Bhaum Pradosh Vrat Katha: कल रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, यहां जान लें इसकी पावन कथा और मुहूर्त

Bhaum Pradosh Vrat Katha
Bhaum Pradosh Vrat Katha: हिंदू धर्म में भौम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। 8 जुलाई 2025 को ये व्रत पड़ रहा है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना है। कहते हैं जो कोई सच्चे मन से ये व्रत रखता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत की कथा हनुमानजी की भक्ति से जुड़ी है, जो भक्तों की रक्षा करते हैं। कथा के अनुसार, एक वृद्धा की श्रद्धा की परीक्षा में हनुमानजी ने उसे आशीर्वाद दिया और उसका जीवन सुख से भर गया। चलिए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत की इस पावन कथा के बारे में विस्तार से यहां।
भौम प्रदोष व्रत मुहूर्त 2025 (Bhaum Pradosh Vrat Muhurat 2025)
भौम प्रदोष व्रत- 8 जुलाई 2025
प्रदोष पूजा मुहूर्त - 19:23 से 21:24
दिन का प्रदोष समय - 19:23 से 21:24
भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha)
एक समय की बात है, एक नगर में एक वृद्धा रहती थी, जिसका एकमात्र पुत्र था। उस वृद्धा का हनुमानजी पर गहरा विश्वास था। वह हर मंगलवार को नियम से व्रत रखती और हनुमानजी की पूजा करती थी। एक दिन हनुमानजी ने अपनी भक्त की श्रद्धा की परीक्षा लेने का निश्चय किया।
हनुमानजी ने साधु का रूप धारण कर वृद्धा के घर पहुंचे और पुकारा, "क्या कोई हनुमान भक्त है जो मेरी इच्छा पूरी करे?" यह आवाज सुनकर वृद्धा तुरंत बाहर आई और साधु को प्रणाम कर बोली, "आज्ञा हो, महाराज!" साधु ने कहा, "मैं भूखा हूं, मुझे भोजन चाहिए। पहले तुम थोड़ी जमीन लीप दो।" वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंत में हाथ जोड़कर बोली, "महाराज, लीपने या मिट्टी खोदने के अलावा कोई दूसरा आदेश दें, मैं उसे जरूर मानूंगी।"
साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा, "अपने बेटे को बुलाओ, मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा।" यह सुनकर वृद्धा घबराई, लेकिन प्रतिज्ञा के कारण उसने अपने पुत्र को साधु के हवाले कर दिया। हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलाई। दुखी मन से वृद्धा घर चली गई।
फिर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाया और कहा, "भोजन तैयार है, अपने पुत्र को बुलाओ ताकि वह भी भोग लगा ले।" वृद्धा ने कहा, "उसका नाम लेकर मुझे और दुख न दें।" लेकिन साधु के आग्रह पर उसने पुकारा, और आश्चर्यजनक रूप से उसका पुत्र जीवित होकर सामने आ गया। पुत्र को जीवित देखकर वृद्धा साधु के चरणों में गिर पड़ी। तब हनुमानजी अपने असली रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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