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Explained: विदेश से पढ़ाई करना कितना सही? जानें फायदे से लेकर नुकसान तक की हर जानकारी

Studying in India vs Studying in Abroad: विदेश में पढ़ाई को अक्सर एक मुश्किल और महंगा काम माना जाता है। आम धारणा यह है कि केवल अमीर परिवारों के बच्चे ही विदेश में पढ़ सकते हैं या फिर जिनके रिश्तेदार पहले से विदेश में रहते हैं। यही गलतफहमी कई छात्रों को सीमित अवसरों और पुरानी मान्यताओं के घेरे में बांधे रखती है। लेकिन अब वक्त है इस सोच को बदलने का। विदेश में पढ़ाई हर भारतीय छात्र के लिए एक खुला विकल्प है। मेहनत और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकता है और अपने करियर को एक नई दिशा दे सकता है।
Study in India vs Study Abroad

विदेश में पढ़ाई बनाम भारत में पढ़ाई

Study in India vs Study in Abroad: Difference, Benefits, Disadvantage, Which is Better: विदेश में पढ़ाई और भारत में पढ़ाई के बीच चुनाव व्यक्तिगत लक्ष्यों पर निर्भर करता है, क्योंकि विदेशी शिक्षा बेहतर अनुभव, एडवांस रिसोर्सेज और वैश्विक करियर की संभावनाएं प्रदान करती है, हालांकि इसमें लागत ज्यादा आती है और सांस्कृतिक चुनौतियां भी आती हैं। इसके विपरीत, भारत में पढ़ाई ज्यादा किफायती है, सांस्कृतिक परिचय प्रदान करती है और भारतीय बाजार में करियर के लिए जरूरी मजबूत स्थानीय नेटवर्क बनाती है। इस निर्णय में लागत, वांछित शैक्षिक गुणवत्ता, वैश्विक बनाम स्थानीय करियर लक्ष्य, और सांस्कृतिक जुड़ाव व विकास के लिए व्यक्तिगत प्राथमिकताओं का संतुलन शामिल है।

लेकिन क्या इतनी ही सच्चाई है या फिर हमें पूरी जानकारी नहीं है? चलिए आज इस एक्सप्लेनर के माध्यम से हम यही समझते हैं कि विदेश में पढ़ाई बनाम भारत में पढ़ाई में क्या अंतर है?

भारत की शिक्षा व्यवस्था बनाम विदेश की पढ़ाई

अक्सर यह सवाल उठता है कि जब भारत में भी अच्छे विश्वविद्यालय मौजूद हैं तो विदेश क्यों जाना है? विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की शिक्षा व्यवस्था अभी भी काफी हद तक थ्योरी पर आधारित है और इसमें व्यावहारिक कौशल की कमी है। एक अध्ययन में पाया गया कि कॉलेज से निकलने वाला कोई भी छात्र पूरी तरह स्किल्ड लेबर के रूप में बाहर नहीं आता।

भारत का शिक्षा तंत्र दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा है, लेकिन दुनिया की टॉप 200 यूनिवर्सिटीज में एक भी भारतीय संस्था शामिल नहीं है – न ही IIT और न ही IIM। यानी, जहां हमारे देश में सीटें सीमित और आरक्षण नीति के कारण अत्यधिक प्रतिस्पर्धा होती है, वहीं विदेश में प्रवेश प्रक्रिया कहीं अधिक सरल और लचीली है।

विदेश में पढ़ाई करने के फायदे

विदेश में पढ़ाई करने के कई फायदे हैं, जैसे:

  • रैंकिंग और क्वालिटी – भारतीय संस्थान वैश्विक रैंकिंग में पीछे हैं, जबकि विदेश की यूनिवर्सिटीज विश्वस्तरीय शिक्षा और मान्यता प्रदान करती हैं।
  • अवसर और व्यक्तित्व विकास – विदेश में पढ़ाई से छात्र अधिक आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनते हैं।
  • कोर्सेस में विकल्प मिलना – वहां “डुअल मेजर”, “माइनर” और “फ्री इलेक्ट्रिव” जैसे विकल्प मिलते हैं।
  • कौशल पर फोकस – थ्योरी के साथ-साथ छात्रों को व्यावहारिक कौशल और नौकरी के लिए तैयार किया जाता है।
  • अंतरराष्ट्रीय लेवल पर एक्सपोजर – सांस्कृतिक विविधता, तकनीकी उन्नति, सरकारी सुविधाएं और जीवन स्तर कहीं बेहतर हैं।
  • सामाजिक लाभ – कई देशों में छात्रों को फ्री हेल्थकेयर, लाइब्रेरी, ट्रैवल और शॉपिंग पर डिस्काउंट जैसी सुविधाएं मिलती हैं।
  • यात्रा के अवसर – विदेश में रहकर अन्य देशों की यात्रा करना अधिक आसान और सस्ता हो जाता है।
  • भारतीय छात्रों की मांग – कई विदेशी यूनिवर्सिटीज भारत से छात्रों को बुलाने और साझेदारी करने में रुचि रखती हैं।

