विवाह जिसने भारत को वैश्विक पटल पर रखा: अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के अटूट बंधन को एक साल

विवाह जिसने भारत को वैश्विक पटल पर रखा: अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के अटूट बंधन को एक साल
साल भर पहले, अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट का विवाह केवल एक सामाजिक उत्सव नहीं था
बल्कि यह एक ऐसा ऐतिहासिक आयोजन बन गया जिसने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समृद्धि को विश्व पटल पर और भी उजागर कर दिया। इस विवाह के हर पहलू ने न केवल भारतीय परंपराओं को जीवंत किया, बल्कि वैश्विक समुदाय को भारतीयता की गहराई से रूबरू कराया।
हिंदू विवाह की पवित्रता और उसका वैश्विक संदेश
भारतीय परंपरा में विवाह केवल दो व्यक्तियों का बंधन नहीं, बल्कि आत्माओं का संगम, परिवारों और समाजों का मिलन माना जाता है। अनंत और राधिका ने आधुनिक जीवनशैली के बीच प्राचीन वैदिक परंपराओं को अपनाने का निर्णय लिया, जिससे उन्होंने यह दिखाया कि परंपरा में शक्ति है और उसका पालन करना केवल श्रद्धा ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक संदेश भी है।
इस भव्य विवाह में भारतीय रीति-रिवाजों की सूक्ष्मता और भव्यता को इतनी निपुणता से प्रस्तुत किया गया कि विश्व के कई गणमान्य व्यक्तियों ने स्वयं इसमें भाग लिया। यह आयोजन भारत की उस छवि को और सशक्त करता है जिसमें अध्यात्म, संस्कृति और समावेशिता का संगम है।
भारत की वैश्विक छवि को नई ऊँचाइयाँ
यह विवाह ऐसे समय पर हुआ जब भारत तकनीक, व्यापार, और वैश्विक राजनीति में अपनी भूमिका सुदृढ़ कर रहा था। मुकेश अंबानी और उनके परिवार ने दुनिया भर के राजनेताओं, उद्योगपतियों, कलाकारों और आध्यात्मिक गुरुओं को आमंत्रित कर भारत की soft power का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
अमेरिका के जॉन केरी से लेकर ब्रिटेन के टोनी ब्लेयर, इटली के माटेओ रेंज़ी और तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन जैसे वैश्विक नेताओं ने इसमें शिरकत की। वहीं शंतनु नारायण (Adobe), जय ली (Samsung), एमा वाल्म्सले (GlaxoSmithKline), और इगोर सेचिन (Rosneft) जैसे उद्योग जगत के दिग्गज भी भारत की भूमि पर भारतीय संस्कृति की भव्यता का अनुभव करने पहुँचे।
आध्यात्म और मानवता का संगम
"मानव सेवा ही माधव सेवा" के भाव को चरितार्थ करते हुए, विवाह के प्रारंभ में 50 गरीब जोड़ों का सामूहिक विवाह कराना और तीन सप्ताह तक हजारों लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करना इस आयोजन की आत्मा को दर्शाता है। यह भारत की करुणा और समावेशिता का अनोखा उदाहरण था।
भारतीय परिधान और बनारस की गूँज
विवाह के मुख्य दिन की थीम "An Ode to Banaras" ने बनारस की घाटों, गलियों, और अध्यात्मिक धरोहर को मुंबई के हृदय में जीवंत कर दिया। मेहमानों ने पारंपरिक भारतीय वस्त्रों में सजकर भारत की विविधता और कारीगरी का शानदार प्रदर्शन किया। यह आयोजन केवल एक विवाह नहीं, बल्कि भारत के पारंपरिक वस्त्रों, शिल्पकला और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव बन गया।
भारत का संदेश – परंपरा में ही प्रगति का मार्ग
यह विवाह एक जीवंत उदाहरण है कि कैसे भारत अपनी परंपराओं को आधुनिकता के साथ जोड़कर दुनिया को आकर्षित करता है। अनंत और राधिका का यह पवित्र बंधन एक साल बाद भी भारतीय संस्कृति की आत्मा और इसके वैश्विक महत्व की याद दिलाता है।
यह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं था, बल्कि एक ऐसा क्षण था जब दुनिया ने भारत की आध्यात्मिकता, करुणा और सांस्कृतिक भव्यता को नमन किया।
इस लेख के निर्माण में किसी भी टाइम्स नाऊ पत्रकार की भूमिका नहीं है।
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