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10 Muharram (Ashura) Ki Namaz And Dua: 10 मुहर्रम की नमाज पढ़ने का सही तरीका, जानिए आशूरा की नमाज में कितने रकात होती है

10 Muharram (Ashura) Ki Namaz And Dua: मुहर्रम का पूरा महीना मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद खास होता है, लेकिन खास तौर पर इसकी 9वीं और 10वीं तारीख को सबसे पवित्र माना जाता है, जिसे आशूरा के नाम से जाना जाता है। साल 2025 में आशूरा का दिन 6 जुलाई को है। इस दिन मुस्लिम भाई-बहन रोजा रखते हैं और खास नमाज अदा करते हैं। इस लेख में हम आपको आशूरा के दिन पढ़ी जाने वाली खास दुआ और नमाज के बारे में बताएंगे।
10 Muharram (Ashura) Ki Namaz And Dua

10 Muharram (Ashura) Ki Namaz And Dua

10 Muharram (Ashura) Ki Namaz And Dua: आशूरा यानी 10 मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का एक बहुत ही फजीलत भरा दिन होता है। आशूरा की रात, जिसे शब-ए-आशूरा भी कहते हैं, इस दौरान नमाज, मजलिस, मातम और दुआएं पढ़ी जाती हैं। दुआ ए आशूरा को खास तौर पर मुहर्रम के महीने में, विशेष रूप से 10 मुहर्रम यानी यौम-ए-आशूरा के दिन, पढ़ा जाता है। यह दुआ हजरत हुसै और कर्बला के शहीदों की याद में की जाती है। इस दौरान मुसलमान गम मनाते हैं, मातम करते हैं और इबादत में लीन रहते हैं। यहां आप देखेंगे 10 मुहूर्रम की नमाज और दुआ का सही तरीका।

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आशूरा की नमाज (Ashura Ki Namaz)

यह एक नफ्ल नमाज है यानी स्वैच्छिक इबादत, जो अल्लाह की रजा के लिए अदा की जाती है। इसमें गुनाहों की माफी, रहमत और बरकत की दुआ की जाती है।

आशूरा की नियत कैसे करें? (Ashura Ki Niyat)

2 रकात के लिए नियत: "नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ आशूरा की नफ़्ल वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।"

4 रकात के लिए नियत: "नियत की मैंने 4 रकात नमाज़ आशूरा की नफ़्ल, वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।"

आशूरा की नमाज में कितनी रकात पढ़ी जाती है? (Ashura Ki Namaz Mein Kitni Rakat Padhi Jati Hai)

आप 2, 4, 6, 8 या 12 रकात तक नफ़्ल नमाज़ पढ़ सकते हैं। हर 2 रकात पर सलाम फेरना जरूरी है। हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 3 बार सूरह इखलास (कुल्हुवल्लाहु अहद) पढ़ना होता है।

10 मुहर्रम या आशूरा की नमाज का तरीका (Muharram/Ashura Ki Namaz Ka Tarika In Hindi)

पहली रकात:

  • नियत करें
  • सना पढ़ें: "सुब्हानक अल्लाहुम्मा..."
  • फिर अउजुबिल्लाह मिनश शैतानिर्रजीम पढ़ें।
  • इसके बाद बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम कहें।
  • सूरह फातिहा पढ़ें
  • 3 बार सूरह इखलास (कुल्हुवल्लाहु अहद) पढ़ें
  • फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएं और कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम कहें।
  • फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए खड़े हो जाएं और रब्बना लकल हम्द कहें।
  • अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं और 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  • फिर बैठें और दूसरा सज्दा करें, उसी तरह 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  • फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।

दूसरी रकात:

  • फिर से वही क्रम (सूरह फातिहा + 3 बार सूरह इखलास)
  • सज्दों के बाद तशह्हुद (अत्तहिय्यात) पढ़ें
  • "अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाह" पर उंगली उठाएं और "इल्ला" पर गिरा दें।
  • फिर दुरूदे इब्राहीम, दुआए मसूरा पढ़ें।
  • सलाम फेरें – "अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह" कहते हुए दोनों तरफ सलाम फेरे

