Gauri Vrat 2025: 6 जुलाई से गौरी व्रत हुआ शुरू, जान लें इसकी पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

Gauri Vrat 2025
Gauri Vrat 2025: मान्यता है कि देवी पार्वती ने भी भगवान शिव को प्राप्त करने हेतु कठोर तप और उपवास किया था। उसी के अनुसरण में कन्याएं यह व्रत करती हैं, ताकि उन्हें एक योग्य या मनचाहा वर और सुखमय वैवाहिक जीवन प्राप्त हो। व्रत में मुख्य रूप से मां गौरी की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव, गणेश जी और कई जगह पर देवी गौरी की मिट्टी या धातु की प्रतिमा का पूजन किया जाता है।
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गौरी व्रत पूजा विधि (Gauri Vrat Puja Vidhi)
व्रत को रखने के लिए आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर कलश स्थापना करें और उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें। इसके बाद मां गौरी को हल्दी, कुमकुम, चूड़ी, बिंदी, वस्त्र और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। फिर मां गौरी की व्रत कथा सुनें। घी का दीपक जलाएं और मां की आरती करें और "ऊँ गौरी त्रिपुरसुंदरी नमः" मंत्र का जाप करें। व्रत समाप्ति के बाद छोटी कन्याओं को भोजन करवाएं व वस्त्र भेंट करें।
गौरी व्रत पूजा मुहूर्त 2025 (Gauri Vrat Puja Muhurat 2025)
पंचांगानुसार, 6 जुलाई को एकादशी तिथि सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगी, फिर उसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी। रविवार के दिन त्रिपुष्कर योग, रवि योग के साथ भद्रा का साया भी रहेगा।
बता दें, 'त्रिपुष्कर योग' तब बनता है जब रविवार, मंगलवार व शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी व द्वादशी में से कोई एक तिथि हो एवं इन 2 योगों के साथ उस दिन विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु व कृत्तिका नक्षत्र हो। इसके साथ ही रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से 4, 6, 9, 10, 13 और 20वें स्थान पर हो।
रविवार के दिन भद्रा का समय सुबह 05 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर रात के 10 बजकर 42 मिनट पर खत्म हो जाएगा। वहीं, त्रिपुष्कर योग का समय रात के 09 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर रात के 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। साथ ही रवि योग का समय सुबह 05 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर रात के 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
-आईएएनएस
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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