Mission Gaganyaan: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मिशन गगनयान की तरफ एक और कदम बढ़ा दिए हैं। इसरो ने महेंद्रगिरि में अपने प्रणोदन परिसर में गगनयान सेवा मॉड्यूल प्रणोदन प्रणाली (SMPS) के दो 'हॉट टेस्ट' सफलतापूर्वक पूरे किए। ऐसा माना जा रहा था कि 2026 की शुरुआत में मिशन की लॉन्चिंग हो सकती है।
Mission Gaganyaan: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मिशन गगनयान की तरफ एक और कदम बढ़ा दिए हैं। इसरो ने महेंद्रगिरि में अपने प्रणोदन परिसर में गगनयान सेवा मॉड्यूल प्रणोदन प्रणाली (SMPS) के दो 'हॉट टेस्ट' सफलतापूर्वक पूरे किए। इसरो ने एक बयान जारी कर बताया कि यह परीक्षण बेहद कम समय क्रमश: 30 सेकंड और 100 सेकंड तक चले, जिनका उद्देश्य नमूना विन्यास (टेस्ट आर्टिकल कन्फीग्यूरेशन) को सत्यापित करना था।
गगनयान मिशन (फोटो साभार: ISRO)
क्या होता है हॉट टेस्ट
'हॉट टेस्ट' एक प्रकार का परीक्षण होता है जिसमें रॉकेट या अंतरिक्ष यान की प्रणोदन प्रणाली को वास्तविक स्थितियों में चलाकर परखा जाता है। यह परीक्षण सुनिश्चित करता है कि इंजन या थ्रस्टर अंतरिक्ष में अपेक्षित परिस्थितियों में सही काम करेंगे या नहीं। बकौल इसरो, गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की यह क्षमता प्रदर्शित करना है कि वह एक मानवयुक्त अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में प्रक्षेपित कर सकता है और इस मिशन से प्राप्त अनुभव बेहद अहम होगा तो चलिए विस्तार से गगनयान मिशन के बारे में समझते हैं और जानते हैं कि यह कब लॉन्च होगा और इससे हमें क्या फायदा होने वाला है?
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है जिसका मकसद भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किमी की ऊंचाई पर ले जाना है। इस कार्यक्रम के मुताबिक, तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में तीन दिनों के लिए भेजा जाएगा और फिर उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाएगी। यह मिशन भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता हासिल करने वाला अमेरिका, रूस, और चीन के बाद चौथा देश बनाएगा।
बकौल इसरो, गगनयान मिशन के लिए कई अहम तकनीकों का विकास शामिल है, जिसमें मानव अनुकूल प्रमोचन यान, अंतरिक्ष में चालक दल को सुरक्षित ले जाने के लिए, पृथ्वी जैसा माहौल मुहैया कराने के लिए जीवन समर्थन प्रणाली, चालक दल के आपातकालीन निकास का प्रावधान और प्रशिक्षण, चालक दल की वापसी और पुनर्वास के लिए चालक दल के प्रबंधन पहलुओं को विकसित करना शामिल है।
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 400 किमी की ऊंचाई पर मौजूद अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर प्रयोग कर रहे हैं, जिनके अनुभवों का इसरो को फायदा होगा। शुभांशु शुक्ला एकलौते भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं जिनको स्पेस स्टेशन जाने का सौभाग्य मिला। ऐसे में शुभांशु शुक्ला का तजुर्बा गगनयान मिशन की सफलता के लिए आधार तैयार करेगा।
अंतरिक्ष यात्रियों की हो रही ट्रेनिंग
गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया जा चुका है और उनकी ट्रेनिंग चल रही है। चुने गए अंतरिक्ष यात्रियों में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और विंग कमांडर सुबानशु मिश्रा शामिल हैं, लेकिन इनमें से तीन अंतरिक्ष यात्री ही मिशन पर रवाना होंगे।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (फोटो साभार: @Axiom_Space)
मिशन 'गगनयान' को कब लॉन्च किया जाएगा? इस सवाल का जवाब लगभग हर किसी को जानना है, लेकिन कई बार लॉन्चिंग समयसीमा में इजाफा किया गया है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया था कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो गगनयान मिशन की लॉन्चिंग 2027 की शुरुआत में हो सकती है। इस मिशन को जब ऐलान हुआ था तो 2022 में इसे लॉन्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से ऐसा हो न सका और नई समयसीमा 2025 की निर्धारित की गई, लेकिन फिर तकनीकी जटिलताओं की वजह से एक बार फिर से नया लक्ष्य निर्धारित किया गया।
ऐसा माना जा रहा था कि 2026 तक मिशन की लॉन्चिंग हो सकती है, लेकिन केंद्रीय मंत्री ने सबकुछ साफ कर दिया है कि अगर सबकुछ सही रहा तो 2027 की शुरुआत में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन की लॉन्चिंग संभव हो पाएगी।