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UCC से आदिवासी होंगे बाहर: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया केंद्र का रुख

वर्तमान में UCC का मामला विधि आयोग के विचाराधीन है। इस बीच, उत्तराखंड राज्य ने देश में पहली बार यूसीसी लागू किया है, जो एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।

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केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को स्पष्ट रूप से कहा कि प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) देश के आदिवासी समुदायों पर लागू नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत और देश के अन्य आदिवासी क्षेत्रों को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा ताकि वे अपनी परंपराओं और जीवनशैली के अनुसार स्वतंत्र रूप से जीवन जी सकें।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू (फाइल फोटो- @KirenRijiju)

UCC पर सरकार का रुख

रिजिजू, नागपुर में वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने UCC को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे भ्रम की स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि कुछ लोग केंद्र सरकार के खिलाफ "विकृत विमर्श" तैयार कर रहे हैं। रिजिजू ने कहा- "हमारी सरकार और भाजपा संविधान के दायरे में रहकर समान नागरिक संहिता लाने की सोच रही है। जब देश में फौजदारी कानून सभी के लिए समान हैं, तो नागरिक कानून क्यों नहीं? आदिवासी क्षेत्रों को इस कानून से छूट दी जाएगी। संविधान की अनुसूची 5 और अनुसूची 6 के तहत आने वाले क्षेत्र, विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत और अन्य जनजातीय इलाके, इस दायरे में नहीं आएंगे।" उन्होंने साफ किया कि यह निर्णय आदिवासी समुदायों की पारंपरिक व्यवस्था, रीति-रिवाज़ और जीवनशैली की रक्षा के उद्देश्य से लिया गया है।

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