अध्यात्म

चंद्र ग्रहण में भी बंद नहीं रहते इन मंदिरों के कपाट, सूतक काम भी नहीं होता मान्य, जानें पीछे की कहानी

Chandra Grahan 2025: जब भी ग्रहण लगता है तो पूजा-पाठ बंद कर दी जाती है और मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन देश में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जो सूर्य ग्रहण से लेकर चंद्र ग्रहण तक खुले ही रहते हैं और इनमें ग्रहण के दौरान पूजा भी होती है।

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Chandra Grahan 2025: इस महीने ही 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगने वाला है। ये भारत में भी दिखेगा और इसका सूतक भी मान्य होगा। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं, न ही पूजा-पाठ की जाती है। चंद्र ग्रहण से तो 9 घंटे पहले ही सूतक काल लग जाता है और सूतक काल लगने के साथ ही मंदिर के द्वार और पूजा बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन भारत में 4 ऐसे मंदिर हैं, जहां ग्रहण में भी पूजा नहीं रुकती है।

वो मंदिर जो ग्रहण में भी नहीं होते हैं बंद (pic credit: canva)

महाकाल मंदिर

उज्जैन का महाकाल मंदिर ग्रहण के दौरान भी खुला रहता है। यहां तक की ग्रहण के दौरान इस मंदिर में भक्तों को भगवान के दर्शन करने भी दिया जाता है। मंदिर के कपाट भी बंद नहीं होते हैं। हालांकि, ग्रहण के अनुसार मंदिर की पूजा और आरती के समय में बदलाव किया जाता है।

लक्ष्मीनाथ मंदिर

बीकानेर का लक्ष्मीनाथ मंदिर बेहद खूबसूरत है। इस मंदिर से जुड़ी कहानी है कि एक बार ग्रहण में पुजारी जी ने मंदिर को बंद कर दिया था और भगवान की पूजा नहीं हुई, न ही भोग लगा। तो उस रात लक्ष्मीनाथ ने बालक का रूप धारण कर लिया था और मंदिर के सामने हलवाई की दुकान पर एक दूकानदार से कहा मुझे भूख लगी है। बालक ने हलवाई को एक पाजेब देकर प्रसाद ले लिया। अगले दिन उस मंदिर से पदचिह्न गायब थे। तब हलवाई ने पुजारी को सारी बात बताई। तब से लेकर अब तक किसी भी ग्रहण पर मंदिर के कपाट नहीं बंद होते हैं और ना ही पूजा-पाठ बंद किया जाते हैं।

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