मिनरल्स, डायमंड, रणनीतिक समझौते...PM मोदी का नामीबिया दौरा भारत के लिए कितना अहम? जानिए दोनों देशों के संबंधों का इतिहास

नामीबिया दौरे पर पीएम मोदी (फोटो - @MEAIndia)
PM Modi Namibia Visit: अपनी पांच देशों की यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार (9 जुलाई) को नामीबिया की राजकीय यात्रा पर पहुंचे। यहां पीएम मोदी को नामीबिया ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा। पीएम मोदी इस दक्षिणी अफ्रीकी देश में राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह के निमंत्रण पर नामीबिया पहुंचे। वह इस पद पर निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं। मोदी को सर्वोच्च सम्मान देना बताता है कि ये देश भारत को कितनी अहमियत देता है और नए भारत के साथ सहयोग का इच्छुक है। आइए समझते हैं कि भारत के लिए भी नामीबिया कितना अहम है।
खनिज, यूरेनियम व्यापार के लिए नामीबिया अहम
पीएम मोदी की यात्रा का उद्देश्य खनिज, यूरेनियम व्यापार, डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास, हीरा निर्यात और स्वच्छ ऊर्जा निवेश में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए रणनीतिक संबंधों को गहरा करना है। मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में प्रधानमंत्री का यह दौरा बेहद अहम है और भारत को इस देश के साथ संबंधों को बढ़ाकर लाभ मिल सकता है। खनिजों के साथ ही हीरा निर्यात, ऊर्जा निवेश और रणनीतिक साझेदारी से दोनों देश एक-दूसरे के लिए अहम साबित हो सकते हैं। यह पीएम मोदी की नामीबिया की पहली और भारत से किसी प्रधानमंत्री की तीसरी यात्रा है। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने नामीबिया के संस्थापक पिता और प्रथम राष्ट्रपति सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री मोद ने नामीबियाई संसद में भी भाषण दिया। पीएम मोदी की यात्रा भारत के नामीबिया के साथ बहुआयामी और गहरे ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाती है।
भारत-नामीबिया संबंधों का इतिहास क्या है?
औपनिवेशिक अतीत और उत्तर-औपनिवेशिक साझेदारी के अलावा, भारत और नामीबिया के बीच मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंध भी हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, नामीबिया के लोग और यहां की लीडरशिप भारत को एक भरोसेमंद और विश्वसनीय मित्र मानते हैं। भारत ने नामीबिया के मुक्ति संग्राम में उसका साथ दिया था, जिससे दोनों देशों के संबंध और भी मजबूत हुए हैं।
भारत ने नामीबिया की मुक्ति संग्राम का किया समर्थन
1946 में, भारत संयुक्त राष्ट्र में नामीबिया की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाने वाले पहले देशों में से एक था। नामीबिया के मुक्ति संग्राम का नेतृत्व करने वाले SWAPO (दक्षिण पश्चिम अफ्रीका जन संगठन) का पहला विदेश दूतावास 1986 में नई दिल्ली में स्थापित किया गया था। भारत ने इस संघर्ष में भौतिक सहायता और सैन्य प्रशिक्षण दिया, और भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल दीवान प्रेम चंद ने शांति प्रक्रिया और चुनावों की निगरानी के लिए नामीबिया में तैनात संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UNTAG) का नेतृत्व (1989-1990) किया था।
भारत-नामीबिया संयुक्त आयोग की बैठक
नामीबिया की स्वतंत्रता के बाद, 21 मार्च, 1990 को भारतीय पर्यवेक्षक मिशन को एक पूर्ण उच्चायोग में बदला गया। नामीबिया ने मार्च 1994 में नई दिल्ली में एक पूर्ण मिशन खोला। भारत-नामीबिया विदेश कार्यालय परामर्श का चौथा दौर 3 नवंबर, 2022 को विंडहोक में हुआ, जहां दोनों पक्षों ने मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की। भारत-नामीबिया संयुक्त आयोग की पहली बैठक 5 जून, 2023 को विंडहोक में हुई। यह व्यापार और आर्थिक सहयोग, शिक्षा और क्षमता निर्माण, फोरेंसिक विज्ञान, स्वास्थ्य, जैव विविधता, कला और संस्कृति, रक्षा, कृषि, बुनियादी ढांचे के विकास और ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग की व्यापक समीक्षा थी।
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