अंतरिक्ष में पहुंचते ही ऐसा हो जाता है इंसान का शरीर, पैरों का रह जाता है ये काम

जब कोई इंसान अंतरिक्ष में जाता है, तो वहां का गुरुत्वाकर्षण यानी gravity नहीं होता या बहुत कम होता है। इसे माइक्रोग्रैविटी (microgravity) कहते हैं। इससे हमारे शरीर पर कई तरह के बदलाव आते हैं। यानी धरती पर शरीर और अंतरिक्ष में शरीर की अवस्था में काफी अंतर होता है। और वहां आप धरती की तरह नहीं रह सकते।

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सूज जाता है चेहरा

धरती की बात करे तो हमारे शरीर के तरल पदार्थ जैसे खून, पानी, आदि नीचे की ओर खिंचते हैं। लेकिन अंतरिक्ष में ये तरल पदार्थ ऊपर की तरफ खिंच जाते हैं। इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों के चेहरे सूज जाते हैं और पैरों में सूजन कम हो जाती है।

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Photo : Https://x.com/Axiom_Space

कमजोर हो जाती है मांसपेशियां

अंतरिक्ष में जब हम चलने-फिरने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करते, तो हमारी मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं। इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों को रोजाना एक्सरसाइज करनी पड़ती है ताकि वो खुद को फिट रख सकें।

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कमजोर हो जाती है ​हड्डियाँ ​

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न के बराबर होने के कारण हड्डियाँ कैल्शियम खोने लगती हैं और कमजोर हो जाती हैं। इसे ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) जैसा माना जा सकता है।

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दिल की धड़कन होती है धीमी

अंतरिक्ष में दिल को खून पंप करने के लिए कम मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिल की धड़कन धीमी हो सकती है और रक्त प्रवाह में भी बदलाव आते हैं। लंबी अवधि के लिए अंतरिक्ष में रहने पर कुछ लोगों की आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती है क्योंकि आंखों में तरल पदार्थ जमा हो जाते हैं।

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​ रेडिएशन का खतरा​

पृथ्वी की वातावरण की सुरक्षा न होने से अंतरिक्ष में रेडिएशन (radiation) का खतरा रहता है, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।

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हवा पतली होती है

अंतरिक्ष में हवा बहुत पतली होती है इसलिए astronauts को विशेष उपकरणों की मदद से सांस लेनी पड़ती है।

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मानसिक दबाव का सामना

अंतरिक्ष में बंद जगहों में रहना, परिवार से दूर होना और काम का तनाव मानसिक दबाव बढ़ा सकता है।