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सफल होगा राहुल का Mission 2o24? अखिलेश खुद हुए दूर तो केजरीवाल-केसीआर से कांग्रेस ने बनाई दूरी

Congress Mission 2024: भारत जोड़ो यात्रा अपने अंतिम पड़ाव की तरफ बढ़ रहा है। श्रीनगर के समापन समारोह से पहले कांग्रेस, यात्रा के न्योता के बहाने 2024 की लोकसभा चुनाव के लिए एक बड़ा विपक्षी एलायंस तैयार करना चाहती है। इसे यात्रा की सफलता और पॉलिटिकल डिवीडेंट के तौर पर देखा जा रहा है

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Congress Mission 2024: भारत जोड़ो यात्रा ( Bharat Jodo Yatra) का समापन 30 जनवरी को श्रीनगर में होगा। समापन समारोह को भव्य और शानदार बनाने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 23 विपक्षी राजनीतिक दलों को समापन समारोह में शामिल होने का न्योता दिया है। लेकिन इस न्योते में अरविंद केजरीवाल और केसीआर का नाम शामिल नहीं है, वहीं अखिलेश यादव, मायावती और ममता बनर्जी ने अभी तक इस यात्रा से दूरी बना रखी है।

पंजाब में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी

कांग्रेस का मिशन 2024

भारत जोड़ो यात्रा अपने अंतिम पड़ाव की तरफ बढ़ रहा है। श्रीनगर के समापन समारोह से पहले कांग्रेस, यात्रा के न्योता के बहाने 2024 की लोकसभा चुनाव के लिए एक बड़ा विपक्षी एलायंस तैयार करना चाहती है। इसे यात्रा की सफलता और पॉलिटिकल डिवीडेंट के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन कांग्रेस की इस कोशिश की हवा विपक्षी दल ही निकाल रहे हैं। जिस तरह से अभी तक अखिलेश, मायावती, ममता, जयंत, यहां तक तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार ने यात्रा से दूरी बनाई वो कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। यात्रा में अभी तक डीएमके के स्टालिन, शिवसेना के आदित्य ठाकरे, प्रियंका चतुर्वेदी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, नेशनल कांफ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला, लेफ्ट से डी राजा जैसे नेता नजर आए हैं। जबकि कांग्रेस ने अपनी तरफ से कई विपक्षी नेताओं को बार-बार निमंत्रण भेजा है।

हिंदी पट्टी में संकट

भारत जोड़ो यात्रा से हिंदी पट्टी के विपक्षी नेताओं की दूरी कांग्रेस के 2024 के प्लान को बिगाड़ सकता है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि यात्रा खत्म खत्म होते-होते विपक्षी दल, मोदी विरोधी कुनबे का कांग्रेस को अगुवा और राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर लेंगे, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की जोड़ी ने सिर्फ यात्रा को शुभकामना देकर खानापूर्ति कर दी। कांग्रेस के मंच या यात्रा में शामिल नहीं होकर उन्होंने ये इशारा भी दे दिया कि 2024 में उनकी अलग राह होगी। बीएसपीएस सुप्रीमो मायावती की चुप्पी भी कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं है। यात्रा को सबसे बड़ा झटका बिहार से लगा है। बिहार में आरजेडी और जेडीयू के साथ कांग्रेस की गठबंधन सरकार चल रही है। बावजूद इसके न तो नीतीश कुमार और न ही तेजस्वी यादव यात्रा में शरीक हुए।

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