धीमी रफ्तार लेकिन गहरी पकड़ , क्यों देखने लायक है मनोज बाजपेयी की इंस्पेक्टर जेंडे!!
Inspector Zende Review Hindi: मनोज बाजपेयी की क्राइम-थ्रिलर ड्रामा इंस्पेक्टर जेंडे ओटीटी पर आ गई है। यह आपको रियल कहानी से मिलवाएगी। फिल्म में कमाल की कास्टिंग है साथ ही इसकी कहानी को भी बखूबी दिखाया गया है। आइए बताते हैं फिल्म में क्या है देखने लायक

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कास्ट एंड क्रू
Inspector Zende Review Hindi: मनोज बाजपेयी की नई फिल्म इंस्पेक्टर जेंडे केवल एक थ्रिलर ड्रामा नहीं है बल्कि यह समाज, न्याय व्यवस्था और इंसानी मानसिकता पर गहरी पड़ताल करती है। निर्देशक ने कहानी को 1980 के दशक में सेट किया है, जब पुलिस विभाग के पास न तो कोई लेटेस्ट टेक्नॉलाजी थी और न ही पर्याप्त रिसोर्स। अपराधियों को पकड़ने के लिए तब केवल दिमाग, धैर्य और अनुभव की जरूरत होती थी। इसी फिल्म में इंस्पेक्टर ज़ेंडे की यात्रा रची गई है, जो फिल्म को एक दमदार रोल देता है। वह एक ऐसे इंस्पेक्टर है जो अपने दम पर खूंखार अपराधी को पकड़ने की हिम्मत रखता है। फिल्म नेटफ्लिक्स पर आ गई है। आइए बताते हैं कैसी है ये मूवी
क्या है फिल्म की कहानी
इंस्पेक्टर जेंडे मूवी की कहानी वास्तविक जीवन पर आधारित है। यह फिल्म पुलिस अफसर मधुकर बपुराव ज़ेंडे की कहानी को पर्दे पर उतराती है। जिन्होंने अपने करियर में दो बार स्विमसूट किलर कहलाने वाले कुख्यात सीरियल किलर चार्ल्स सोब्राज को गिरफ्तार किया था। पहली गिरफ़्तारी 1971 में हुई थी, उसके बाद वह जेल से भाग निकला था। फिर दोबारा से 1986 में उस
अभिनय और किरदार
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत मनोज बाजपेयी हैं। वह पूरी कहानी की रीढ़ की तरह खड़े नजर आते हैं। उनका अभिनय गंभीर है, जो परत-दर-परत खुलता है। ज़ेंडे के रूप में उनकी खामोशी और आंखों की गहराई किरदार में जान डाल देती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म से अभिनेता ने दर्शकों के दिल में गहरी छाप छोड़ी है। दूसरी ओर, जिम सर्भ ( Jim Sarabh) का खलनायक कार्ल भोजराज फिल्म में टेंशन और सस्पेंस बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। वह जितने ठंडे दिमाग से अपने अपराधों को अंजाम देता है, उतना ही डर दर्शकों के दिल में डर छोड़ जाता है।फिल्म का निर्देशन
निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी फिल्म इस फिल्म के बड़े आकर्षण हैं। 1980 के दशक को बेहद बारीकी से पर्दे पर उतारा गया है। सेट डिज़ाइन, यहां तक कि किरदारों की वेशभूषा उस दौर की याद दिलाते हैं। कैमरे का काम भी प्रभावशाली है, जो अपराध और जांच की बारीकियों को दर्शक तक पहुंचाता है।प्लस और माइनस पॉइंट्स
फिल्म के प्लस पॉइंट्स में अभिनय और किरदारों की गहराई सबसे आगे है। सस्पेंस और कहानी की बारीकियां दर्शक को लगातार जोड़े रखती हैं। वहीं, इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है इसकी धीमी गति। कई बार कहानी बोझिल लग सकती है और सीमित लोकेशनों की वजह से ऐसा लगता है कि सब एक जगह अटक गया है।निष्कर्ष
कुल मिलाकर इंस्पेक्टर जेंडे उन दर्शकों के लिए है, जो सिर्फ तेज-तर्रार थ्रिलर नहीं, बल्कि इंसानी मनोविज्ञान और किरदारों की जटिलताओं को समझना चाहते हैं। यह फिल्म गंभीर सिनेमा पसंद करने वालों के लिए एक यादगार अनुभव साबित हो सकती है।देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। मूवी रिव्यू (Entertainment News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
आर्टिकल की समाप्ति
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