बढ़ रही है भारतीय छात्रों की संख्या

पिछले एक दशक में विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 256% की बढ़ोतरी हुई है। आज भारतीय छात्र केवल पढ़ाई ही नहीं बल्कि करियर और स्थायी बसावट की योजनाओं के साथ भी विदेश का रुख कर रहे हैं।

शैक्षिक अवसरों का मूल्यांकन

शिक्षा की गुणवत्ता: भारतीय संस्थान विश्वस्तरीय कक्षा शिक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन विदेश में अध्ययन करने से अक्सर एडवांस रिसर्च फैसिलिटी और विविध शैक्षणिक विषयों का अनुभव प्राप्त होता है।

पाठ्यक्रम में लचीलापन: विदेशी विश्वविद्यालय आमतौर पर अधिक लचीले और अंतः विषयक पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, जिससे छात्रों को अपनी शिक्षा को अनुकूलित करने की सुविधा मिलती है, जबकि भारतीय संस्थानों की संरचना अधिक कठोर हो सकती है।

मान्यता और प्रतिष्ठा: प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से प्राप्त डिग्रियों को कुछ भारतीय विश्वविद्यालयों की तुलना में अधिक वैश्विक मान्यता प्राप्त हो सकती है, जो भविष्य के करियर की संभावनाओं को प्रभावित करती है।

शुल्क: इसमें कोई शक नहीं कि विदेश से पढ़ाई करना महंगा पड़ेगा, और रहने के खर्च के कारण विदेश में पढ़ाई करना और भी काफी महंगा हो जाता है। हालांकि, छात्रवृत्ति के जरिये बहुत से छात्रों को विदेश में पढ़ने का मौका मिल जाता है, इसके लिए देश में ऐसे सोच वाले व्यक्तियों की कमी नहीं है, जो बच्चों की फीस के लिए हर मुमकिन कोशिश करते हैं।

निवेश पर लाभ: विदेश में शुरुआती लागत अधिक होती है, लेकिन संभावित वेतन और वैश्विक करियर के अवसर खर्चों की भरपाई कर सकते हैं, जिससे यह एक दीर्घकालिक निवेश बन जाता है।

स्थानीय बनाम विदेशी मुद्रा: भारत में पढ़ाई करने में स्थानीय मुद्रा का प्रबंधन करना शामिल है, जबकि विदेश में पढ़ाई करने के लिए विदेशी मुद्रा का प्रबंधन करना आवश्यक है, जिसमें उतार-चढ़ाव हो सकता है और बजट पर असर पड़ सकता है।

सांस्कृतिक और सामाजिक अनुकूलन

सांस्कृतिक परिचय: भारत में रहने से छात्रों को एक परिचित सांस्कृतिक और सामाजिक वातावरण में रहने का अवसर मिलता है, जिससे अनुकूलन संबंधी तनाव कम होता है।

सांस्कृतिक संपर्क: विदेश जाने से एक नई संस्कृति का अनुभव करने और उसमें घुलने-मिलने का अवसर मिलता है, जिससे आपको एक्सपोजर मिलता है, और सांस्कृतिक संवेदनशीलता बढ़ती है।

सहायता प्रणालियां: भारत में परिवार और दोस्तों के करीब रहने से एक मजबूत भावनात्मक समर्थन प्रणाली मिल सकती है, जबकि विदेश में, छात्रों को नए सिरे से नए नेटवर्क बनाने की आवश्यकता हो सकती है।

करियर के अवसर, रोजगार और चुनौतियां

स्थानीय रोजगार बाजार: भारत में रहना उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो भारतीय बाजार में, खासकर आईटी, फाइनेंस या सरकारी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में, अपना करियर बनाना चाहते हैं।

वैश्विक रोजगार (Global employment): विदेश में पढ़ाई करने से अंतरराष्ट्रीय रोजगार बाजारों और वैश्विक कंपनियों के द्वार खुल सकते हैं, जो संभावित रूप से उच्च वेतन और अधिक विविध करियर पथ प्रदान करते हैं।

