वाराणसी

Varanasi: चंद्र ग्रहण से पहले दशाश्वमेध घाट पर हुई गंगा मैया की आरती; विदेशी पर्यटक भी बने अनोखे दृश्य के साक्षी

काशी का हर दिन ही अनोखा होता है, लेकिन चंद्रग्रहण से पहले घाटों पर एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला। ग्रहण से नौ घंटे पहले दोपहर में दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की आरती संपन्न हुई। यह पिछले 34 वर्षों में केवल पांचवीं बार था जब दोपहर में गंगा आरती का आयोजन हुआ।

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Chandra Grahan 2025 Varanasi: बनारस का हर दिन निराला है। ऐसे में चंद्र ग्रहण से पहले काशी के गंगा घाटों पर एक अद्भुत दृश्य नजर आया। ग्रहण से नौ घंटे पहले ही दोपहर में घाटों पर गंगा आरती का आयोजन हुआ। दशाश्वमेध घाट पर सात अर्चकों ने विधिपूर्वक मां गंगा की आरती उतारी। यह पिछले 34 वर्षों में केवल पांचवीं बार था जब दोपहर में गंगा आरती का कार्यक्रम आयोजित हुआ।

चंद्र ग्रहण से पहले दशाश्वमेध घाट पर दोपहर की गंगा आरती

विदेशी भी बने आरती के साक्षी

हाल ही में गंगा में आई बाढ़ के कारण घाटों पर बने मकानों की छतों से आरती दिखाई दी। रविवार को सुबह 11:45 बजे आरती शुरू हुई। अर्चकों ने पहले मां गंगा का विधिवत पूजन किया और शंखनाद के साथ आरती की शुरुआत हुई। “जय गंगे मैया” के उद्घोष के साथ आरती में शामिल होने के लिए कड़ी धूप में सैकड़ों लोग पहुंचे, जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। यह आरती करीब 45 मिनट तक चली। दशाश्वमेध घाट पर आरती संपन्न कराने वाले गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि चंद्रग्रहण के मद्देनजर शाम की आरती को दोपहर में कराना पड़ा, क्योंकि ग्रहणकाल के दौरान सूतक का नियम होता है और इस अवधि में धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते।

सूतककाल से पहले बंद हुए मंदिर

चंद्र ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक काल के कारण काशी के अधिकांश प्रमुख मंदिर जैसे संकट मोचन, महावीर और दुर्गा मंदिर बंद रहे। भक्त गंगा घाटों या अपने घरों में बैठकर भगवान का सुमिरन करते दिखे। काशी विश्वनाथ मंदिर और काल भैरव मंदिर ग्रहण के दो घंटे पहले बंद होंगे। इस बार रविवार की रात 9:57 बजे लगने वाला चंद्रग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण के रूप में बेहद खास माना जा रहा है।

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