्रेन में शांति के लिए भारत की तटस्थ नीति ने ऐसा प्रभाव छोड़ा कि रूस और यूक्रेन दोनों ही भारत की भूमिका को सकारात्मक नजरों से देखने लगे हैं और उसके प्रयासों की सराहना कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के उन दावों पर भी ग्रहण लग गया, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को 24 घंटे में खत्म करने का दावा किया था।

एससीओ समिट में भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत (फोटो- AP)

पाकिस्तान हुआ साइडलाइन

SCO समिट में पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है, जिससे उसकी कूटनीतिक छवि प्रभावित हुई है। इस बार के शंघाई सहयोग संगठन के वार्षिक सम्मेलन में पाकिस्तान की भूमिका अपेक्षा से कमजोर रही। भारत ने इस मंच पर अपनी उपस्थिति को प्रभावशाली ढंग से दर्ज कराया और क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और राजनीतिक स्थिरता के मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाई। यह घटना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि उसे लगातार SCO जैसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर अपनी बात रखने और समर्थन जुटाने में मुश्किलें आ रही हैं। ये भारत की कूटनीतिक जीत ही है कि SCO घोषणापत्र में एक ओर जहां पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की गई है, जिसमें सीधे तौर पर पाकिस्तान का हाथ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर भारत के इस रुख से भी सहमति जताई कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ‘‘दोहरे मानदंड’’ अस्वीकार्य हैं। घोषणापत्र में कहा गया- "सदस्य देश आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा करते हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंड अस्वीकार्य हैं और वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों सहित आतंकवाद का मुकाबला करने का आह्वान करते हैं।"

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