कार्य प्राधिकरण (Work Authorization): अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को अक्सर वीजा और कार्य प्राधिकरण संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो स्नातक होने के बाद नौकरी के अवसरों को प्रभावित कर सकती हैं।

पूर्व छात्रों का नेटवर्क

छात्रों का नेटवर्क: भारतीय संस्थानों के स्थानीय पूर्व छात्र नेटवर्क मजबूत हैं, जो देश में मार्गदर्शन और नौकरी पाने के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

वैश्विक संपर्क: प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों के पूर्व छात्र नेटवर्क अक्सर दुनिया भर में फैले होते हैं, जो व्यापक पेशेवर नेटवर्क और अवसर प्रदान करते हैं।

संस्थागत सहायता: विदेशी विश्वविद्यालय बेहतर करियर सेवाएं, इंटर्नशिप और प्लेसमेंट सहायता प्रदान कर सकते हैं, जो वैश्विक नौकरी बाजार में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण हैं।

लक्ष्य और प्राथमिकताएं

भारत में रहने से करियर और पारिवारिक जीवन के संदर्भ में अधिक स्थिरता और पूर्वानुमानशीलता मिल सकती है, जबकि विदेश जाने से अधिक साहसिक और विविध जीवनशैली मिल सकती है।

पारिवारिक और सामाजिक जीवन: जो लोग पारिवारिक और सांस्कृतिक जड़ों के करीब रहने को प्राथमिकता देते हैं, उनके लिए भारत में रहना अधिक अनुकूल है, जबकि विदेश जाने का मतलब अधिक स्वतंत्रता लेकिन कम पारिवारिक सहायता हो सकता है।

दीर्घकालिक निवास: विदेश जाने से किसी अन्य देश में स्थायी निवास या नागरिकता के अवसर मिल सकते हैं, जो जीवनशैली और भविष्य के परिवार नियोजन को प्रभावित कर सकते हैं।

अंत में एक और बात का ध्यान रखना जरूरी है कि हां छात्रवृत्ति के बिना विदेश में रहना, पढ़ाई करना महंगा हो सकता है, लेकिन वहां पार्ट टाइम काम करके बहुत हद हद खर्चे निकाले जा सकते हैं।

मुझे विदेश से पढ़ाई करनी है, तो किन बातों का रखें ख्याल

अगर आप विदेश से पढ़ाई करना चाह रहे हैं तो सबसे जरूरी है खुद से रिसर्च करें, इसके लिए कई दिनों का समय लें, छोटी से छोटी बातों का लेकर पूरी तरह सुनिश्चिता बनाएं। और कुछ सवालों के जवाब जरूर से हासिल कर लें - क्या आपका उसे विश्वविद्यालय या कोर्स से लक्ष्य पूरा हो सकेगा? क्या आप नए स्किल्स से परिचित हो सकेंगे? क्या आप रहने की प्रॉब्लम सॉल्व कर लेंगे? क्या आप आप अपने खर्चों को मैनेज कर लेंगे यदि नहीं, तो क्या आप पार्ट टाइम करने के लिए सहज हैं? और अंत में क्या आप अपनी सेहत का ख्याल रख लेंगे इत्यादि

अलग-अलग देशों के एजुकेशन सिस्टम की तुलना करें, फीस की तुलना करें, कोर्स में क्या क्या शामिल होगा इसकी तुलना करें, ओवरआल खर्च की तुलना करें, वीजा की तुलना करें, मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय की लिस्ट बनाएं, उनकी वेबसाइट पर जाएं, हर बारीकी को समझें, वहां मेल करें, हो सके तो कॉल करें।

सबसे बड़ी चुनौतियां

अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को अक्सर सांस्कृतिक तौर पर संघर्ष करना पड़ता है, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक यहां तक की खाना पानी और भाषा संबंधी बाधाएं आ सकती हैं, शुरू में घर की याद आना और नई जगह एडजस्ट होना, नेटवर्क बनाना, रास्ते समझना, भरोसा करना भी बड़ी चुनौती लग सकती है।

इस स्थितियों के लिए भी रहना चाहिए तैयार (Russia - Ukraine War)

