धरती, तारें और आकाशगंगाएं... कपोला मॉड्यूल से 'ब्रह्मांडीय दुनिया' का दीदार कर रहे अंतरिक्ष यात्री

Cupola Module: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इन दिनों एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर विज्ञानी गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं। शुभांशु शुक्ला पहले अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में जाने वाले पहले भारतीय हैं और वह भी आईएसएस पर मौजूद एक विशेष स्थान से 'ब्रह्मांडीय दुनिया' का दीदार कर रहे होंगे। आईएसएस पर एक ऐसी जगह है जहां से अंतरिक्ष यात्री धरती, चांद, तारें, आकाशगंगाएं, ध्रुवीय रोशनी इत्यादि का दीदार करते हैं तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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सात खिड़कियों वाला कपोला (Cupola)

अं तरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में एक खास तरह का मॉड्यूल है जिसे हम कपोला मॉड्यूल के नाम से जानते हैं। इस मॉड्यूल में सात खिड़कियां हैं जहां से अंतरिक्ष यात्री 'ब्रह्मांडीय दुनिया' का दीदार करते हैं। (फोटो साभार: NASA/Space Station)

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Photo : NASA/Space Station/ISRO Spaceflight/Don Pettit

कपोला को क्यों किया गया था डिजाइन

कपोला एक छोटा मॉड्यूल है जिसे स्पेस स्टेशन के बाहर रोबोटिक गतिविधियां, व्हीकल्स एप्रोच और स्पेसवॉक जैसे कार्यों के अवलोकन के लिए डिजाइन किया गया है। ​(फोटो साभार: NASA/Space Station)​

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Photo : NASA/Space Station/ISRO Spaceflight/Don Pettit

ISS में कब हुआ शामिल

क पोला मॉड्यूल को आईएसएस से 2010 में जोड़ा गया था, इसमें मौजूद हाई क्वालिटी ऑप्टिकल ग्लास वाली खिड़कियां अंतरिक्ष यात्रियों को खराब से खराब मौसम में सुरक्षित रखती हैं। (फोटो साभार: ISRO Spaceflight)

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Photo : NASA/Space Station/ISRO Spaceflight/Don Pettit

क्या कुछ है खास

कपोला की बदौलत दुनिया अंतरिक्ष से पृथ्वी, तारों और अन्य खगोलीय पिंडों का दीदार करती हैं। अंतरिक्ष यात्री कपोला से रोमांचक तस्वीरें क्लिक करते हैं। साथ ही कपोला आईएसएस के बाहरी हिस्सों की निगरानी में भी मददगार है। (फोटो साभार: Don Pettit)

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Photo : NASA/Space Station/ISRO Spaceflight/Don Pettit

खिड़कियों की कैसे होती है सुरक्षा

खराब से खराब मौसम, कक्षीय मलबे इत्यादि चीजों से शटर खिड़कियों को बचाने का काम करता है। कपोला में रोबोटिक वर्कस्टेशन है, जो कनाडाआर्म2 को नियंत्रित करता है। (फोटो साभार: NASA/Space Station)

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Photo : NASA/Space Station/ISRO Spaceflight/Don Pettit

90 मिनट में होता है सूर्यास्त

आईएसएस में रहने वाले अंतरिक्ष यात्री डेढ़ घंटे के अंतराल में सूर्यास्त और सूर्योदय को देखते हैं। ऐसे में उन्हें हर 90 मिनट में यह नजारा देखने की आदत डालनी पड़ती है। (फोटो साभार: NASA/Space Station)

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Photo : NASA/Space Station/ISRO Spaceflight/Don Pettit

ISS में क्या-क्या सुविधाएं हैं?

421 किमी ऊपर मौजूद आईएसएस में दो बाथरूम और छह स्लीपिंग रूम है, जिसका सभी अंतरिक्ष यात्री क्रमबद्ध तरीके से इस्तेमाल करते हैं। ब्रिटिश अंतरिक्ष यात्री मेगन क्रिश्चियन ने 'द सन' को एक इंटरव्यू में बताया था कि स्पेस स्टेशन में शॉवर की कोई सुविधा नहीं है। अंतरिक्ष यात्री गीले तौलिये का इस्तेमाल करते हैं। (फोटो साभार: NASA/Space Station)