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अफसर आएंगे-जाएंगे, लेकिन सदन हमेशा रहेगा: EC के आरोप के बाद अब विपक्ष का जवाब, कहा- राजनीतिक आकाओं को छोड़ दें CEC

चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने मोर्चा खोल लिया है। रविवार के प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष पर कई आरोप लगाए थे, जिसके बाद अब आज विपक्षी पार्टियों के कई नेताओं ने चुनाव आयुक्त पर सवाल उठाते हुए हमला बोला है।

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चुनाव आयोग के प्रेस कांफ्रेंस और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के द्वारा विपक्ष पर आरोप लगाने के बाद सोमवार को कई विपक्षी पार्टियां इसका जवाब देने के लिए मैदान में उतर गई। दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) पर कई आरोप लगाए। विपक्षी पार्टियों ने कहा कि चुनाव आयोग ऐसे अधिकारियों के हाथ में है,जो निष्पक्ष नहीं हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सहित आठ प्रमुख विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने यहां एक बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी)पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देने के बजाय सीईसी ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन कर उनपर हमला करने का विकल्प चुना।

विपक्षी पार्टियों की प्रेस कांफ्रेंस

हमारी नजर चुनाव आयुक्त पर है-कांग्रेस

वोट देने का अधिकार- संविधान के द्वारा दिया गया सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। हमारा लोकतंत्र आम लोगों के 'वोट देने के अधिकार' पर ही निर्भर है। इस अधिकार का संरक्षण केंद्रीय चुनाव आयोग का है। लेकिन जब देश के राजनीतिक दल, चुनाव आयोग से महत्वपूर्ण सवाल पूछ रहे हैं, तो चुनाव आयोग जवाब नहीं दे पा रहा है। चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनाव आयोग ने जितनी भी बातें रखी, कोर्ट ने उन सबको नकार दिया। इसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस वार्ता की। इस वार्ता में उन्हें चुनाव आयोग की कमजोरी बतानी थी और विपक्ष के जायज सवालों के जवाब देने थे। जवाब देने के विपरीत, चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों पर ही सवाल उठाए, उनके ऊपर आक्रमण किया। प्रेस वार्ता में चुनाव आयोग ने एक निष्पक्ष चुनाव करवाने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से नकार दिया। ये साफ हो चुका है कि चुनाव आयोग कुछ ऐसे अधिकारियों के कब्जे में है, जो किसी एक पार्टी का पक्ष लेते हैं। चुनाव आयोग को लगता है कि वो बड़ी-बड़ी बातें करके राजनीतिक दलों को डरा देंगे। हम उनसे इतना ही कहना चाहते हैं कि अफसर आएंगे-जाएंगे, लेकिन सदन हमेशा रहेगा और उनकी कार्रवाई की गवाही देगा। हम उन पर नजर रखेंगे और आने वाले समय में उचित कदम ऊठाएंगे। चुनाव आयुक्त को जवाब देना था कि

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