Social Media बैन ही नहीं कई और वजहों से भी सुलग रहा था नेपाल, जानिए क्यों बागी हुई Gen-Z?

नेपाल में संग्राम छिड़ने की क्या वजह?(AP)
पड़ोसी देश नेपाल में पिछले दोनो दिनों से संग्राम मचा हुआ है। सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवा और छात्र एकजुट होकर सड़कों पर उतर पड़े। प्रदर्शन इतना उग्र था कि छात्र संसद परिसर तक में घुस गए। नेपाल के कोने-कोने से प्रदर्शन और झड़पों की खबर आने लगी। हालात संभालने के लिए सेना को सड़कों पर उतारना पड़ा। प्रदर्शन हिंसक हो उठा और उग्र प्रदर्शनाकारियों से निपटने के लिए पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई। लेकिन क्या सिर्फ सोशल मीडया ही इस विरोध प्रदर्शन की एकमात्र वजह है, ऐसा नहीं है। इसके अलावा भी कई मुद्दे लंबे समय से सुलग रहे थे और सोशल मीडिया पर बैन के मुद्दे ने इन्हें भी हवा दे दी। किन-किन मुद्दों की वजह से हालात बदतर हुए, आइए समझते हैं।
पहली बार नेपाल के युवा, 'जेनरेशन Z' सड़कों पर
भारी विरोध-प्रदर्शन के बाद नेपाल सरकार ने हालांकि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटा लिया, लेकिन ये काफी नहीं था। सोमवार की घटनाओं ने नेपाल में खासकर युवाओं के बीच, लंबे समय से पनप रहे गुस्से को और भड़का दिया। दरअसल, मौजूदा विरोध प्रदर्शनों को जेनरेशन Z विरोध प्रदर्शन कहा जा रहा है, क्योंकि इसमें शामिल कई लोग 28 साल से कम उम्र के हैं। सोमवार को हजारों लोग संसद के बाहर जमा हुए थे, जिनमें से कई ने स्कूल यूनिफॉर्म पहनी हुई थी। पुलिस कार्रवाई में हुई मौतों के बाद गृह मंत्री रमेश लेखक ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया। यह पहली बार था जब नेपाल के युवा, यानी 'जेनरेशन Z', इस तरह सड़कों पर उतरे। आयोजकों ने राजनीतिक दलों और उनकी युवा शाखाओं से दूर रहने को कहा है।
क्यों लगाया गया सोशल मीडिया पर बैन?
नेपाल सरकार ने पिछले हफ्ते मेटा के स्वामित्व वाले फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब सहित 26 सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इन्होंने सरकार के पहले के आदेश का पालन नहीं किया था। नेपाल सरकार साइबर अपराधों, फर्जी खबरों और भ्रामक सामग्री में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए एक साल से भी ज्यादा समय से बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को नियंत्रित करने की मांग कर रही है। पिछले महीने नेपाल की सर्वोच्च अदालत के एक आदेश के बाद सरकार ने कंपनियों को सरकार के साथ पंजीकरण कराने, शिकायत निवारण अधिकारी का नाम बताने और सरकार द्वारा चिह्नित पोस्ट हटाने पर सहमति देने की अंतिम समय-सीमा दी थी। जिन कंपनियों ने पंजीकरण नहीं कराया, उन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया।
आत्म-अभिव्यक्ति पर नियंत्रण की कोशिश
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, टिकटॉक, वाइबर, वीटॉक, निंबज और पोपो लाइव जैसे ऐप जो पंजीकरण कराकर प्रतिबंध से बच गए हैं, उनकी सेवाएं पहले की तरह जारी हैं। टिकटॉक पर पहले 2023 में प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन सरकार के साथ समझौते के बाद इसे फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी गई थी। प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं है, लेकिन हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि जो लोग नेपाल में व्यापार करते हैं, पैसा कमाते हैं, और फिर भी कानून का पालन नहीं करते हैं। इससे यह संदेश गया कि सरकार आत्म-अभिव्यक्ति पर नियंत्रण, आलोचनाओं को दबाने और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है।
