जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने दिल्ली दंगों की व्यापक साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। हाईकोर्ट ने 2 सितंबर को उनकी याचिका खारिज करते हुए उनकी भूमिका को गंभीर बताया था। अभियोजन का आरोप है कि दंगे अचानक नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश के तहत भड़काए गए थे।
उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगों से जुड़े कथित बड़े षड्यंत्र के मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। शरजील पर गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत गंभीर आरोप लगे हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद इमाम ने सर्वोच्च अदालत में अपील दायर की है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका आने वाले दिनों में सुनवाई के लिए लिस्ट की जाएगी।
Former JNU Student Sharjeel Imam moves Supreme Court seeking bail
हाई कोर्ट का आदेश और गंभीर आरोप
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को शरजील इमाम और उमर खालिद की जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि उनकी भूमिका गंभीर प्रतीत होती है। कोर्ट ने कहा कि दोनों ने साम्प्रदायिक आधार पर भड़काऊ भाषण दिए और मुस्लिम समुदाय के लोगों को बड़ी संख्या में जुटने के लिए प्रेरित किया। अदालत ने साफ किया था कि मुकदमे की प्रक्रिया स्वाभाविक गति से आगे बढ़नी चाहिए और किसी तरह की जल्दबाजी में ट्रायल चलाना न तो आरोपियों के लिए और न ही राज्य के लिए सही होगा।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2020 में एफआईआर नंबर 59 दर्ज की थी। इसमें इंडियन पीनल कोड और यूएपीए की कई धाराएं लगाई गईं। इस मामले में शरजील इमाम के साथ कई जाने-माने छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया गया है। इनमें उमर खालिद, ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तनहा और नताशा नरवाल जैसे नाम शामिल हैं। पुलिस का आरोप है कि इन लोगों ने संगठित तरीके से दंगों की साजिश रची थी, जबकि आरोपी इन आरोपों से इनकार करते आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट से है जमानत की उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट अगर इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई करता है तो यह साफ होगा कि यूएपीए के तहत लंबे समय से जेल में बंद आरोपियों को राहत मिल सकती है या नहीं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह केस बेहद अहम है क्योंकि इसमें अदालत को यह तय करना होगा कि भाषण और विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और भड़काऊ भाषण के बीच की सीमा कहां खींची जाए।
पुलिस ने दंगों को लेकर लगाए थे गंभीर आरोप
दिल्ली पुलिस ने अदालत में दलील दी थी कि 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे अचानक नहीं भड़के थे, बल्कि उन्हें पहले से योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया। पुलिस ने कहा था कि इन दंगों के पीछे एक खतरनाक मकसद और सुनियोजित साज़िश थी, जिसे बड़े पैमाने पर अंजाम देने की कोशिश की गई। अदालत ने भी अपने आदेश में शरजील इमाम और उमर खालिद की भूमिका को गंभीर बताते हुए कहा था कि उन्होंने सांप्रदायिक आधार पर भड़काऊ भाषण दिए और मुस्लिम समुदाय को बड़े पैमाने पर लामबंद करने की कोशिश की।
शरजील इमाम कौन है?
शरजील इमाम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का पूर्व छात्र और शोधार्थी है। वह मूल रूप से बिहार के जहानाबाद का रहने वाला है। दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों में शरजील इमाम सक्रिय रूप से शामिल रहा। उस समय उसके भाषणों को लेकर कई राज्यों में उसके खिलाफ देशद्रोह और यूएपीए की धाराओं में मामले दर्ज किए गए। बाद में जनवरी 2020 में उसे गिरफ्तार किया गया और तब से वह न्यायिक हिरासत में है।