वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर का निधन, पत्रकारिता की संवेदनशील और निर्भीक आवाज हमेशा के लिए खामोश
वरिष्ठ पत्रकार और अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ के संपादक संकर्षण ठाकुर का जन्म 1962 में पटना में हुआ था। वे वरिष्ठ पत्रकार जनार्दन ठाकुर के पुत्र थे। उन्होंने पटना के सेंट जेवियर्स स्कूल और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की।
वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर का निधन
पत्रकारिता में चार दशकों का सफर
बिहार और राजनीति के गहरे जानकार
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ग्राउंड रिपोर्टिंग की मिसाल
न्याय और असहमति की आवाज
पुरस्कार और सम्मान
भावुक श्रद्धांजलियां
- ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने ठाकुर के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी एक पत्रकार और लेखक, दोनों रूप में एक जबरदस्त प्रतिष्ठा थी। गिल्ड ने एक बयान में कहा कि एक निडर ग्राउंड रिपोर्टर के रूप में, उन्होंने भारत की कुछ सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं -- कारगिल युद्ध के मोर्चे से लेकर भोपाल (गैस) त्रासदी, 1984 के सिख विरोधी दंगे और इंदिरा गांधी की हत्या, कश्मीर की समस्याओं, श्रीलंका का गृहयुद्ध और बिहार तथा पाकिस्तान की सामाजिक-राजनीतिक समस्याओं -- पर लिखा।
- जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा सहित कई नेताओं ने ठाकुर को उनके लेखन के लिए याद किया।
- अब्दुल्ला ने कहा कि ठाकुर उन गिने-चुने पत्रकारों में से एक थे जिन्होंने जम्मू कश्मीर में व्यापक रूप से यात्रा करने का प्रयास किया और यात्रा के दौरान, निष्पक्षता के साथ लोगों की बातें सुनीं। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वह एक उत्कृष्ट पत्रकार थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं।’’
- राज्यसभा सदस्य रमेश ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘वह भारतीय राजनीति के एक बहुत ही प्रभावशाली विश्लेषक थे और बिहार तथा जम्मू कश्मीर पर उनके कई लेखों ने उनकी प्रतिष्ठा स्थापित की।’’
- राजद सांसद मनोज झा ने एक पोस्ट में कहा कि बिहार और जम्मू कश्मीर पर ठाकुर के विचारों से कोई सहमत या असहमत हो सकता है, लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी अंतर्दृष्टि के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ठाकुर को ‘‘धारा के विपरीत तैरना’’ पसंद था।
- वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ठाकुर अपने लेखन में बेहद वस्तुनिष्ठ थे और अपनी व्यक्तिगत पसंद या नापसंद को कभी भी अपनी रिपोर्टिंग पर हावी नहीं होने देते थे। असल में, 10-15 दिन पहले ही मेरी उनसे बात हुई थी और हमेशा की तरह, वह जीवंत लग रहे थे - कहानियां सुना रहे थे, हंस रहे थे। वह ऐसे व्यक्ति नहीं थे जो अपनी बीमारी को बड़ा मुद्दा बनाते।’’
- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर के निधन पर शोक व्यक्त किया।
जीवन परिचय
शब्दों से संवेदना रचने वाला पत्रकार
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