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दरबार से दरगाह तक, हिंदी की पहली आवाज बना वह मुसलमान, खुद को कहता था हिंद का तोता

Hindi Diwas 2025: हिंदी की मां कही जनी वाली हिंदवी का जनक एक मुसलमान शख्सियत था। खड़ी बोली या हिंदवी या हिंदी में कविता लिखने वाला पहला कवि भी यही शख्स था। हिंदी के दोहे, गीत, गजल और मर्सियों की शुरुआत भी इसने ही की।

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हर साल की तरह इस साल भी 14 सितंबर को पूरे हिंदुस्तान में हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। हिंदी हमारे देश की राजकीय भाषा है। हिंदी भाषा को भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था। वहीं 1953 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संसद भवन में 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। माना जाता है कि हिंदी भाषा का जन्म हिंदवी की कोख से हुआ था। बता दें कि 13वीं सदी से हिंदवी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के शिक्षित हिंदू-मुसलमान लोगों की बोलचाल और साहित्य की भाषा थी। उर्दू भी हिंदवी से ही निकली है। इसी पर दिवंगत शायर मुनव्वर राना का एक मशहूर शेर है:

Hindi Diwas 2025: दरबार से दरगाह तक, हिंदी की पहली आवाज बना वह मुसलमान, खुद को कहता हिंद का तोता (Photo: AI Image)

लिपट जाता हूं मां से और मौसी मुस्कुराती है

मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूं हिन्दी मुस्कुराती है..

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