रूस और यूक्रेन युद्ध का असर यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को भी झेलना पड़ा, हालांकि युद्ध जैसी स्थिति बनना आसान व सामान्य नहीं होता है, लेकिन चुनौतियां किसी भी रूप में सामने आ सकती है, जैसा कि यूक्रेन में भारतीय छात्रों को झेलना पड़ौ। दोनों देशो के बीच चल रहे युद्ध से सुरक्षा जोखिम पैदा हो गया, स्थानीय लोगों की भारत विरोधी भावना, अन्य देशों में ट्रांसफर लेना आसान नहीं रहा, कईयों की पढ़ाई छूटी और कईयों की अपीलें अधूरी रह गईं, कुछ लोग दूसरों देशों में जाकर पढ़ाई जारी रखने में सक्षम रहे, लेकिन कई लोगों के सपने चकना चूर भी हुए

नेपाल में प्रदर्शन

आज की खबर से जानें नेपाल में क्या चल रहा है - नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने सोमवार 8 सितंबर को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को बलुवतार स्थित उनके सरकारी आवास पर हुई कैबिनेट बैठक में अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनका इस्तीफा ऐसे दिन आया जब हजारों युवा नेपाली काठमांडू की सड़कों पर उतर आए और सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के कदम का विरोध किया। रैली शुरू होने के बाद, छात्र और युवा पेशेवर मध्य काठमांडू में इकट्ठा हुए। इस दौरान वहां परीक्षाएं कैंसिल कर दी गई, जिसका सीधा असर तमाम छात्रों के करियर पर पड़ सकता है। इस स्थिति में भारतीय छात्र ऐसी अधर में लटक सकते हैं ना वे यहां के रह जाते हैं ना वे वहां के।

हो सकता है सरकार ऐसे छात्रों के लिए कदम लें और उन्हें देश वापस बुलाए जैसे यूक्रेन से सुरक्षित रूप से बुलाया गया था, लेकिन देश में आकर मिड सेशन में फिर से एडमिशन प्रोसेस आसान होता होगा?

ये लेख विदेश में पढ़ने की योजना बनाने वाले छात्रों को जरूर पढ़ना चाहिए, ताकि उन्हें विदेशी चकाचौंध से हटकर हर एंगल से विभिन्न चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें।

एडमिशन के लिए क्या है जरूरी शर्त?

  1. अंग्रेजी पर पकड़: विदेश में पढ़ने के लिए अंग्रेजी आना जरूरी है, जिसके लिए आपको IELTS या TOEFL टेस्ट देना होगा।
  2. स्टैंडर्डाइज्ड टेस्ट: ये टेस्ट देश और आपके द्वारा चुने गए प्रोग्राम के अनुसार अलग-अलग होते हैं। कुछ आम टेस्ट SAT, ACT (अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के लिए) और GRE या GMAT (पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए) हैं।
  3. रिकमेंडेशन लेटर: ये लेटर आपके प्रोफेसर, शिक्षक या एम्प्लॉयर लिखते हैं। इसमें वे आपकी क्षमताओं के बारे में बताते हैं।

यूनिवर्सिटी में अप्लाई कहां से करें?

यूनिवर्सिटी की वेबसाइट से आवेदन फॉर्म का पता लगाएं, अपना प्रोग्राम चुनें, इसके बाद एडमिशन फॉर्म भरें। जरूरी दस्तावेज अपलोड करें और एप्लिकेशन फीस का भुगतान करें। एप्लिकेशन लेटर और स्टैंडर्डाइज्ड टेस्ट की समय सीमा का ध्यान रखें। आपको ये परीक्षाएं 3-6 महीने पहले बुक करनी होंगी। एक बार जब यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए अप्लाई कर दें और फिर आपको एडमिशन लेटर मिल जाए, तो वीजा के लिए आसानी से अप्लाई किया जा सकता है।

जरूरी डॉक्यूमेंट्स

  • सबसे जरूरी एडमिशन लेटर
  • फाइनेंशियल सपोर्ट और बैकअप
  • पासपोर्ट साइज फोटो और ट्रैवल डॉक्यूमेंट
  • मेडिकल या पुलिस सर्टिफिकेट

निष्कर्ष

विदेश में पढ़ाई अब केवल अमीरों तक सीमित नहीं रही। यह उन सभी छात्रों के लिए एक अवसर है जो अपने भविष्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते हैं। सही जानकारी, सही दिशा और उचित योजना के साथ कोई भी छात्र विदेश में पढ़ाई का सपना साकार कर सकता है, लेकिन उसके लिए आपको अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करनी होंगी।

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नीलाक्ष सिंह author

लखनऊ के रहने वाले नीलाक्ष सिंह बतौर चीफ कॉपी एडिटर टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से 2021 से जुड़े हैं। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन पूरा ...और देखें

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