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No Cost EMI : कैसे काम करता है ये ऑफर, क्या सच में बचते हैं पैसे?

फेस्टिव सीजन में कंपनियां अक्सर नो-कॉस्ट EMI ऑफर लाती हैं, जिससे महंगे प्रोडक्ट किस्तों में खरीदे जा सकते हैं। इसमें दिखने में तो ब्याज नहीं लगता, लेकिन कई बार डिस्काउंट हटा दिया जाता है, कीमत बढ़ा दी जाती है या प्रोसेसिंग फीस के जरिए ब्याज वसूला जाता है। इसलिए खरीदारी से पहले प्रोडक्ट की असली कीमत और ऑफर्स की तुलना जरूर करें, वरना फायदे के बजाय नुकसान हो सकता है।

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फेस्टिव सीजन आते ही मार्केट और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स पर कंपनियां नो-कॉस्ट EMI का ऑफर लेकर आती हैं। इसमें ग्राहक महंगे प्रोडक्ट जैसे मोबाइल फोन, फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स आसानी से किस्तों में खरीद सकते हैं। देखने में यह डील बहुत फायदेमंद लगती है क्योंकि इसमें ऐसा माना जाता है कि EMI पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। लेकिन सच क्या है, इसे सही तरीके से समझना जरूरी है।

No Cost EMI

नो-कॉस्ट EMI कैसे काम करता है?

अक्सर इसमें तीन तरीके अपनाए जाते हैं।

1. डिस्काउंट हटाना – मान लीजिए किसी सामान की असली कीमत 10,000 रुपये है। कैश पेमेंट पर 10% डिस्काउंट मिल रहा है, यानी आप उसे 9,000 रुपये में खरीद सकते हैं। लेकिन अगर आप नो-कॉस्ट EMI चुनते हैं, तो आपको वही प्रोडक्ट 10,000 रुपये में किस्तों पर मिलेगा। यानी डिस्काउंट छोड़ना पड़ेगा।

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