एजुकेशन

Explained: उपराष्ट्रपति की सैलरी जीरो फिर भी हर महीने मिलते हैं 4 लाख रुपये, जानें कैसे होता है VP का चयन और कौन डालता है वोट?

Vice President Election 2025: भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिये आज यानी 9 सितंबर को चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में छात्रों के लिये ये जानना बेहद जरूरी है कि भारत के उपराष्ट्रपति का चयन कैसे होता है, कौन वोट डालता है और उनकी तनख्वाह कितनी होती है।
Explained: उपराष्ट्रपति की सैलरी जीरो फिर भी हर महीने मिलते हैं 4 लाख रुपये, जानें कैसे होता है VP का चयन और कौन डालता है वोट?

Vice President Election 2025: आज का दिन पूरे देश के लिये अहम हैं क्योंकि आज देश में नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान हो रहा है। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद यह नए उपराष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया शुरू हुई। छात्रों के लिये ये बात बेहद जरूरी हो जाती है कि भारत के उपराष्ट्रपति का चयन कैसे होता है, कौन वोट डालता है और उनकी तनख्वाह कितनी होती है। यह सवाल अक्सर संघ लोक सेवा आयोग सहित देश की दूसरी परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं तो आपको उपराष्ट्रपति चुनाव से संबंधित हर छोटी से छोटी जानकारी मालूम होनी चाहिए। इस लेख में हम आपको उपराष्ट्रपति चुनाव और उपराष्ट्रपति पद से संबंधित हर सवाल का जवाब देने का प्रयास कर रहे हैं।

जीरो सैलरी फिर भी 4 लाख पहुंच जाता है वेतन

सोचने वाली बात है कि भारत के उपराष्ट्रपति की सरकारी सैलरी डॉक्यूमेंट्स में जीरो होती है। मगर फिर भी उन्हें हर महीने लाखों रुपये मिलते हैं। तो क्या ये कोई विशेषाधिकार है या फिर संविधान की कोई व्यवस्था? इस लेख में इन सभी बातों को समझते हैं और इस रिपोर्ट में जानते हैं कि कैसे देश के दूसरे सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को तनख्वाह नहीं मिलती मगर फिर भी उन्हें हर महीने वेतन भत्ते दिये जाते हैं। बताते चलें कि उपराष्ट्रपति को सिर्फ महीने का वेतन ही नहीं मिलता बल्कि उन्हें कई सारे भत्ते भी दिये जाते हैं। इसके साथ ही देश के सबसे बड़े ऑफिस में वे बैठते हैं। हालांकि, संविधान में उपराष्ट्रपति के पद पर बैठे शख्स की कोई सैलरी नहीं होती, जब तक कि वे राष्ट्रपति का पद ना ले लें। हालांकि, उपराष्ट्रपति को कुछ वेतन भत्ते, सैलरी और कुछ सुविधाएं दी जाती है, जिससे उनकी मासिक आय 4 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। ऐसे में आज यानी 9 सितंबर को हो रहे उपराष्ट्रपति के चुनाव के बाद जो भी इस पदभार को संभालता है, उसे इसी नियम के मुताबिक वेतन भत्ता दिया जाएगा।बता दें कि इस साल जुलाई के महीने में जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति का पद खाली हुआ था।

कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव और कौन डालता है वोट ?

उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे-सीधे नहीं बल्कि इनडायरेक्टली होती है। इसमें रिलेटिव प्रोपोर्शनल रिप्रजेंटेशन सिस्टम ((Relative Proportional Representation System) के तहत सिंगल ट्रासफरेबल वोट का इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता नहीं करती। यानी कि जनती सीधे भारत के उपराष्ट्रपति को नहीं चुन सकती बल्कि सदन में मौजूद सांसद (MP) उपराष्ट्रपति के लिये गुप्त मतदान करते हैं। ऐसे में किसी को भी ये नहीं मालूम होता कि इन सांसदों ने किसे वोट दिया है।

क्या होती है एकल स्थानांतरित मत प्रणाली? (Single Transferable Vote System)