हर दो रकात के बाद पढ़ी जाने वाली तस्बीह:

हर दो रकात के बाद 70 बार यह तस्बीह पढ़ें:

"सुब्हानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर। "

9 मुहर्रम की रात की विशेष नमाज

  • 4 रकात एक सलाम के साथ
  • हर रकात में सूरह फातिहा के बाद:
  • 1 बार आयतुल कुर्सी
  • 3 बार सूरह इखलास
  • नमाज़ के बाद 100 बार सूरह इखलास पढ़ें।
  • यह नमाज मगरिब के बाद से लेकर ईशा तक या ईशा के बाद भी अदा की जा सकती है।

आशूरा की नमाज का समय (Ashura Namaz Ka Time)

  • 10 मुहर्रम को सूरज निकलने के बाद से लेकर असर (Asr) की नमाज़ से पहले तक पढ़ी जा सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में नमाज न पढ़ें।
  • वहीं रात में पढ़ी जाने वाली नमाज 9 मुहर्रम की रात शुरू होती है। ईशा से पहले 4 रकात और उसके बाद 4-4 रकात करके जितनी चाहें अदा कर सकते हैं।

10 मुहर्रम यानी आशूरा की दुआ (Ashura ki Dua)

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

या क़ाबि ल तौबति आदम यौम आशूराअ

या फारिजा करबी जिन्नूनी यौम आशूराअ

या जामी अ शमली याक़ूब यौम आशूराअ

या सामी अ दाअवती मूसा व् हारून यौम आशूराअ

या मुगि स इब्राहिम मिनन्नारी यौम आशूराअ

या राफ़ीअ इदरीस इलस्समाई यौम आशूराअ

या मुजी ब दावती सालिहिन फिन्नाकती यौम आशूराअ

या नासि र सय्येदेना मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यौम आशूराअ

या रहमान नददुनिया वल आखिरती व् रहिमहुमा सल्ली अला सय्येदेना मुहम्मदिंव व् अला आली सय्येदेना मुहम्मदिंव व सल्ली अला जमीईल अम्बियाई वल मुरसलीन वक़ज़ी हाजातीना फिददुनिया वल आखिरती व अतिल उम रना फी ताअतीक व मुहब्बतिक व रेदाक व अहयेना हयातन तैय्यबतओं वतवफ़्फ़ना अललईमानी वल इस्लामी बिरहमतिक या अरहमर्राहिमीन। अल्लाहुम्मा बीइज़्ज़िल हसनी व् अखीही व उम्मीही व् अबिहि व जद्दीही व् बनिहि फर्रीज अन्ना मानहनू फ़ीहि ।

सुब्हानल्लाही मिलअलमिज़ानी व् मुन्तहलइल्मी व् मबलग़ र्रेरदा व ज़िन तल अर्शी लामल जाअ वला मन जाअ मिनल्लाही इल्ला इलैहि । सुब्हानल्लाही अददश शफई वल वितरि व अदद कलीमातिल्लाहित्तामती कुल्लीहा नसअलुकस्सलामत बिरहमतिक या अरहमर्राहिमीन । व हुवा हसबुन व नेमल वकील । नेमल मौला व नैमन्नसिर । वलाहौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाहिल अलियिल अज़ीम । व सल्लल्लाहु तआला अला सय्येदेना मुहम्मदिंव व्अला आलिहि वसहबिहि वअलल मुअमिनीना वल मुअमिनाती वल मुस्लिमीन वल मुस्लिमाति अदद ज़ररातील वुजुदी व् अदद मालुमातील्लाही वलहम्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन । आमीन । सुम्मा आमीन ।

(नोट: नमाज का तरीका boldsky.com से लिया गया है)

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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