प्रयागराज

प्रयागराज में बढ़ा गंगा-यमुना का जलस्तर, बाढ़ के पानी से हुआ हनुमान जी का अभिषेक, मंदिर के कपाट हुए बंद

प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। यहां एक बार फिर बाढ़ का पानी लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर तक पहुंच गया है। इस साल यह पांचवीं बार हुआ है कि गंगा-यमुना का पानी ने हनुमान जी का अभिषेक किया है। महाआरती के बाज मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं और हनुमान जी की एक छोटी प्रतिमा मंदिर के बाहर दर्शन के लिए स्थापित की गई है।

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Prayagraj Flood: प्रयागराज में गंगा-यमुना नदियों का जलस्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है। नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण एक बार फिर पानी शहर के प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर गया है। यह इस साल पांचवीं बार है, जब इन पवित्र नदियों ने हनुमान जी का अभिषेक किया है। मंदिर के मुख्य पुजारी, महंत बलवीर गिरी ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और शंख तथा घंटे-घड़ियाल बजाकर महाआरती की। इसके बाद, श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं।

श्रद्धालुओं के लिए वैकल्पिक दर्शन की व्यवस्था

चूंकि मंदिर का मुख्य गर्भगृह जलमग्न हो गया है, इसलिए भक्तों की सुविधा के लिए हनुमान जी की एक छोटी प्रतिमा मंदिर के बाहर रखी गई है। श्रद्धालु अब इसी प्रतिमा के दर्शन कर सकेंगे। यह व्यवस्था तब तक जारी रहेगी जब तक नदियों का जलस्तर कम नहीं हो जाता और मंदिर का पानी पूरी तरह से सूख नहीं जाता। जलस्तर सामान्य होने के बाद, विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद ही मंदिर के कपाट फिर से खोले जाएंगे। इससे पहले, 2 सितंबर को ही 8 दिनों के बाद मंदिर के कपाट दोबारा खोले गए थे।

प्रयागराज में शुभ मानी जाती है बाढ़

यह कोई पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है। इस साल 15 जुलाई को पहली बार गंगा और यमुना के पानी ने मंदिर में प्रवेश किया था। उसके बाद 17 जुलाई, 29 जुलाई, 25 अगस्त और 5 सितंबर को गंगा-यमुना के पानी मंदिर में पहुंचा और लेटे हुए हनुमान जी का अभिषेक किया। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, गंगा और यमुना हर साल हनुमान जी का अभिषेक करने के लिए मंदिर में प्रवेश करती हैं। यह घटना बहुत शुभ मानी जाती है। कहा जाता है कि जिस वर्ष ऐसा नहीं होता, उसे अच्छा नहीं माना जाता। यही कारण है कि प्रयागराज देश का शायद इकलौता शहर है जहाँ के लोग बाढ़ आने का इंतजार करते हैं।

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