अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आ तो गए हैं 'धरती' पर अभी एक परीक्षा और...!

भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में बड़ी कामयाबी हासिल की, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला Axiom-4 स्पेस मिशन के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पृथ्वी पर सुरक्षित तरीके से लौट आए। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का एक्सिओम-4 मिशन (Axiom-4 Mission) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से अनडॉक होने के बाद पृथ्वी पर सकुशल वापस लौटे, अब शुभांशु शुक्ला को करीब 7 दिन आइसोलेशन में रहना होगा।

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अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर आ गए

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर आ गए, ऐसा करके उन्होंने इतिहास रच दिया है, पर बता दें कि अंतरिक्ष से वापसी के बाद भी शुभांशु शुक्ला एकदम से पृथ्वी की सामान्य दुनिया में नहीं आ पायेंगे, इसके लिए उन्हें कई खास प्रक्रियाओं से गुजरना होगा, वैज्ञानिकों के मुताबिक भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष से लौटने के बाद आइसोलेशन में (Shubhanshu Shukla Isolation) ले जाया जाना एक वैज्ञानिक और सुरक्षा प्रक्रिया है, जो उनके स्वास्थ्य और पृथ्वी के वातावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए की जाती है। (फोटो: टाइम्स नाउ नवभारत)

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Photo : AP_PTI_canva

​अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद आइसोलेशन जरूरी​

शुभांशु शुक्ला एक हफ्ते तक आइसोलेशन में रहेंगे अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद आइसोलेशन जरूरी है, आइसोलेशन में ले जाकर शुभांशु शुक्ला को और भी कई अन्य प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा।​ (फोटो: AP)​

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​आइसोलेशन की मुख्य वजहें क्या है?​

आइसोलेशन का यह चरण लगभग करीब 7 दिन यानी एक सप्ताह तक चलता है, इसके पीछे की वजह क्या है (Main reasons for isolation) इसे भी जान लें- पहले तो शारीरिक बदलाव:-अंतरिक्ष में जीरो ग्रैविटी के कारण शरीर की मांसपेशियां और हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है वहीं कई अंतरिक्ष यात्री वापसी पर अपने पैरों पर खड़े भी नहीं हो पाते हैं इसलिए यह प्रक्रिया जरूरी है। ​ (फोटो: PTI & istock )​

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​संभावित बैक्टीरिया या वायरस का जोखिम​

अंतरिक्ष में मौजूद अज्ञात सूक्ष्मजीवों के संपर्क में आने की संभावना होती है, ये जीवाणु या विषाणु पृथ्वी पर इंसानों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।आइसोलेशन के दौरान मेडिकल, साइकोलॉजिकल और वैज्ञानिक परीक्षण किए जाते हैं और यह देखा जाता है कि अंतरिक्ष यात्रा ने मानसिक स्थिति या व्यवहार पर कोई असर तो नहीं डाला। ​ (फोटो: AP & istock)​

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​पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार ढालने के लिए व्यायाम और चिकित्सा​

पुनर्वास प्रक्रिया का है अहम रोल इसके लिए शरीर को फिर से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार ढालने के लिए व्यायाम और चिकित्सा की जाती है।इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि स्पेस में जीरो ग्रैविटी में रहने के दौरान उनके शरीर में कई अंदरूनी बदलाव होते हैं जिसकी वजह से वो जब पृथ्वी पर लौटते हैं तो वो अपने पैरों पर खड़े तक नहीं हो पाते हैं, वो चलना भूल जाते हैं। उनका बॉडी का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। ​ (फोटो: PTI & istock)​

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​स्पेस में रहने के दौरान शरीर पर क्या-क्या असर?​

आइसोलेशन सेंटर में इस बात की जांच भी की जाती है कि स्पेस में रहने के दौरान उनके शरीर पर क्या-क्या असर होता है, आइसोलेशन में मेडिकल, साइंटिफिक, साइकोलॉजिकल टेस्ट होते हैं। अंतरिक्ष में किसी अज्ञात जीवाणु-विषाणु के संक्रमण का खतरा तो नहीं है ये भी यहां जांचा जाता है।​ (फोटो: PTI )​

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​अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला ने क्या-क्या किया?​

अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला ने 18 दिन के अपने ऐतिहासिक मिशन के दौरान कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें से कुछ प्रयोग ISRO द्वारा डिजाइन किए गए थे। उनका मिशन सिर्फ शोध तक सीमित नहीं था उन्होंने भारत के अंतरिक्ष भविष्य की नींव भी मजबूत की, उन्होंने ISS पर कम से कम सात माइक्रोग्रैविटी प्रयोग सफलतापूर्वक पूरे किए, साथ ही कई और भी उपलब्धियां हासिल कीं। ​(फोटो: PTI)​