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सितंबर 2025 में पूर्णिमा का व्रत कब है, क्या चंद्र ग्रहण के साथ पूर्णिमा का व्रत रखना होगा शुभ, पंडित जी से जानें

सितंबर 2025 में पूर्णिमा का व्रत कब है (क्या चंद्र ग्रहण के साथ पूर्णिमा का व्रत रखना होगा शुभ): साल 2025 में भाद्रपद महीने की पूर्णिमा का व्रत 7 सितंबर को रखा जाएगा। यह तिथि रविवार को सुबह 09:27 बजे से लगेगी। इसी तारीख पर पूर्ण चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan September 2025) भी लग रहा है। यहां जानें कि पूर्णिमा व्रत को चंद्र ग्रहण के दिन रखना चाहिए या नहीं।
September 2025 mein Purnima vrat kab, पूर्णिमा व्रत कब

पूर्णिमा का व्रत कब है, क्या चंद्र ग्रहण के साथ पूर्णिमा का व्रत रखना होगा शुभ (Pic: Canva)

सितंबर 2025 में पूर्णिमा का व्रत कब है (क्या चंद्र ग्रहण के साथ पूर्णिमा का व्रत रखना होगा शुभ): पूर्णिमा व्रत को शुभ माना जाता है। इस व्रत में सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है और धन-धान्य व सुख-शांति का आशीर्वाद मांगा जाता है। सितंबर 2025 में 7 तारीख को रविवार के दिन यह व्रत रखा जाएगा। हालांकि पूर्णिमा तिथि इस दिन सूर्योदय के बाद आरंभ होगी। लेकिन पूर्णिमा का चांद इसी रात को दिखेगा। इस दिन चंद्र ग्रहण भी लगेगा। आगे देखें भादो पूर्णिमा का व्रत सितंबर 2025 में कब रखा जाएगा और क्या ग्रहण के साथ व्रत रखना शुभ होगा।

सितंबर 2025 में भादो पूर्णिमा कब है

  • भादो पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 7 सितंबर 2025, रविवार, सुबह 09:27 बजे से
  • भादो पूर्णिमा तिथि समाप्त: 8 सितंबर 2025, सोमवार, सुबह 07:30 बजे पर

इस आधार पर रविवार को सितंबर 2025 में भादो पूर्णिमा का व्रत 7 सितंबर को रखा जाएगा।

2025 में शरद पूर्णिमा कब है

क्या चंद्र ग्रहण के साथ पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं

07 सितंबर 2025 को रविवार को भादो पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत पूरी आस्था के साथ रखा जाता है। इस व्रत में सत्यनारायण पूजा की जाती है। चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को 8:58 PM पर शुरू होगा। चंद्र ग्रहण की पूर्णता 11:00 PM से होगी और यह 8 सितंबर को 12:22 AM तक जारी रहेगी।

अब सवाल ये है कि क्या चंद्र ग्रहण के संयोग के साथ पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं या नहीं। तो इसका जवाब है कि आप चंद्र ग्रहण के साथ पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं लेकिन ग्रहण की अवधि में आपको पूजा पाठ नहीं करना है। पूजा का संकल्प ग्रहण से पहले लें। पूजा और पारण ग्रहण की समाप्ति के बाद करें।

नोएडा स्थित पंडित पवन कुमार के अनुसार, ग्रहण काल को शास्त्रों में अशुभ माना जाता है और इस दौरान सामान्य पूजा-पाठ एवं व्रत संबंधी कार्य वर्जित रहते हैं। लेकिन ग्रहण से पहले व्रत और पूजा का संकल्प लिया जा सकता है। इसे सूतक काल से भी पहले लें जो कि ग्रहण शुरू होने से लगभग 9 घंटे पहले लगता है। ग्रहण के सूतक काल से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक पूजा-पाठ नहीं किया जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगाजल छिड़क कर शुद्धि करें और फिर भगवान विष्णु/सत्यनारायण की विधिवत पूजा करके कथा पाठ करें। 7 सितंबर के ग्रहण का सूतक काल 8 सितंबर को तड़के 1:26 AM को खत्म होगा।

इस तरह ग्रहण में व्रत रखना अशुभ नहीं है बल्कि व्रत का संकल्प निभाना शुभ माना जाता है। हां, बस पूजा-पाठ को ग्रहण के बाद ही करना चाहिए।

पूर्णिमा व्रत विधि संक्षेप में

पूर्णिमा के दिन प्रात स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। घर या मंदिर में भगवान विष्णु/सत्यनारायण जी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से शुद्धि करें। कलश स्थापना के बाद दीपक जलाएं और भगवान को रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसीदल, फल-मिष्ठान अर्पित करें। पंचामृत से अभिषेक कर सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें और आरती करें। व्रत रखने वाले दिन फलाहार करें और अगले दिन पारण कर भोजन ग्रहण करें।

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मेधा चावला author

टाइम्स नाउ नवभारत में मेधा चावला सीनियर एसोसिएट एडिटर की पोस्ट पर हैं और पिछले सात साल से इस प्रभावी न्यूज प्लैटफॉर्म पर फीचर टीम को लीड करने की जिम्म...और देखें

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