Indian Air Force News: भारत और जापान हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (BVRAAM) बनाने के लिए एक साथ आ सकते हैं। यह एक ऐसी मिसाइल होगी जिसे असफल करना दुश्मन देश के लिए मुश्किल होगा और इससे इंडियन एयरफोर्स को बढ़त मिलेगी।
AMCA Fighter Jets: चीन की बढ़ती हवाई युद्ध क्षमताओं का मुकाबला करने के लिए भारत भी बड़े कदम उठा रहा है। इस बीच एक रणनीतिक पहल के तहत, भारत और जापान अपने-अपने अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए एक लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल विकसित करने के लिए एक साथ आ सकते हैं. दोनों देश सहयोगात्मक प्रयासों की संभावना तलाश रहे हैं।
भारत और जापान मिलकरकर सकते हैं AMCA के लिए लंबी दूरी की मिसाइल विकसित। (Photo- AI Socio Pulse)
idrw की रिपोर्ट में सूत्रों के हवासे से कहा गया, 'दोनों देश एक जॉइंट वेंचर के इच्छुक हैं जिससे भारत के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) और जापान के वैश्विक लड़ाकू वायु कार्यक्रम (GCAP) लड़ाकू विमानों के साथ एक ऐसी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (BVRAAM) का सह-विकास हो सके, जिसे देखना और विफल करना नामुमकिन हो।
चीन के पास कौनसी मिसाइल
यह संभावित साझेदारी बीजिंग के सैन्य विस्तार, खासकर PL-16 और PL-17 जैसी एडवांस मिसाइलों की तैनाती को लेकर साझा चिंताओं के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर आधारित है। चीन की इन मिसाइलों की मारक क्षमता 300 किलोमीटर से ज्यादा है। हालांकि यह कार्यक्रम अभी शुरुआती दौर में है।
जापान और भारत पर कौनसी मिसाइल
जापान की वायु आत्मरक्षा बल (JASDF) फिलहाल AAM-4TDR पर निर्भर है। यह एक मध्यम दूरी की एक्टिव रडार-होमिंग BVRAAM है जिसकी अनुमानित सीमा 160-170 किमी है, जो भारत के एस्ट्रा MkII के बराबर है। हालांकि, इन मिसाइलों को उभरते खतरों, विशेष रूप से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) के खिलाफ कमजोर माना जाता है। अब जहां इस समस्या को देखते हुए जापान मिलकर नई हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (JNAAM) पर काम कर रहा है, जो यूरोप के MBDA मेटियोर BVRAAM का एक वर्जन है, जिसमें AAM-4B से जापानी AESA सीकर तकनीक शामिल है।
DRDO तेजी से बढ़ रहा आगे
भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने BVRAAMs के Astra परिवार के साथ अच्छी प्रगति की है, जिससे देश अमेरिका, रूस और यूरोप सहित उन खास ग्रुपों में शामिल हो गया है जो एडवांस लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के डिजाइन और उत्पादन में सक्षम हैं। 110 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली Astra MkI को पहले ही Su-30MKI और Tejas Mk1A के साथ जोड़ा जा चुका है और 2024 में इसके पूर्ण उत्पादन की अनुमति मिल गई है। वहीं, डबल पल्स मोटर और AESA सीकर से लैस MkII वेरिएंट की मारक क्षमता 160 किलोमीटर तक बढ़ जाएगी. यह 2025 के अंत में परीक्षण के लिए तैयार है।
असली गेम-चेंजर ये मिसाइल
असली गेम-चेंजर Astra MkIII (कोडनाम गांडीव) है, जो एक सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) प्रोपल्शन सिस्टम के साथ विकास के अधीन है. यह उच्च ऊंचाई वाले लक्ष्यों के खिलाफ 340 किमी तक सफल वार कर सकती है। जमीनी परीक्षण दिसंबर 2024 में पूरे हो गए हैं और इनका Su-30MKI के साथ हवाई परीक्षण चालू है, जिसका लक्ष्य 2030 तक शामिल करना है। Astra MkIII को PL -17 के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा में देखा जाएगा।
भारत-जापान आएंगे साथ?
BVRAAMs में चीन की तेजी से प्रगति ने भारत और जापान दोनों के लिए चिंताएं बढ़ा दी हैं। हालांकि अभी तक कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2025 में दिल्ली में भारत-जापान रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान एक साथ काम की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। भारत का AMCA 5.5-पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है और जिसकी पहली उड़ान 2028 में होना बताया जा रहा है. इसके लिए 300 किलोमीटर से अधिक की मिसाइलों की आवश्यकता होगी। वहीं, जापान का GCAP, जो ब्रिटेन और इटली के साथ छठी पीढ़ी का कार्यक्रम है (2035 तक)। ऐसे में दोनों को BVRAAM के लिए DRDO की SFDR विशेषज्ञता और जापान की AESA तकनीक का लाभ मिल सकता है और दोनों 300 किलोमीटर से अधिक दूरी की मिसाइल के लिए एक साथ आ सकते हैं।