Kathua Cloud Burst:: घर के साथ सपने भी बह गए और अब बचा है सिर्फ दर्द, मलबा और सन्नाटा

बादल फटने की त्रासदी केवल किसी गांव या पहाड़ी तक सीमित नहीं रहती, यह बात अब कठुआ की धरती चीख-चीखकर कह रही है। किश्तवाड़ की चोटियों पर कहर बरपाने के बाद कुदरत ने अब कठुआ के घाटी जंगलोट क्षेत्र को निशाना बनाया। यहां बादल फटने के बाद जो मंजर सामने आया, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है। कई मासूम ज़िंदगियां तबाह हो गईं, घर बह गए, सपने बह गए और अब जो बचा है वो है बस दर्द, मलबा और सन्नाटा।

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थम गया है जीवन

कठुआ में जीवन ऐसा लग रहा है मानो थम सा गया हो। तबाही का मंजर साफ तौर पर देखा जा सकता है। यहां सबकुछ मिट्टी में सना हुआ दिख रहा है और सड़के दूर दूर तक नजर नहीं आती है।

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पहाड़ी से आई मौत की लहर

घाटी जंगलोट के गांवों में जब बादल फटा, तो देखते ही देखते पानी, मलबा और पत्थरों की एक बेकाबू लहर गांव को रौंदती हुई शहर तक आ गई। सड़कों पर गाड़ियां बह गईं, घरों में घुटनों तक कीचड़ भर गया। कई मवेशी मलबे में दब गए और कई परिवार अब खुले आसमान के नीचे अपने टूटे आशियाने की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं।

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कल तक यहां दाल रोटी बनती थी

कटवा शहर के ITI वार्ड नंबर-8 की तस्वीरें दिल को झकझोर कर रख देती हैं। जिन रसोईघरों में कल तक पकवान बनते थे, वहां अब मिट्टी और मलवे की परतें चढ़ी हुई हैं।

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सबकुछ मिट्टी में सना है

फ्रिज, सोफा, बर्तन सब कुछ कीचड़ में सना हुआ है। थाली में खाना नहीं, बल्कि मलबा भरा पड़ा है। जिन घरों में खुशियां गूंजती थीं, वहां अब चुप्पी पसरी हुई है। दीवारें गीली हैं, फर्श पर फिसलन है और हवाओं में सिर्फ आहें तैर रही हैं।

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फोटो खींचने आते हैं, मदद कोई नहीं करता

स्थानीय लोगों का दर्द गहराता जा रहा है। कोई मां कहती है, “तीन दिन से बच्चों ने खाना नहीं खाया।” कोई बुजुर्ग कहते हैं, “कपड़े तक नहीं बचे पहनने को, सिर्फ कीचड़ मिला है हर ओर।” और प्रशासन? लोग बताते हैं कि कुछ अफसर और नेता आते हैं, फोटो खिंचवाते हैं, हाथ हिलाते हैं और चले जाते हैं। लेकिन बिजली दो दिन से गुल है, पीने का साफ पानी नहीं है, राहत सामग्री का कोई अता-पता नहीं।

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यह सिर्फ आपदा नहीं, यह चेतावनी है

कठुआ की ये तस्वीरें बताती हैं कि जब बादल फटते हैं, तो वे सिर्फ पहाड़ नहीं तोड़ते, वे इंसानियत की रीढ़ भी तोड़ जाते हैं। यह आपदा सिर्फ एक इलाका नहीं, पूरे सिस्टम की परीक्षा है।

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जब आसमान से बरसी थी आफत

गौर हो कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में रविवार तड़के बादल फटने और भूस्खलन की दो अलग-अलग घटनाओं में पांच बच्चों समेत चार परिवारों के सात सदस्यों की मौत हो गई थी । कठुआ में बादल फटने की घटना जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिशोती गांव में 14 अगस्त को बादल फटने से आई अचानक बाढ़ के तीन दिन बाद हुई है। चिशोती में आई आपदा में 60 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी और 100 से अधिक घायल हुए थे।