जब भी एक से ज्यादा उम्मीदवार होते हैं तो उन्हे वोट डालने के लिये अपनी पसंद के क्रम में (1,2,3) चुनना होता है। ऐसे में STV (Single Transferable Vote System) का इस्तेमाल किया जाता है। इसे एकल स्थानांतरित मत प्रणाली भी कहा जाता है। इससे वोटिंग प्रोसेस आसान हो जाता है और एक ही वोट से कई सारे उम्मीदवारों में से एक को चुना जाता है। अगर आपकी पसंद वाला उम्मीदवार नहीं जीतता तो आपका वोट दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार को ट्रांसफर हो जाता है। ये प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक कि कोई कैंडिडेट जीतने के लिये जरूरी नंबर्स नहीं पा लेता।

क्यों इतना खास है उपराष्ट्रपति का पद?

दरअसल, VP (Vice President) का जो पद होता है, वो देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। वे लोकसभा और राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं और राष्ट्रपति की गैरहाजिरी में उनकी जिम्मेदारी को संभालते हैं। ऐसे में इस पद पर बैठेशख्स को न केवल सम्मान दिया जाता है, बल्कि उन्हें कई सारी आर्थिक और अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं। इसमें सरकारी आवास, यात्रा भत्ता, रोजमर्रा के भत्ते और सेवा शुल्क जैसे कई अन्य लाभ शामिल होते हैं। ऐसे में उपराष्ट्रपति की कुल मासिक आय कुल मिलाकर 4 लाख रुपये के आसपास तक हो जाती है।

क्यों शून्य होता है उपराष्ट्रपति का वेतन? (Vice President Salary)

अब समझते हैं कि उपराष्ट्रपति का वेतन शून्य क्यों होता है। बता दें कि उपराष्ट्रपति के वेतन के शून्य होने के पीछे की वजह है उनकी संवैधानिक भूमिका। संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत उपराष्ट्रपति का वेतन निर्धारित नहीं किया जाता बल्कि उन्हें वेतन की बजाय कुछ भत्ते और अन्य लाभ दिये जाते हैं। यही वजह है कि उनका आधिकारिक मासिक वेतन शून्य माना जाता है।

भारत के उपराष्ट्रपति और उनका कार्यकाल

1- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन : 13 मई 1952 से 12 मई, 1962

2- डॉ जाकिर हुसैन : 13 मई, 1962 से 12 मई, 1967

3- वी वी गिरी : 13 मई, 1967 से 3 मई, 1969

4- गोपाल स्वरूप पाठक : 31 अगस्त, 1969 से 30 अगस्त, 1974

5- बी डी जत्ती : 31 अगस्त, 1974 से 30 अगस्त, 1979

6- मोहम्मद हिदायतुल्ला : 31 अगस्त, 1979 से 30 अगस्त, 1984

7- रामस्वामी वेंकटरमण : 31 अगस्त, 1984 से 24 जुलाई, 1987

8- शंकर दयाल शर्मा : 3 सितंबर, 1987 से 24 जुलाई, 1992

9- के आर नारायणन : 21 अगस्त, 1992 से 24 जुलाई, 1997

10- कृष्णकांत : 21 अगस्त, 1997 से 27 जुलाई, 2002

11- भैरो सिंह शेखावत : 19 अगस्त, 2002 से 21 जुलाई, 2007

12- हामिद अंसारी : 11 अगस्त, 2007 से 10 अगस्त, 2017

13- वेंकैया नायडू : 11 अगस्त, 2017 से 10 अगस्त, 2022

14- जगदीप धनखड़ : 11 अगस्त, 2022 से 21 जुलाई 2025

देश में जब उपराष्ट्रपति के चुनाव हो रहे हैं तो ऐसे में ये जानकारी काफी अहम हो जाती है। क्योंकि जो भी उपराष्ट्रपति होंगे वे इन्हीं नियमों के तहत अपनी सेवाएं देंगे। चुनाव के दौरान इस बात को समझना बेहद जरूरी है कि उपराष्ट्रपति का वेतन कैसे तय होता है और उन्हें वेतन की जगह कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एजुकेशन (Education News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited