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सिविल सर्विस एग्जाम के लिये छोड़ दिया घर, दो बच्चों की मां ने अफसर बन पाया मुकाम

​Arti Gupta PCS: मम्मी-मम्मी देखो.... आपका फोटो छपा है। सोचिये ये शब्द कितने खूबसूरत होंगे उस मां के लिये, जिसने अपने परिवार की जिम्मेदारी के साथ-साथ अफसर बनने का सपना भी पूरा किया। एक ऐसी महिला, जो इस सपने का पीछा करते-करते परिवार से दूर आ गईं मगर उनकी तैयारियों में कोई कमी नहीं रही। वाकई आरती गुप्ता उन सभी लोगों के लिये एक मिसाल हैं, जो मुसीबतों से लड़ते हुए ऊंचा उड़ने का ख्वाब रखते हैं।
PCS Officer Arti Gupta (Photo: Instagram- Arti Gupta)

PCS Officer Arti Gupta (Photo: Instagram- Arti Gupta)

PCS Officer Success Story: अगर हौसले बुलंद हो तो मुश्किल से मुश्किल राह भी आसान बन जाती है। इस बात को साबित कर दिखाया उस महिला ने, जिसकी न सिर्फ कम उम्र में शादी हो गई, बल्कि बेहद जल्दी ही परिवार संभालने की जिम्मेदारी उसके सिर पर आ गई। हम बात कर रहे हैं देश के सबसे बड़े जिले उत्तर प्रदेश की पीसीएस अधिकारी आरती गुप्ता की। आज आरती उस मुकाम पर हैं, जहां उनके परिवार के अलावा पूरे समाज को उनपर गर्व महसूस होता है। वे एक बेटी, एक बहू होने की जिम्मेदारी बखूबी निभाते हुए अपने सपने का पीछा करती रहीं और आखिरकार एक दिन ऐसा भी आया, जब वे अपने मुकाम को हासिल करने में कामयाब भी हो गईं।

साइकिल चलाकर जाती थीं स्कूल

मम्मी-मम्मी देखो... आपका फोटो छपा है। सोचिये ये शब्द कितने खूबसूरत होंगे उस मां के लिये, जो अपने सपनों का पीछा तब तक करती रहीं, जब तक कि उन्होंने उसे पूरा नहीं कर लिया। उस मां के लिये जिसने अपने परिवार और अपने सपने दोनों को साथ लेते हुए मंजिल तक पहुंचने का सफर तय किया। रायबरेली के छोटे से कस्बे मुंशीगंज से आने वाली साधारण सी लड़की आरती की ये कहानी है, जिसकी सारी पढ़ाई सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल से हुई। स्कूल भी घर से पांच किलोमीटर दूर था, जहां का सफर तय करने के लिये वो रोज साइकिल चलाया करती थीं।

ऐसे शुरू हुई सपनों की उड़ान

आरती के दो छोटे भाई थे, जिनकी जिम्मेदारी भी वे संभालती थीं। आरती की ग्रेजुएशन खत्म हुई तो BTC में एडमिशन लिया। फिर एक दिन आरती की मुलाकात जिलाधिकारी अमृता सोनी से हुई, जिन्हें देखने के बाद ही उनके सपनों की उड़ान शुरू हुई। डीएम को देखने के बाद आरती के मन में भी आया कि वे एक दिन बुलंदियों को छुएंगी और एक दिन अफसर बनेंगी।

कुछ ऐसे याद आया आरती को अपना सपना

कुछ समय के बाद आरती बतौर प्राइमरी टीचर नौकरी करने लगीं। नौकरी के दौरान ही उनके दो बच्चे हुए। आरती मानो अपने सपने को भूल सी चुकी थीं। मगर इसी सपने को याद दिलाता हुआ फेसबुक पोस्ट एक दिन उन्हें नजर आया, जो दरअसल उन्हीं की एक दोस्त का था, जिसे आरती बचपन से जानती थीं। पोस्ट पर लिखा था- साइंटिस्ट, जर्मनी। बस फिर क्या था आरती को भी अपने बचपन का वो अफसर वाला सपना याद आ गया और वे लग गईं तैयारी में। उन्होंने मन ही मन ठान लिया कि अब चाहे कुछ भी हों, वे पीसीएस अधिकारी बन कर दिखाएंगी।

जब टीचर ने याद दिलाई 'औकात'

वो सिर्फ एक फेसबुक पोस्ट नहीं था, जिसने आरती को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित किया। बल्कि आरती की जो स्कूल में सह अध्यापिका थी, अकसर वे आरती से बदतमीजी से पेश आती थीं। एक बार उन्होंने आरती को धक्का देते हुए ये तक कह दिया कि तुम्हारी औकात ही क्या है। बस ये कुछ ऐसा पल था, जिसने आरती को इतना हर्ट किया कि उन्होंने सोच लिया कि अब तो कुछ करके दिखाना है। आरती चाहतीं तो अपने साथ वाली टीचर को उसी वक्त मुंह तोड़ जवाब दे सकती थीं। मगर कहते हैं ना जवाब जब वक्त देता है, तो उसमें कुछ और ही बात होती है। आरती ने ये सोचते हुए अपने लक्ष्य को सामने रखा और बस UPPCS की तैयारियों में जुट गईं।

आरती ने नहीं हारी हिम्मत

साल 2019 का वक्त था, जब आरती किसी वजह से पेपर नहीं दे सकीं। मगर फिर वे परीक्षा की तैयारियों में जुट गईं। आरती के लिये ये सब बिल्कुल भी आसान नहीं था। क्योंकि एक तरफ घर की जिम्मेदारी और दूसरी तरफ छोटे बच्चे। ऐसे में आरती के लिये तैयारी करना काफी मुश्किल था मगर उन्होंने बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हारी। कई बार आरती के मन में ये ख्याल भी आता था कि कहीं इस तैयारी के चक्कर में वे अपने परिवार के साथ कुछ गलत तो नहीं कर रहीं।

जब पति ने कहा- घर से बाहर जाओ!

एक बार फिर उन्होंने एग्जाम दिया और प्रीलिम्स पास कर लिया। अब मेन पड़ाव था मेन्स। घर की जिम्मेदारियां भी सर पर थीं और ऐसे में ये मुश्किल समय था पूरी तैयारी करने का। मगर इस वक्त आरती के पति ने उनका बखूबी साथ निभाया और कहा कि तुम घर के बाहर रहकर तैयारी करो। इसके बाद वे घर से निकलकर दिल्ली आ गईं। और यहीं मुखर्जीनगर में पीजी में रहकर उन्होंने तैयारी की। वे न दिन देखती थीं और ना ही रात। बस लगातार मेहनत में जुटी रहीं। फिर एक दिन ऐसा आया, जब आरती का रिजल्ट आया।

ऐसे दिया सपनों को अंजाम

इंटरव्यू क्लीयर करने के बाद फाइनल लिस्ट में आरती ने अपना नाम देखा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे सभी लोग आरती की खुशी से खुश थे, जिन्होंने इस जर्नी में उनका साथ दिया। यही वो वक्त था, जब आरती का छोटा सा बेटा पेपर कटिंग लेकर उनके पास आया और कहा कि मम्मी आपकी फोटो पेपर पर छपी है। इस वक्त आरती उत्तरप्रदेश के फतेहपुर में उप शिक्षा निदेशक के पद पर तैनात हैं।

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