भारत का यह शहर कहलाता है एशिया की सबसे पुरानी सिटी, जानें क्या है इसका नाम

भारत में एक ऐसा भी ऐतिहासिक शहर है जिसे एशिया की सबसे पुरानी सिटी माना जाता है। यह शहर हजारों वर्षों से सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र रहा है। इसकी प्राचीनता आज भी इसकी गलियों, घाटों और मंदिरों में जीवंत नजर आती है। तो आइए जानते हैं इस शहर का नाम।

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​ 5,000 साल पुराना शहर

माना जाता है कि भारत के इस शहर का इतिहास 5,000 साल से भी पुराना है और यह दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि यह शहर कई जीवंत संस्कृतियों की प्रेरणा भी रहा है।

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​गंगा के किनारे बसा शहर

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे स्थित यह प्राचीन शहर वाराणसी है, जिसे काशी या बनारस भी कहा जाता है। इसकी गिनती भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक में होती है।

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​वाराणसी की खासियत

वाराणसी की खासियत है इसका गहन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, गंगा नदी और काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ाव और मोक्ष की प्राप्ति का स्थान होना। यह शहर आज भी उतना ही दिलचस्प है।

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​मार्क ट्वेन का कथन

प्रसिद्ध उपन्यासकार मार्क ट्वेन ने वाराणसी के बारे में कहा था कि यह "इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से भी पुराना है, यहां तक कि किंवदंतियों से भी पुराना है और इन सबको मिलाकर भी यह दोगुना पुराना लगता है"।

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​वाराणसी का इतिहास

पहली शताब्दी में यह राजवंश की राजधानी थी, जिसके दौरान शहर में सड़कें बनाई गईं। छठी शताब्दी में वाराणसी काशी राज्य की राजधानी बनी और धार्मिक, शैक्षिक तथा कलात्मक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र थी।

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​नाम के पीछे का रहस्य

यह शहर गंगा की दो सहायक नदियों, वरुणा और अस्सी के बीच स्थित होने के कारण 'वाराणसी' नाम से जाना जाता है, जो इसका वर्तमान आधिकारिक नाम है। हालांकि इसे अविमुक्त क्षेत्र, आनन्दवन/आनन्दकानन, महाश्मशान, रुद्रावास, काशिका, तप:स्थली, मुक्तिभूमि, शिवपुरी के नाम से भी जाना जाता है।

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​वाराणसी की प्रशासनिक संरचना

वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर और चंदौली जिलों को मिलाकर एक मंडल है, जिसका नेतृत्व वाराणसी के मंडलायुक्त करते हैं। साथ ही, वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) शहर के शहरी बुनियादी ढांचे की योजना और विकास के लिए जिम्मेदार है।