अध्यात्म

अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधा जाता है 14 गांठ वाला धागा, जानें बाजू पर अनंत सूत्र बांधने की सही विधि

Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी का पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है, जो सुख, समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि के लिए मनाया जाता है। कहते हैं इस दिन व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस साल 6 सितंबर के दिन अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाएगा। जानें अनंत चतुर्दशी पर 14 गांठ वाले धागे को क्यों बांधा जाता है।

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Anant Chaturdashi 2025: हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने 14 लोकों की रचना के बाद इसके संरक्षण और पालन के लिए चौदह रूप में प्रकट हुए थे, और अनंत प्रतीत होने लगे थे। इसलिए अनंत चतुर्दशी को 14 लोकों और भगवान विष्णु के 14 रूपों का प्रतीक माना गया है। अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद बाजू में बांधे जाने वाले अनंत सूत्र में 14 गांठ होती हैं। लेकिन अब सवाल ये है कि अनंत चतुर्दशी पर ये 14 गांठ वाले धागे को बाजू पर क्यों बांधा जाता है? यहां से आप इसे बांधने से नियम भी जान सकते हैं।

अनंत सूत्र बांधने के नियम (pic credit: Canva)

अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधा जाता है 14 गांठ वाला अनंत सूत्र?

  • हिन्दू धर्म शास्त्रों के अुनसार ये चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र 14 लोकों ( भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक) का प्रतीक होते हैं। इसलिए इसे बांधना शुभ माना जाता है।
  • इसके अलावा अनंत चतुर्दशी के दिन बांधें जाने वाले रक्षासूत्र की 14 गांठे भगवान विष्णु के 14 रूपों (अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द) का प्रतीक भी मानी जाती है।
  • हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद इस धागे को बाजू में बांधने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है, और पाप नष्ट होते हैं। जो व्यक्ति 14 वर्ष तक अनंत चतुर्दशी का व्रत करता है, और चौदह गांठ वाले इस अनंत सूत्र को बांधता है। उसे भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ की प्राप्ति होती है।

अनंत सूत्र बांधने की विधि, नियम (Anant Sutra Ke Niyam)

अनंत चतुर्दशी के दिन पूजापाठ के बाद अनंत सूत्र को महिलाएं अपने बाएं हाथ की बाजू में और पुरुष दाहिने हाथ की बाजू में बांधते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की हृदय से पूजा करें और फिर अनंत सूत्र को हल्दी या केसर में रंग लें। इसके बाद चौदह गांठें लगाएं और भगवान विष्णु को अर्पित कर दें। फिर इस मंत्र “ऊं अनंताय नम: या अनंन्तसागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजितात्माह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते।।” का जाप करें और रक्षासूत्र को बाजू में बांध लें। रक्षा सूत्र को रात्रि में सोते समय उतार देना चाहिए, और अगले दिन इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।

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