नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं का गुस्सा हिंसक आंदोलन में बदल गया। 20–25 साल के छात्रों और युवाओं ने संसद से लेकर सड़कों तक विरोध किया, जिसमें 19 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हुए। इस आंदोलन को ‘Gen-Z Revolution’ नाम दिया गया। युवाओं का कहना है कि सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि रोजगार, पढ़ाई और बिज़नेस का साधन है। बैन के कारण लाखों लोगों की आजीविका और शिक्षा प्रभावित हुई। सरकार ने इसे ‘रेगुलेशन’ बताया, लेकिन जनता ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना।
Nepal Gen Z Revolution: नेपाल के युवाओं ने केपी ओली शर्मा की सत्ता को उखाड़ कर फेंक दी है। युवाओं के गुस्से की आग ने नेपाल में राजनीतिक भूचाल ला दिया। 20 से 25 साल के युवाओं ने संसद से लेकर सड़क तक हिंसक प्रदर्शन को अंजाम दिया। .पुलिस और जनता के बीच हुई झड़प में 19 लोगों की जान चली गई।
नेपाल में जेन जी आंदोलन की पूरी कहानी।(फोटो सोर्स: AP)
200 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इस प्रदर्शन को ‘जेन जी रिवॉल्यूशन’ (Gen-Z Revolution) नाम दिया गया। सवाल ये है कि आखिर एक लोकतांत्रिक सरकार ने ऐसा क्या किया, जिसकी स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले युवाओं ने देश का सत्ता ही पलट दिया।
प्रधानमंत्री की रेस में ये 2 नाम सबसे आगे
केपी ओली के सत्ता से चले जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि नेपाल की कमान अब किसे सौंपी जाएगी। इसी कड़ी में दो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। पहला है काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह (बालेन शाह) और नेपाल के वरिष्ठ नेता डॉ. शेखर कोईराला।
सबसे पहले बात की जाए बालेंद्र शाह, जिन्हें लोग बालेन शाह के नाम से भी जाने जाते हैं। युवाओं के चहेते बालेन शाह देश के सबसे चमकता चेहरा हैं। उन्हें एक युवा लीडर के तौर पर देखा जा रहा है, जिनकी सोच आज के युवाओं से मिलती जुलती है। टाइम मैगजीन ने उन्हें 2023 में अपनी टॉप 100 ग्लोबल पर्सनैलिटीज की लिस्ट में जगह भी दी थी।
बालेंद्र शाह की फाइल फोटो।(फोटो सोर्स: balendra shah facebook)
दूसरा नाम, , नेपाली कांग्रेस के नेता डॉ. शेखर कोईराला का है। वे पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य और नेपाल की दूसरी संघीय संसद के सांसद हैं। मोरंग जिले में उनकी पकड़ है। वो सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक शिक्षाविद भी रहे हैं।
क्या होगी पूर्व राजा की सत्ता में वापसी?
16 साल पहले नेपाल दुनिया का एकमात्र हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था, लेकिन 2008 तक ज्ञानेंद्र शाह नेपाल के राजा हुआ करते थे। एक माओवादी आंदोलन और एक कथित वामपंथी क्रांति के बाद वहां परिवर्तन हुआ और ज्ञानेंद्र शाह को सिंहासन खाली करना पड़ा। हिंसा के बीच लोगों की मांग है कि ज्ञानेंद्र शाह को देशी की सत्ता का बागडोर सौंप दी जाए।
सोशल मीडिया बैन की कहानी
नेपाल सरकार ने 26 सोशल मीडिया साइट्स (फेसबुक, व्हाट्सऐप, एक्स, इंस्टाग्राम, यूट्यूब समेत) बैन कर दी थीं क्योंकि उन्होंने तय समय सीमा में नेपाल सरकार के पास रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। सरकार का दावा है कि यह कदम सिर्फ 'रेगुलेशन' के लिए था, लेकिन आम लोगों को आशंका है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला और सेंसरशिप बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री ओली ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार हमेशा 'अनियमितताओं और अहंकार का विरोध करेगी और किसी भी ऐसे कदम को स्वीकार नहीं करेगी जो राष्ट्र को कमजोर करता हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि पार्टी सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं है, 'लेकिन जो स्वीकार्य नहीं है वह यह है कि कुछ लोग नेपाल में व्यापार करें, पैसा कमाएं और फिर भी कानून का पालन न करें। वहीं, उन्होंने प्रदर्शनकारियों और विरोध की आवाजों को 'कठपुतली बताया, जो सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध कर रहे हैं'।
सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे युवा।(फोटो सोर्स: AP)
इसके बाद साल 2023 में नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया को लेकर एक गाइडलाइंस बनाई। सरकार ने नेपाल में काम कर रहे ऐप्स को रजिस्ट्रेशन के लिए कहा लेकिन इसको विदेशी प्लैटफॉर्म्स ने गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इन पर प्रतिबंध लगाने को कहा।
नेपाल कैबिनेट ने 28 अगस्त को सभी सोशल मीडिया ऐप्स को एक सप्ताह के अंदर रजिस्टर्ड करने को कहा, लेकिन किसी भी संस्था ने इसका पालन नहीं किया. इसके बाद सरकार ने 5 सितंबर को 26 ऐप्स को बैन कर दिया। इस फैसले की वजह से युवाओं में आक्रोश पैदा हो गया। जनता ने सरकार के इस फैसले को अभिव्यक्ति की आजादी के पर हमला बताया। कई मानवाधिकार संगठनों ने भी नेपाल सरकार के इस फरमान की खिलाफत की।
क्या है जेन-जी की मांगे?
दरअसल, नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सिर्फ इंटरटेनमेंट की हिस्सा मात्र नहीं है बल्कि सोशल मीडिया की सीधा कनेक्शन रोजगार से भी है। नेपाल के कई लोगों ने बताया कि यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम की वजह से लाखों लोगों की दुकान चल रही है। सोशल मीडिया की वजह से न सिर्फ नेपाल बल्कि दूसरे देशों से भी वहां के दुकानदारों को सामान का ऑर्डर मिलता है। सोशल मीडिया बंद हो जाने से उनकी अच्छी खासी आमदनी ठप्प हो जाएगी।
युवाओं के प्रदर्शन के बाद गिरी केपी ओली की सरकार।(फोटो सोर्स: AP)
एक तरफ जहां नेपाल के युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हजारों छात्र यूट्यूब से पढ़ाई करते हैं और इस ऐप पर बैन लगाने के बाद अब उनकी पढ़ाई भी ठप हो गई है। कुछ का कहना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से कई लोगों की अच्छी कमाई हो रही थी, लेकिन बैन के बाद अब यह भी संभव नहीं हो पाएगा।