गणपति बप्पा मोरया के जयकारे से गूंजी कश्मीर की वादियां, श्रीनगर से कुलगाम तक भक्तिभाव रहा माहौल; देखें तस्वीरें
जम्मू-कश्मीर में गणेशोत्सव का समापन भक्ति, सांस्कृतिक सौहार्द और सामुदायिक एकजुटता के वातावरण में हुआ। श्रीनगर और कुलगाम में कश्मीरी पंडित समुदाय ने पारंपरिक ढंग से गणेश विसर्जन समारोह आयोजित किए। स्थानीय मुस्लिम समुदाय के सहयोग से यह उत्सव शांति और भाईचारे का प्रतीक बन गया।
जम्मू-कश्मीर में वार्षिक गणेशोत्सव
जम्मू-कश्मीर में वार्षिक गणेशोत्सव का समापन भक्ति और सांस्कृतिक सौहार्द के माहौल में हुआ। कश्मीरी पंडित समुदाय ने श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर में गणेश विसर्जन समारोह आयोजित किए। प्रार्थनाओं, भजनों और सामुदायिक कार्यक्रमों से सजी इस भव्य परंपरा का समापन भगवान गणेश की प्रतिमाओं के पारंपरिक ढंग से विसर्जन के साथ हुआ।
विसर्जन का हुआ आयोजन
श्रीनगर के ऐतिहासिक गणपत्यार मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु अनुष्ठानों में शामिल हुए। इसी प्रकार कुलगाम के वेसु इलाके में भी श्रद्धा और उल्लास देखने को मिला, जहां वेसु वेलफेयर कमेटी और श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट के सहयोग से कश्मीरी पंडित समुदाय ने विसर्जन का आयोजन किया। आयोजकों ने विसर्जन से पहले कश्मीर की सड़कों पर एक भव्य शोभायात्रा भी निकाली। उनका कहना था कि यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान और धरोहर का पुनः स्मरण है।
जीवित है प्राचीन परंपरा
गणपत्यार मंदिर प्रबंधन समिति और वेसु वेलफेयर कमेटी ने श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट, पुणे और उद्योगपति-समाजसेवी पुनीत बालन का आभार व्यक्त किया। आयोजकों का कहना था कि उनके निरंतर सहयोग से ही घाटी में यह परंपरा जीवित रह सकी है।
शांति और सौहार्द का माहौल
समितियों ने श्रीनगर और कुलगाम जिला प्रशासन के सहयोग की भी सराहना की। विशेष धन्यवाद स्थानीय मुस्लिम समुदाय को दिया गया, जिनकी भागीदारी और समर्थन से पूरे उत्सव के दौरान शांति और सौहार्द बना रहा।
एकजुटता और साझा मूल्यों का प्रतीक
श्रीनगर के एक आयोजक ने कहा कि यह उत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है; यह एकजुटता और साझा मूल्यों का प्रतीक है। हम उन सभी के प्रति आभारी हैं, जिन्होंने हमारे साथ खड़े होकर इस उत्सव को गरिमा और भक्ति के साथ संपन्न कराने में मदद की।
सांस्कृतिक दृढ़ता का सकारात्मक संकेत
कश्मीर में गणेश चतुर्थी का सफल समापन अंतरधार्मिक सहयोग और सांस्कृतिक दृढ़ता का सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए यह उनके प्राचीन परंपराओं की निरंतरता है, जो कठिन परिस्थितियों में भी कायम है।
उत्सव का समापन विसर्जन समारोहों के साथ
इस साल के उत्सव का समापन विसर्जन समारोहों के साथ हुआ। आयोजकों ने आशा जताई कि आने वाले वर्षों में भी सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक गौरव की यह भावना और प्रगाढ़ होगी। पिछले सप्ताह गणेशोत्सव से पहले, श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति मंडल ट्रस्ट ने छह अन्य मंडलों के साथ मिलकर लगातार तीसरे वर्ष गणेशोत्सव को घाटी तक पहुंचाने का निर्णय लिया था। इसके तहत पुणे के तीन प्रमुख गणेश मंडलों श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी, केसरीवाड़ा और अखिल मंडई मंडल की प्रतिकृतियां कश्मीर भेजी गई थीं।
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