अध्यात्म

पितृ पक्ष 2025: पुष्कर को क्यों कहा जाता है आत्मा की मुक्ति का द्वार, श्रीराम ने भी यहीं किया था पिता का श्राद्ध

Pushkar mein shraddh ka mahatva: धार्मिक दृष्टिकोण से पुष्कर शहर की बहुत मान्यता है। यहां किया गया श्राद्ध पितरों की आत्मा की मुक्ति का द्वार माना जाता है। कहा जाता है कि स्वयं श्री राम ने अपने पिता दशरथ जी का श्राद्ध यहां आकर किया था। जानें पुष्कर के बारे में ये अहम जानकारी।

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Pushkar mein shraddh ka mahatva: राजस्थान का पुष्कर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत विशिष्ट स्थान रखता है। यह शहर प्राचीन और अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल श्राद्ध के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। ये भी माना जाता है कि श्री राम ने अपने पिता दशरथ जी का श्राद्ध माता सीता व लक्ष्मण जी के साथ यहीं आकर ही किया था।

पुष्कर को क्यों कहा जाता है आत्मा की मुक्ति का द्वार (Pic: iStock)

पुष्कर क्यों प्रसिद्ध है

पुष्कर हालांकि भगवान ब्रह्मा के विश्व में एकमात्र मंदिर के स्थित होने की वजह से प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म में ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता माना गया है। पुष्कर में स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र है। वहीं यह स्थान पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां व्यक्ति अपने सात कुलों और पांच पीढ़ियों तक के पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध कर्म कर सकता है।

मान्यता है कि पुष्कर में श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसलिए हर वर्ष पितृ पक्ष के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां एकत्र होते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ और तर्पण करते हैं।

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