बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव भले ही कुछ समय दूर हों, लेकिन राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है। शुक्रवार को राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में जनसभा कर चुनावी शंखनाद कर दिया। इस दौरान मंच से कुशवाहा ने NDA को आत्मघाती फैसलों से बचने की नसीहत दी और विपक्ष पर भी जमकर हमला बोला। साथ ही उन्होंने सीट बंटवारे से पहले अपनी पार्टी की ताकत दिखाते हुए परिसीमन बयान दिए।
Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव के ऐलान में अभी कुछ समय है लेकिन उससे पहले ही सियासी सरगर्मी देखने को मिलने लगी है। गुरुवार को केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने दिल्ली में अपनी पार्टी, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) का राष्ट्रीय सम्मेलन किया। उसके बाद कल, यानी शुक्रवार को राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पटना के मिलर ग्राउंड में जनसभा को संबोधित कर अपना चुनावी बिगुल फूंका। इस दौरान सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली NDA के पास अच्छा मौका है, बशर्ते कोई ऐसा कदम न उठाया जाए, जिससे खुद को नुकसान पहुंचे।
लोकसभा चुनाव में पवन सिंह ने काटा था कुशवाहा का वोट (फाइल फोटो | PTI)
पटना रैली में बोले कुशवाहा
कुशवाहा शुक्रवार को राजधानी पटना में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) नेता और 'बिहार के लेनिन' कहे जाने वाले जगदेव प्रसाद की पुण्यतिथि पर आयोजित एक रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कुशवाहा ने कहा कि "हमने पिछले साल लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन अगर कोई आत्मघाती कदम न उठाया होता तो और बेहतर परिणाम मिल सकते थे। विधानसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन की उम्मीद है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि इस बार कोई आत्मघाती कदम न उठाया जाए।"
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' की आलोचना करते हुए कुशवाहा ने कहा, "इस यात्रा की सफलता का जश्न उन्होंने कुछ करीबी लोगों और परिवार के साथ मनाया। गंगा किनारे नाचने से सफलता की गारंटी नहीं मिलती। अगर ऐसा होता, तो देश का सबसे बड़ा डांसर प्रधानमंत्री बन जाता।"
जदयू को भी लिया आड़े हाथ
इस बीच उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि किसी भी पार्टी का नया नेतृत्व उसकी राजनीतिक विरासत से उभरना चाहिए। यह इशारा नीतीश के बेटे निशांत की ओर था, जिनका नाम लिए बिना कुशवाहा ने कहा कि, "जब ऐसा नहीं होता, तो दल का हश्र वैसा ही होता है जैसा कभी मजबूत रही संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का हुआ था।"
2024 की हार पर था निशाना
गौरतलब है कि आत्मघाती कदम वाली टिप्पणी का संदर्भ 2024 लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से कुशवाहा की हार से जुड़ता है। साल 2014 में यह सीट जीतने वाले कुशवाहा 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। बाद में कुशवाहा ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल से भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह को भाजपा का टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा की बिहार इकाई के कुछ नेताओं ने पवन सिंह को काराकाट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने में मदद की थी। उस सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन उम्मीदवार राजा राम कुशवाहा जीते थे। हालांकि चुनाव के बाद उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा कोटे से राज्यसभा भेजा गया।
बारगेनिंग पॉवर मजबूत करना चाह रहे हैं कुशवाहा
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में JDU, RLM, NDA के साथ मिलकर लड़ रहे हैं, लेकिन अभी तक सीट शेयरिंग नहीं हो सकी है। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा इन दिन लगातार रैलियां करके अपनी सियासी जमीन के साथ-साथ अपनी बारगेनिंग पावर को भी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। पटना की रैली में कुशवाहा ने संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन की मांग दोहराते हुए कहा, "यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अगर परिसीमन सही तरीके से किया जाए तो बिहार को बहुत लाभ होगा। जनसंख्या के हिसाब से राज्य को मौजूदा 40 की जगह 60 लोकसभा सीटें मिलनी चाहिए।"
जगदेव प्रसाद के शहादत दिवस पर थी रैली
यह रैली जगदेव प्रसाद के शहादत दिवस पर रखी गई, जिसकी वजह से इसे बिहार के कुशवाहा समाज को एक बड़ा संदेश देने की कोशिश मानी जा रही है। 5 सितंबर को बिहार में शोषित और पीड़ितों के हक की आवाज बुलंद करने वाले कुशवाहा नेता शहीद जगदेव प्रसाद का शहादत दिवस होता है। 'बिहार का लेनिन' कहे जाने वाले जगदेव प्रसाद कुशवाहा को सामाजिक न्याय का बड़ा नेता माना जाता है। उन्होंने बिहार की राजनीति में सवर्ण वर्चस्व को चुनौती देने के उद्देश्य से दलित और ओबीसी नेताओं ने मिलकर एक नई राजनीतिक धारा की शुरुआत की, जिसे 'त्रिवेणी राजनीति' कहा गया। इस रणनीति के तहत ओबीसी की तीन प्रमुख जातियों, यादव, कुर्मी और कोईरी को एकजुट कर एक सशक्त सामाजिक-राजनीतिक गठबंधन तैयार किया गया, जिसने राज्य की सत्ता संरचना को नया आयाम दिया। 5 सितंबर 1974 को शोषित वर्गों के अधिकारों के लिए एक आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से जगदेव प्रसाद की मौत हो गई।