जेट इंजन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी GE ने अपना दूसरा इंजन GE-404 भारत को सौंपा है। यह इंजन हल्के लड़ाकू विमान LCA तेजस मार्क-1 ए में लगेगा। यही नहीं, इस वित्तीय साल के अंत तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटिड (HAL) को जीई से 12 और इंजन मिलने की उम्मीद है।
GE fighter jet Engine: जेट इंजन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी GE ने अपना दूसरा इंजन GE-404 भारत को सौंपा है। यह इंजन हल्के लड़ाकू विमान LCA तेजस मार्क-1 ए में लगेगा। यही नहीं, इस वित्तीय साल के अंत तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटिड (HAL) को जीई से 12 और इंजन मिलने की उम्मीद है। समाचार एजेंसी एएनआई ने रक्षा सूत्रों के हवाले से कहा है कि भारतीय वायु सेना (AF) ने 83 एलसीए मार्क 1ए फाइटर जेट के लिए ऑर्डर दिए हैं। यही नहीं रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद 97 और तेजस फाइटर प्लेन खरीदने का प्रस्ताव काफी आगे बढ़ चुका है।
भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान है तेजस। तस्वीर-PTI
हल्का लेकिन अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है तेजस
तेजस Mark 1A, भारत में विकसित एक हल्का लेकिन अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है, जो पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकों पर आधारित है। इस विमान को भारतीय वायुसेना की बदलती ज़रूरतों के अनुसार डिजाइन किया गया है। GE-404 इंजन की ताकत के साथ यह विमान और अधिक शक्तिशाली, गतिशील और विश्वसनीय बन जाएगा। तेजस Mark 1A में लगे यह इंजन इसकी उड़ान क्षमता, लड़ाकू प्रदर्शन और सामरिक विश्वसनीयता को एक नई ऊंचाई देंगे।
भारतीय वायुसेना ने HAL को पहले ही 83 तेजस Mark 1A विमानों का ऑर्डर दे रखा है, जिनकी डिलीवरी वर्ष 2024 से शुरू हो चुकी है। इसके साथ ही, वायुसेना की योजना में 97 और तेजस Mark 1A विमानों की खरीद का प्रस्ताव भी शामिल है, जिसे रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिल चुकी है और अब यह प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। इन ऑर्डरों की पूर्ति के बाद वायुसेना के बेड़े में तेजस विमानों की संख्या 180 के पार हो जाएगी, जिससे भारतीय हवाई ताकत को और अधिक मजबूती मिलेगी।
GE और HAL के बीच हुआ है ToT
इस डील का एक और महत्वपूर्ण पहलू GE Aerospace और HAL के बीच हुआ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) समझौता है। इस समझौते के अंतर्गत भविष्य में GE इंजन का निर्माण भारत में ही किया जाएगा, जिससे विदेशी निर्भरता में कमी आएगी और भारत को आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की दिशा में नई मजबूती मिलेगी। यह कदम न केवल ‘मेक इन इंडिया’ पहल को गति देगा, बल्कि देश को रक्षा क्षेत्र में एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित करेगा।
GE-404 इंजन की यह आपूर्ति तकनीकी और सामरिक दोनों ही दृष्टिकोण से भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल तेजस कार्यक्रम को नई उड़ान देने वाला है, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता, रणनीतिक सोच और वैश्विक सहयोग का भी प्रतीक बनकर उभरा है।
इंजनों की आपूर्ति फिर से शुरू हुई-रक्षा सचिव
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने CNBC-TV18 को बताया कि भारत के तेजस मार्क 1A लड़ाकू विमानों के लिए जीई F404-IN20 इंजनों की आपूर्ति फिर से शुरू हो गई है और जनरल इलेक्ट्रिक अब मार्च 2026 तक हर महीने दो इंजन की आपूर्ति करेगा। अप्रैल में एक इंजन की डिलीवरी हुई थी, और जुलाई के अंत तक एक और इंजन आने की उम्मीद है। भारत ने 2021 में जनरल इलेक्ट्रिक के साथ 716 मिलियन डॉलर का समझौता किया था, जिसके तहत 99 F404-IN20 इंजन खरीदे जाने थे। हालांकि, आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाओं आपूर्ति प्रभावित हुई।
मार्च तक वायु सेना को मिलेंगे 12 तेजस मार्क-1ए
इसके चलते डिलीवरी शेड्यूल को मार्च 2025 तक के लिए टाल दिया गया। हालांकि देरी के बावजूद, HAL ने 2025 में 12 तेजस Mk1A जेट की आपूर्ति करने की योजना बनाई है। कंपनी ने यह भी संकेत दिया है कि तय समय पर आपूर्ति नहीं करने के लिए GE पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
तेजस उत्पादन और दीर्घकालिक योजनाएं
भारतीय वायुसेना कुल 352 तेजस विमानों को शामिल करने की योजना बना रही है, जिसमें Mk1A और Mk2 दोनों वेरिएंट शामिल हैं। HAL इस वर्ष अपने डिलीवरी लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रक्षा कंपनी को उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में इंजन की आपूर्ति स्थिर हो जाएगी। पूर्ण पैमाने पर उत्पादन 2026–27 तक 30 विमान प्रति वर्ष तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें सार्वजनिक और निजी उद्योग भागीदारों का समर्थन रहेगा।