2025 में भारत के पांच सबसे लंबे एक्सप्रेसवे कौन-कौन से हैं? जहां 100 से नीचे नहीं है स्पीड लिमिट

भारत में सड़क बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास हो रहा है और विशेष रूप से एक्सप्रेसवे नेटवर्क देश की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज भारत में कई विशाल और अत्याधुनिक एक्सप्रेसवे बन चुके हैं या निर्माणाधीन हैं। इनमें से भारत के पांच सबसे लंबे एक्सप्रेसवे कौन हैं और किन शहरों को जोड़ते हैं, आइए जानते हैं।

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दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे

यह भारत का अब तक का सबसे लंबा और महत्वाकांक्षी एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट है जिसकी कुल लंबाई लगभग 1,386 किलोमीटर है। यह एक्सप्रेसवे भारत की राजधानी दिल्ली को महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ता है। इस मार्ग का निर्माण आठ लेन वाले ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के रूप में किया जा रहा है जिसे भविष्य में 12 लेन तक विस्तारित किया जा सकता है। (फोटो- NHAI)

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दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे का रूट

यह एक्सप्रेसवे हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरता है। यह परियोजना भारतमाला योजना के तहत विकसित की जा रही है और इसकी विशेषताएं यह हैं कि इसमें एनिमल ओवरपास, इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन, ड्रोन लैंडिंग जोन और आधुनिक टोल सिस्टम जैसी सुविधाएं होंगी। इसका उद्देश्य दिल्ली-मुंबई के बीच यात्रा समय को लगभग 24 घंटे से घटाकर 12 घंटे तक करना है। इसका एक बड़ा हिस्सा चालू हो चुका है और बाकी भाग 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। (फोटो- @ DelhitoMumbaiExpressway)

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अमृतसर–जामनगर एक्सप्रेसवे

दूसरे स्थान पर है अमृतसर से जामनगर को जोड़ने वाला एक्सप्रेसवे जिसकी कुल लंबाई करीब 1,316 किलोमीटर है। यह एक्सप्रेसवे पंजाब के अमृतसर से शुरू होकर हरियाणा, राजस्थान और गुजरात होते हुए जामनगर तक जाता है। यह भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को पश्चिमी तट से जोड़ता है और रक्षा और औद्योगिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह कई औद्योगिक और सैन्य क्षेत्रों को जोड़ता है। यह एक्सप्रेसवे भी ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है और भारतमाला योजना के अंतर्गत आता है। 2025 तक इसके अधिकांश हिस्से को पूरा कर लिए जाने की संभावना है। (फोटो- @sambitswaraj)

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गंगा एक्सप्रेसवे

यह उत्तर प्रदेश राज्य का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है जिसकी लंबाई लगभग 594 किलोमीटर है। यह मेरठ से शुरू होकर प्रयागराज तक फैला हुआ है और इसका उद्देश्य पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के बीच एक हाई-स्पीड और निर्बाध संपर्क बनाना है। यह एक्सप्रेसवे गंगा नदी के समानांतर चलता है और कृषि, व्यापार, और पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक होगा। इस प्रोजेक्ट को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के विकास के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना गया है। इसमें भी एयर स्ट्रिप, इंडस्ट्रियल क्लस्टर और आधुनिक टोलिंग प्रणाली की व्यवस्था की जा रही है। (फोटो-@gangaexpressway)

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पूर्वांचल एक्सप्रेसवे

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के लखनऊ से शुरू होकर गाजीपुर तक जाता है और इसकी कुल लंबाई लगभग 341 किलोमीटर है। इसका उद्घाटन 2021 में किया गया था और यह उत्तर प्रदेश के पूरब के जिलों को राज्य की राजधानी और बाकी भारत से जोड़ने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। यह छह लेन का एक्सप्रेसवे है जिसे आठ लेन तक विस्तारित करने की संभावना है। इसमें भी आपातकालीन एयर स्ट्रिप की सुविधा दी गई है जहां लड़ाकू विमान लैंड कर सकते हैं। यह एक्सप्रेसवे पूर्वी उत्तर प्रदेश के औद्योगिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा आधार है। (फोटो- UPEIDA)

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आगरा–लखनऊ एक्सप्रेसवे

यह उत्तर प्रदेश का एक और प्रमुख एक्सप्रेसवे है जिसकी लंबाई लगभग 302 किलोमीटर है। यह आगरा से लखनऊ को जोड़ता है और इसे देश के सबसे बेहतरीन एक्सप्रेसवे में से एक माना जाता है। यह एक्सप्रेसवे छह लेन का है, जिसे भविष्य में आठ लेन तक विस्तारित किया जा सकता है। इसकी डिजाइन हाई-स्पीड ट्रैफिक को ध्यान में रखकर की गई है और यहां भी एक एयर स्ट्रिप बनाई गई है जहाँ भारतीय वायुसेना के विमान उतर सकते हैं। यह एक्सप्रेसवे न केवल राजधानी लखनऊ को दिल्ली से जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ता है बल्कि इससे राज्य के भीतर आवागमन भी तेज होता है। (फोटो- UPEIDA)

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बदल रही भारत की तस्वीर

इन एक्सप्रेसवे परियोजनाओं के निर्माण से न केवल यात्रा में लगने वाला समय कम हो रहा है बल्कि ईंधन की खपत और पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ रहा है। इसके अलावा, इन मार्गों के किनारे नए औद्योगिक क्षेत्र, वेयरहाउस, लॉजिस्टिक पार्क और टाउनशिप भी विकसित की जा रही हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद कर रही हैं। ये एक्सप्रेसवे भारत को एक तेज, सुरक्षित और आधुनिक परिवहन प्रणाली की दिशा में ले जा रहे हैं। (फोटो- NHAI)