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देश

'पेरियार का तर्कवादी प्रकाश दुनिया भर में फैला रहा चमक', तमिलनाडु सीएम ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में रामासामी के चित्र का किया अनावरण

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने यूनाइटेड किंगडम स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में समाज सुधारक ई.वी. रामासामी पेरियार जिन्हें व्यापक रूप से तर्कवाद के पैगंबर के रूप में जाना जाता है के चित्र का अनावरण किया।

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने यूनाइटेड किंगडम स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में समाज सुधारक ई.वी. रामासामी पेरियार जिन्हें व्यापक रूप से तर्कवाद के पैगंबर के रूप में जाना जाता है के चित्र का अनावरण किया। यह समारोह 1925 में पेरियार द्वारा स्थापित आत्म-सम्मान आंदोलन की शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था और इसके बाद उनके दर्शन पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

MK stalin

स्टालिन ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पेरियार के चित्र का अनावरण किया (Photo: @mkstalin)


स्टालिन ने अपने संबोधन में कहा कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जो ज्ञान मानवाधिकार और सम्मान का पर्याय है। यहां पर फादर पेरियार के चित्र का अनावरण करना मेरे लिए जीवन भर का सम्मान है। यह अनावरण इस बात का प्रमाण है कि पेरियार का तर्कवादी प्रकाश अब तमिलनाडु की सीमाओं से परे दुनिया भर में चमक रहा है।

स्टालिन ने सुनाया 1983 का किस्सा

सेंट एंटनी कॉलेज और ऑक्सफोर्ड के बैलिओल कॉलेज द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में प्रोफेसर फैसल देवजी, प्रोफेसर जेम्स मल्लिंसन और शोधकर्ता प्रमिला बेस्टर सहित प्रमुख विद्वानों ने तमिलनाडु के उद्योग मंत्री टी.आर.बी. राजा के साथ भाग लिया। स्टालिन ने याद किया कि लगभग 40 साल पहले 1983 में द्रविड़ कझगम के अध्यक्ष के. वीरमणि ने ऑक्सफोर्ड में पेरियार की शताब्दी मनाई थी और कहा कि पेरियार को एक बार फिर वैश्विक मंच पर सम्मानित होते देखना बेहद भावुक करने वाला था।

पेरियार के दर्शन का सार समझाते हुए स्टालिन ने कहा कि अगर कोई पूछे कि पेरियारवाद का क्या अर्थ है, तो हमें उन्हें इसकी नींव से परिचित कराना होगा - आत्म-सम्मान, तर्कवाद, सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता, बंधुत्व, वैज्ञानिक सोच, धर्मनिरपेक्ष राजनीति, महिला मुक्ति और मानवीय गरिमा। उन्होंने पेरियार के इन शब्दों को उद्धृत किया कि आत्म-सम्मान ही एकमात्र ऐसी चीज है जिसके लिए अपना जीवन देना उचित है और कुडियारासु पत्रिका में पेरियार द्वारा प्रतिपादित छह सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। जिनमें जातिगत पदानुक्रम का उन्मूलन, महिलाओं के लिए समान अधिकार, संसाधनों का समान वितरण और व्यक्तियों को तर्क और जिज्ञासा के आधार पर जीने की पूर्ण स्वतंत्रता शामिल है।

पेरियार के सुधारवादी विचार अपने समय से बहुत आगे-एमके स्टालिन

स्टालिन ने कहा कि पेरियार के सुधारवादी विचार अपने समय से बहुत आगे थे। 1932 की शुरुआत में ही, पेरियार ने यूरोप, सोवियत संघ और इंग्लैंड का दौरा किया, बार्न्सली में मजदूरों को निडरता से संबोधित किया और औपनिवेशिक शोषण की आलोचना की। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह, अंतर्जातीय विवाह, दलितों के लिए मंदिर प्रवेश, शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण, और महिलाओं के संपत्ति अधिकारों का कानून बनने से बहुत पहले ही समर्थन किया था। हिंसक क्रांतियों के विपरीत, पेरियार की क्रांतियां रक्तहीन क्रांतियां थीं जिन्होंने बाद में तमिलनाडु और भारत में नीति और कानून को आकार दिया।

स्टालिन ने बताया कि कैसे एक के बाद एक द्रविड़ नेताओं - सी.एन. अन्नादुरई, एम. करुणानिधि और अब वर्तमान डीएमके सरकार - ने पेरियार के सामाजिक सुधार विचारों को शासन में उतारा। इनमें शामिल हैं: आत्म-सम्मान विवाह (अन्नादुरई द्वारा वैध) महिलाओं के लिए समान संपत्ति अधिकार (करुणानिधि के कार्यकाल में अधिनियमित) और अरुलमिगु समानता टाउनशिप और सभी जातियों के लिए पुरोहिती अधिकार (डीएमके सरकारों द्वारा लागू)।

स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में आज अकाल से कोई मौत नहीं होती। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और सामाजिक विकास में अग्रणी है। जो महिलाएं कभी घरों तक सीमित रहती थीं। वे अब अंतरिक्ष में जा सकती हैं। जिन दलितों को कभी मंदिरों में प्रवेश से वंचित रखा जाता था। वे अब गर्भगृहों में पूजा करते हैं। यही पेरियार की असली जीत है।

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    Monu Jha author

    मोनू कुमार 'Times Now नवभारत' के डिजिटल डेस्क पर Senior Copy Editor के रूप कार्यरत हैं। 'खबरों की दु...और देखें

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