लेकिन सिर्फ सोशल मीडिया बैन ही नहीं, बल्कि कई और मुद्दे भी इस विरोध प्रदर्शन की वजह बने।
रोजगार के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर
इसके अलावा, नेपाल की पर्यटन-संचालित अर्थव्यवस्था में कई लोग अपने व्यवसायों के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर हैं, जबकि प्रवासियों के लिए सोशल मीडिया अपने देश और पीछे छूटे परिवार के सदस्यों के संपर्क में रहने का एक सस्ता व लोकप्रिय तरीका है। ऐसे में जब ये संदेश गया कि उनके रोजगार पर ही संकट पैदा किया जा रहा है, लोग सड़कों पर उतर पड़े।
नौकरियों और अवसरों की कमी
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध नेपाल में चल रहे व्यापक उथल-पुथल का प्रतीक है। विशेषकर युवा वर्ग, 70 वर्ष से अधिक की उम्र के नेताओं के एक ही समूह से लगातार निराश हो रहा है। ये उम्रदराज नेता भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं, और 2008 में देश के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के बाद से सत्ता में आते-जाते रहे हैं। ये नेता कभी सत्ता से दूर नहीं जाते और हर बार उनकी वापसी हो जाती है। युवा और नए चेहरों को मौका ही नहीं मिलता।
नेपाली युवाओं में बढ़ती शिकायतें
नेपाल के युवाओं के पास सरकार से नाखुश होने के कई कारण हैं। नेपाल में रोजगार सृजन धीमा है, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से बढ़ी असमानता बहुत ज़्यादा है, और कई युवा देश छोड़ रहे हैं। इन सबने युवाओं के मन में निराशा और आक्रोश को जन्म दिया।
शीर्ष स्तर के भ्रष्टाचार से हुए परेशान
सोमवार की घटनाओं से पहले सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का विरोध कर रहे युवा, सत्ता मे बैठे लोगों के भ्रष्टाचार और 'नेपो बेबीज' के बारे में भी पोस्ट कर रहे थे, ताकि जड़ जमाए सत्ताधारियों पर प्रहार किया जा सके। नेपाल के लगभग सभी वरिष्ठ नेता किसी न किसी तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं। 2006 से यह प्रथा चली आ रही है कि अगर इनके खिलाफ कैबिनेट सो कोई नीतिगत फैसला लिया जाता है, तो राजनेताओं को जांच से छूट मिल जाती है।
ट्रेंड करते रहे 'नेपो बेबीज' और 'नेपो किड्स'
प्रदर्शन के दौरान नेपाल में 'नेपो बेबीज' और 'नेपो किड्स' शब्द ऑनलाइन ट्रेंड कर रहे थे। लोग प्रमुख परिवारों के युवा सदस्यों की तस्वीरें पोस्ट कर रहे थे और सवाल कर रहे थे कि उनकी महंगी लाइफस्टाइल का खर्च कैसे चलता है। सोमवार की रैली का आयोजन हामी नेपाल (Hami Nepal) नामक एक समूह ने किया था। काठमांडू पोस्ट के अनुसार, समूह के अध्यक्ष सुधन गुरुंग ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन सरकारी कार्रवाइयों और भ्रष्टाचार के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एक्सप्लेनर्स (Explainer News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
पत्रकारिता के सफर की शुरुआत 2005 में नोएडा स्थित अमर उजाला अखबार से हुई जहां मैं खबरों की दुनिया से रूबरू हुआ। यहां मिले अनुभव और जानकारियों ने खबरों ...और देखें

Nepal Gen-Z आंदोलन : Now or never #Balen, आखिर ये बालेन शाह कौन हैं और कैसे आंदोलनकारियों की पहली पसंद बन गए

आखिर नेपाल में क्यों लगा सोशल मीडिया पर बैन? ओली सरकार और Gen Z के बीच यह कैसे बन गया टकराव की वजह

Explainer: राधाकृष्णन Vs सुदर्शन रेड्डी...उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन किसके साथ, कौन बनेगा किंगमेकर?

क्या पीटर नवारो के बयान बन रहे भारत-यूएस संबंधों के बीच रोड़ा, किन बयानों ने भड़काई आग?

Explainer: हज़रतबल विवाद पर फिर छिड़ी बहस, अशोकस्तंभ राष्ट्रीय प्रतीक या धार्मिक चिह्न
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited